जन संगठनों द्वारा सामूहिक आवेदन तैयार करवाया जा रहा हैदलित अधिकार मंच के प्रांतीय संयोजक कपिलेश्वर राम का स्पष्ट कहना है कि हर तीन घर के बाद चैाथाघर भूमिहीनों का
पटना,20 फरवरी। बिहार में कितने आवासीय भूमिहीन हैं! वह न सरकार को और न गैर सरकारी जन संगठनों को है। इनलोगों के द्वारा कहा जाता है कि सूबे में 30 से 35 लाख में आवासीय भूमिहीन हैं। इसमें महादलित मुसहर समुदाय की संख्या अधिक है। आवासीय भूमिहीनों के बारे में दलित अधिकार मंच के प्रांतीय संयोजक कपिलेश्वर राम का स्पष्ट कहना है कि हर तीन घर के बाद चैाथा घर भूमिहीनों का हैं। यह वास्तव में सत्य है कि आवासीय भूमिहीनों की संख्या में विराम नहीं लग सकता है। भूमि की असमान वितरण के कारण भूमिहीनता चुनौती बन गयी है। सूबे के मुख्यमंत्री हैं नीतीश कुमार। राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति,अति पिछड़ी जाति,पिछड़ी जाति का खेतिहर मजदूर हैं। अत्यंत ही कमजोर वर्ग के परिवार के सदस्य हैं। कई दशक से मजदूरी करते हैं और परिवार के दो जून का आहार संभव कर पाते हैं। हमलोगों के पूर्वज इसी तरह से कई पुश्तों से करते आ रहे हैं। उस लायक नहीं बन सके कि सिर और इज्जत बचाने के लिए जमीन का टुकड़ा ले सकें। हम मानव को जीवन जीने हेतु आज भी भूमि के एक टुकड़े पर मालिकाना अधिकार नहीं है। आवास भूमि पर मालिकाना अधिकार के अभाव में हमलोग सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।सरकार ने वासभूमिहीनों के लिए अभियान बसेरा के नाम से योजना चलाइ्र्र है, परन्तु उक्त अभियान बसेरा वासभूमिहीनों तक धरती पर नहीं उतर पा रही है। हमलोग आज भी आवास हेतु वासभूमि के एक टुकड़े से वंचित हैं।
वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने पर जोर
राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति,अति पिछड़ी जाति,पिछड़ी जाति का खेतिहर मजदूरों का मानना है कि जबतक वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून नहीं बनाया जाएगा तबतक हमलोगों यानी वासभूमि खेतिहर मजदूरों को इज्जत के साथ जीवन यापन के लिए वासभूमि नहीं मिल पाएगी। इस बीच जन संगठनों द्वारा सामूहिक आवेदन तैयार करवाया जा रहा है। इस आवेदन में विस्तार से आपबीती बयान किया गया है। इस आवेदन को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजकर निवेदन किया जाएगा कि हम कमजोर वर्गों को अपमानित जीवन से मुक्ति हेतु वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून को अविलम्ब बनाने की दिशा में कार्रवाई किया जाए।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को प्रारूप प्रेषित है
भूमि अधिकार जन जुटान के संयोजक प्रदीप प्रियदर्शी का कहना है कि जन संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय जनांदोलन 2018 में सत्याग्रह पदयात्रा के दौरान प्रस्तुत मांगों में राष्ट्रीय आवासीय भूमि अधिकार कानून की घोषणा एवं क्रियान्वयन पर जोर दिया गया था। इधर प्रांत में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने का प्रारूप प्रेषित है। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि जनहित में जन संगठनों को बुलाकर वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून के प्रारूप को अधिनियम का रूप दें दे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें