एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहींधमना मुसहरी टोला है सिकन्दरा प्रखंड के ईटा सागर पंचायत में
जमुई। समाज के हाशिए पर रहने वाले मुसहर समुदाय को केन्द्र में रखकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित आयोग बनाया था। महादलित आयोग के रहते धमना मुसहरी टोला में विकास नहीं हो पा रहा है। यहां पर 120 घर है। 120 घरों में केवल 10 लोगों को वासगीत पर्चा मिला है। वहीं केवल 15 लोगों का ही इंदिरा आवास योजना से मकान बना है। जबतक मुसहरी में गैर सरकारी संस्थाओं का आवाजाही रहा था तबतक महादलितों की समस्याओं को लेकर चिंतित रहे। प्रशासन से संवाद और लोक संघर्ष करते रहे।
धमना मुसहरी टोला है सिकन्दरा प्रखंड के ईटा सागर पंचायत में
जमुई जिले के सिकन्दरा प्रखंड में है ईटा सागर पंचायत। इसी पंचायत में है धमना मुसहरी टोला। यहां पर करीब 120 घर है। इनकी जनसंख्या है 586। इन महादलित मुसहर समुदाय की सरकार के समक्ष फरियाद करने से सिर्फ 15 महादलितों की ही सुधि ली गयी । इन 15 महादलितों का इंदिरा आवास योजना के तहत मकान निर्माण किया गया। कई दशकों से मालिक गैर मजरूआ भूमि पर रहने वालों को सिर्फ 10 ही लोगों को वासगीत पर्चा मिल पाया है।
धमना मुसहरी में एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहीं
सामाजिक कार्यकर्ता मंजू डुंगडुंग ने कहा इन महादलितों के पूर्वजों ने धमना मुसहरी में मालिक गैर मजरूआ भूमि पर कब्जा कर रखा है। परन्तु सरकार के द्वारा पर्चा निर्गत नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से एक भी महादलित मुसहर मैट्रिक पास नहीं हो सका है। यहां पर कुष्ठ रोगियों की संख्या अधिक है। गर्भवर्ती महिलाओं को पौष्टिक आहार नहीं मिलता है। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। शिशु जन्मजात कुपोषित हैं। इस क्षेत्र में है आंगनबाड़ी केन्द्र। मगर उक्त केन्द्र के माध्यम से कुपोषण के दलदल में फंसे बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने में अक्षम साबित हो रहा है। वहीं भारी संख्या में पलायन जारी है। मनरेगा भी तेज पलायन को रोकने में नाकामयाब है। ईंट भट्टों के अलावे अन्य प्रदेषों में लोग कार्य करने चले जाते हैं। पीओ द्वारा मनमाना करने से लोग मनरेगा से मोहभंग कर लिए है।
युद्धस्तर पर सरकारी योजना चलाने की जरूरत
सामाजिक कार्यकर्ता मंजू डुंगडुंग ने कहा कि यहां पर युद्धस्तर पर सरकारी योजना चलाने की जरूरत है। कुछ साल पहले श्रमदान करके युवा और युवतियों के द्वारा तालाब निर्माण किया गया था। इससे सिंचाई और मवेशियों को पानी पिलाने में सहुलियत मिलती। यहां के लोग गांव में रचनात्मक कार्य करने को तैयार रहते हैं। बुनियाद समस्याओं को दूर करने को लेकर युवा-युवतियों को जागरूक किया गया।
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