अरुण कुमार (बेगूसराय) इनकाउंटर के मूड में आ गई है बिहार पुलिस । गुप्तेश्वर पांडे के डीजीपी बनते मुजफ्फरपुर पुलिस ने इनकाउंटर में अपराधी को मार कर अपने आलाकमान को सलामी दी है । पहले अपराधी सलामी देते थे । लेकिन यह दौर गुप्तेश्वर पांडे का है भाई जो वैज्ञानिक साक्ष्य की जगह गोली का जवाब गोली से देना जानते हैं । आज भी बेगूसराय के लोगों को 1991-92 का दौर याद है जब गुप्तेश्वर पांडे बेगूसराय के एसपी थे । अपने कार्यकाल में बेगुसराय जिले में 40 से अधिक इनकाउंटर दस्तावेजी तौर पर किया था । दर्जनों अपराधी तो पुलिस रिकार्ड के अनुसार परलोक सिधार गए थे जबकि दर्जनों अपराधी के परिजन आज भी इस उम्मीद में हैं कि मेरा बेटा लौट आये । वह दौर ऐसा था कि जो अपराधी फरार थे वो चोरी छिपे न्यायालय में आत्म समर्पण करते थे कि कहीं रास्ते से ही पुलिस टपका ना दे और जो आत्म समर्पण के बाद जेल पहुंच जाते थे वो तारीख पर वकील नहीं रखते थे, ताकि बेल नहीं हो । जब तक गुप्तेश्वर पांडे एसपी रहे अपराधी जेल में रहना ही सुरक्षित मानते थे । शहर में जिप्सी से निकल जाना और चौक चौराहे लफंदरों को गार्जियन की भूमिका में दंडित करते थे । तब मोबाइल का जमाना नहीं था लेकिन उनके स्पाई गांवों तक फैला हुआ था । बिहार में पहला AK47 बेगूसराय एसपी रहते गुप्तेश्वर पण्डे के ही बॉडीगार्ड के पास था । बिहार आज उम्मीद करता है कि गुप्तेश्वर पांडे अपने उसी तेवर के साथ बिहार को अपराध और अपराधियों से मुक्ति के लिए अभियान चलाए। मुजफ्फरपुर के एसएसपी मनोज कुमार खुद अपराधियों के खिलाफ जंग लड़ते रहे हैं और मुजफ्फरपुर में इनकी अगुआई में दिन दहाड़े बस स्टेंड में इनकाउंटर कर बस में घात लगाए एक अपराधी को पुलिस मार गिराई जबकि एक घायल अपराधी पकड़ा भी गया है । पुलिस ने इस इनकाउंटर में Ak47 का उपयोग किया है ।
शनिवार, 2 फ़रवरी 2019
बेगूसराय : जिनके नाम का खौफ आज भी कायम है,वो हैं गुप्तेश्वर पाण्डे
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