- अररिया में काबुल मियां की पीट-पीट कर हत्या के पीछे भाजपा-संघ का हाथ.
- बिहार में कानून का नहीं बल्कि अपराधियों का राज.
- भाकपा-माले की जांच टीम ने किया घटनास्थल का दौरा, घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग.
पटना 6 जनवरी 2019, विगत दिनों अररिया जिले में 60 वर्षीय काबुल मियां की गाय चोरी के आरोप में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. इस घटना की जांच करने भाकपा-माले के अररिया जिला स्तरीय नेता रामविलास यादव व इन्द्रानन पासवान कल दिनांक 5 जनवरी को घटनास्थल व मृतक के गांव पहुंचे और पूरे मामले का जायजा लिया. भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने जांच टीम के हवाले से कहा है कि यह घटना सीमांचल के इलाके में भाजपा व आरएसएस द्वारा सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की बहुत ही सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दी गई है. लंबे अर्से से भाजपाई इस इलाके में बांग्लादेश घुसपैठ के नाम पर अपनी सांप्रदायिक राजनीति का जहर फैलाना चाहते हैं लेकिन अब तक वे बहुत कामयाब नहीं हो सके थे. पलटीमार नीतीश कुमार ने जब से एक बार फिर भाजपा के सामने आत्मसमर्पण किया तब से भाजपाइयों का मनोबल पूरे बिहार और खासकर इस इलाके में बहुत अधिक बढ़ गया है और वे खुलेआम माॅब लिंचिंग की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. नीतीश कुमार का तथाकथित न्याय के राज की धज्जियां उड़ रही हैं और अपराधियों-हत्यारों का मनोबल सातवंे आसमान पर चढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि अररिया के दहगांव के रहने वाले काबुल मियां को गाय चोरी केे आरोप में पीट-पीट कर हत्या कर देने के पीछे भाजपा की यही मंशा काम कर रही है. लेकिन बिहार की जनता उसके नापाक इरादों को अच्छे से समझ चुकी है. हमारी पार्टी इस साजिश में शामिल सभी लोगों व हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी तथा घटना के उच्चस्तरीय जांच की मांग करती है.
भाकपा-माले की जांच टीम ने कहा है कि अररिया जिले के सिकटी प्रखंड के दहगांव के रहने वाले काबुल मियां की जिस रात हत्या हुई, उस दिन वे अपने गांव से खाना खाकर बगल के टोले खान टोला, जो उनके गांव से 1-1.5 किलोमीटर की दूरी पर है, कव्वाली देखने गए थे. सुबह में खान टोला से 7 किलोमीटर उत्तर-पूर्व सिमरबन्नी में उनकी लाश मिली. सिमरबन्नी में दो वार्ड हैं. एक बांग्लादेश से आए मुस्लिमों की आबादी वाला टोला है, दूसरा मंडल जाति से आने वाले महतो लोगों का टोला है. महतो टोला भाजपा-आरएसएस का समर्थक गांव है. इन्हीं दोनों टोलों के बीच काबुल मियां की लाश मिली. भाकपा-माले की जांच टीम ने मुस्लिम मियां से मुलाकात की. आरोप है कि काबुल मियां इन्हीं की गाय चुरा कर ले जा रहे थे. मुस्लिम मियां का घर सिमरीबन्नी के ही एक टोले में घटनास्थल से 1 किलोमीटर पूरब है. मुस्लिम मियां ने माले नेताओं को बताया कि रात के लगभग 1 बजे बछड़े के चिल्लाने की आवाज आई. वे देखने गए तो वहां उनकी गाय नहीं थी. उसी वक्त पश्चिम टोले में हल्ला हो रहा था और महतो टोला के लोग काबुल मियां को लगातार पीटे जा रहे थे. यह बात फैलाई गई कि काबुल मियंा गाय चोरी करके ले जा रहे थे. लेकिन मुस्लिम मियां ने यह अंतर्विरोधी बयान दिया कि गाय घटनास्थल पर नहीं बल्कि उनके घर के बगल के खेत में मिली. जब माले नेताओं ने खेत की वह जगह दिखलाने की बात कही तो मुस्लिम मियां टाल गए. जांच टीम खेत में गाय के खुर के निशान देखना चाहती थी.
जिस वक्त महतो टोला के लोग काबुल मियां को पीट रहे थे, गांव के चैकीदार प्रमोदी रीषिदेव ने पुलिस को फोन किया, लेकिन पुलिस मौका-ए-वारदात पर नहीं पहुंची. माले जांच टीम ने यह पाया कि मृतक काबुल मियां एक सुखी-समृद्ध आपराधिक रिकार्ड के व्यक्ति थे. लेकिन ग्रामीणों ने यह भी कहा कि 15 साल पहले ही उन्होंने इस तरह की कार्रवाईयां छोड़ दी थीं और वे फिलहाल कई मामलों में बेल पर थे. वे मूलतः बांग्लादेशी थे और इसी कारण भाजपाइयों के लिए उस दिन आसान चारा बन गए. यह बात बहुत ही आसानी से समझी जा सकती है कि 15 एकड़ जमीन का मालिक एक गाय चुराने क्यों जाएगा? जांच टीम ने गाय चोरी की घटना के मामले में संदेह व्यक्त किया है और इसलिए घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. भाकपा-माले की जांच टीम को इस बात का पूरा अंदेशा है कि गाय की चोरी की बात एक बहाने के बतौर इस्तेमाल की गई और एक अल्पसंख्यक समुदाय के ही व्यक्ति को सामने खड़सा किया गया. जाहिर है कि इसको लेकर अल्पसंख्यक समुदाय पर दबाव बनाया जा रहा है. भाजपा-संघ बांग्लादेशी घुसपैठ के नाम पर इस पूरे इलाके को डिस्टर्ब करने पर तुली है. उनके इसी अभियान का काबुल मियां आसान चारा बन गए.
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