एंटी डोपिंग विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला दिल्ली में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 9 जनवरी 2019

एंटी डोपिंग विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला दिल्ली में

workshop-for-doping
नई दिल्ली। भारत में खेल और खिलाड़ियो को डोपिंग रूपी डंक से बचाने के लिए कार्य कर रही संस्था नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) भारत सरकार के खेलकूद एवं युवक कल्याण विभाग के सहयोग से फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) के साथ मिलकर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन दिल्ली के डॉ भीमराव अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर जनपथ पर 30 और 31 जनवरी को करने जा रही है। इस कार्यशाला में देश के राज्यों से करीब 1000 खिलाड़ी, प्रशिक्षक, स्कूलों और कालेजों में कार्यरत शारीरिक शिक्षक खेल पत्रकारिता के दिग्गज पत्रकारों सहित, और खेलकूद जुड़े लोग शामिल होंगे।नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी के महानिदेशक श्री नवीन अग्रवाल जी ने आज अपने ऑफिस में कॉन्फ्रेंस के ब्रोशर को अनावरण करते हुए कहा कि खेलों में बढ़ती हुई प्रतिबंधित दवाइयों के सेवन के खिलाफ यह सेमिनार खिलाड़ी और प्रशिक्षकों को जागरूक करेगी जाने और अनजाने में खिलाड़ियों के द्वारा प्रतिबंधित दवाइयां लेने से न केवल उनके कैरियर पर प्रभाव पड़ता है साथ ही साथ उनके स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है। डा. अग्रवाल ने बताया कि नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) द्वारा पूरे देश में फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर जागरूकता अभियान का आयोजन किया जा रहा है जिसमें के खिलाड़ियों शारीरिक शिक्षकों और खेल प्रशिक्षकों को प्रतिबंधित दवाइयों और उनके सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस अवसर पर पेफी के सचिव डॉ पीयूष जैन ने कहा कि विश्व खेल जगत में बढ़ती प्रतिस्पर्घा और पदक जीतने के जुनून में खिलाड़ी डोपिंग के जरिए अपना शारीरिक दमखम बढ़ाते हैं और पकड़े जाने पर प्रतिबंधित कर दिए जाते है। कई बार खिलाड़ी बीमारी के दौरान जानकारी के अभाव में कुछ प्रतिबंधित दवाएं ले लेता है और डोपिंग में फंस जाता है। डा. जैन ने बताया की फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) समय-समय पर देश के विभिन्न राज्यों में और विश्वविद्यालयों में इस तरह के जागरूकता अभियान चलाती है जिससे कि हमारे युवा खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाइयों के सेवन से बचें। खेलों में बढ़ते हुए मान सम्मान और पैसे के लिए कुछ खिलाड़ी जाने अनजाने में इस तरह की दवाइयों का सेवन करते हैं और पकड़े जाने पर उन पर 2 साल से लेकर 8 साल तक का प्रतिबंध लग जाता है और उनका पूरा कैरियर खराब हो जाता है इसलिए आज जरूरत इस बात की है के हमारे खिलाड़ियों को शुरुआत से ही इन दवाइयों के बारे में जानकारी दी जाए जिससे कि वह लोग इनका सेवन ना करें।

कोई टिप्पणी नहीं: