नयी दिल्ली 13 फरवरी, राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट आज संसद में पेश कर दी गयी जिसमें कीमत का खुलासा किये बिना कहा गया है कि यह सौदा पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय किये गये सौदे से कुल मिलाकर 2.86 फीसदी सस्ता है लेकिन इसमें सौदे के विवादास्पद पहलू ऑफसेट के बारे में कुछ नहीं कहा गया है और इसके बारे में अलग से रिपोर्ट तैयार की जा रही है। लगभग डेढ साल में तैयार की गयी रिपोर्ट में राफेल विमानों के नये या पुराने सौदे की कीमतों का जिक्र नहीं किया गया है और इसके लिए फ्रांस सरकार के साथ भारत सरकार के गोपनीयता के समझौते का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट में सरकार के इस दावे को खारिज किया गया है कि यह सौदा वर्ष 2007 के सौदे से 9 फीसदी सस्ता है। साथ में कैग ने यह भी कहा है कि दोनों सौदों में बेसिक विमान की कीमत में कोई अंतर नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार नये सौदे विमानों की आपूर्ति एक महीने पहले होगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विमान में भारतीय वायु सेना की जरूरत के हिसाब से अलग से लगवायी गयी प्रणालियों में 17.08 फीसदी की बचत हुई है लेकिन साथ में यह भी कहा गया है कि इनमें से चार जरूरतें ऐसी हैं जिनकी आवश्यकता नहीं थी और इनकी कीमत अलग से लगवायी गयी प्रणालियों की कुल कीमत का 14 फीसदी है। वर्ष 2007 और 2016 के सौदों की तुलना करते हुए रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है जहां पहले के सौदे में 15 फीसदी बैंक गारंटी की बात कही गयी थी वहीं दूसरे सौदे में बैंक गारंटी या सोवरियन गारंटी का प्रावधान नहीं है और इसकी जगह पर फ्रांसीसी सरकार ने भारत को एक सहुलियत पत्र दिया है। यही नहीं सौदे से जुड़ी राशि के भुगतान के लिए फ्रांस सरकार ने एस्क्रो अकाउंट खोलने के भारत के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया। अब सौदे की राशि सीधी विक्रेता कंपनी को उसके खाते के माध्यम से की जा रही है।
बुधवार, 13 फ़रवरी 2019
राफेल सौदा 2.86 फीसदी सस्ता, बेसिक विमान की कीमत में अंतर नहीं
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें