‘मानव रक्षक रक्तदाता परिवार‘
पटना,27 मार्च।स्थानीय महावीर कैंसर संस्थान में प्रवेश पांडेय हैं इलाजरत है। वे जानलेवा कैंसर रोग से पीड़ित हैं। नक्सल प्रभावित जिले जमुई के खैरा प्रखंड से सम्बंधित हैं। इस प्रखंड में अवस्थित है ग्राम फतेहपुर। कैंसर रोगी प्रवेश पांडेय मुश्किल में हैं महावीर कैंसर संस्थान में। उनका इलाज गत 7 दिनों से रक्त के आभाव के कारण रुका हुआ था। उनका रक्त समूह अत्यंत ही रेयर समूह का है। इस कारण इलाज में विलम्ब हो रहा था। उनका समूह ‘O‘ ¼ ‘ ओ‘ ½ नेगेटिव है। इस समूह के लोग बहुत ही कम होते हैं। इसके कारण बहुत ही कम लोग रक्तदान करना पसंद करते हैं। बताते चले कि जो रक्त आसानी से नहीं मिल पाता है। उक्त रक्त को उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जाता है ‘मानव रक्षक रक्तदाता परिवार‘। इस परिवार से सैकड़ों लोग जुड़े हैं। केवल एक रिंग पर ही रक्तदान करने को कदम बाहर निकाल लेते हैं। इसमें ओम प्रकाश के साथ आलोक कुमार का भरी नाम जुड़ गया है। हुआ यह कि महावीर कैंसर संस्थान में रेयर ब्लड का रोगी प्रवेश पांडेय भत्र्ती हैं। उनका रक्त समूह ‘ व्‘ है। जब बीमार थे तब ओम प्रकाश रक्तदान किये थे। एक बार भी रक्त चढ़ाने की नौबत आ गयी।
बताते चले कि इस दुःखद घड़ी में मरीज प्रवेश पांडेय के साथ कोई परिजन भी मौजूद नहीं है। जिसके कारण रेयर रक्त का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। खुद से मरीज प्रवेश पांडेय भी रक्त का जुगाड़ करने में असफल साबित हो रहे थे। किसी तरह से जब इसकी सूचना जमुई जिले में रहने वाले गणमान्य को मिली। तब उन गणमान्य लोगों ने सीधे ‘मानव रक्षक रक्तदाता परिवार‘ से सम्र्पक साधे। सूचना मिलते ही ‘मानव रक्षक रक्तदाता परिवार‘ के रीढ़ समझे जाते हैं समूह के सहयोगी मित्र ’ओम प्रकाश’। इनके सहयोग से दिलेर रक्तवीर के द्वारा रक्तदान किया गया। ये रक्तवीर है हमारे समूह के नवरत्न ‘ओ‘ के रक्तवीर ’आलोक कुमार’ ने प्रवेश पांडेय को अपना रक्तदान कर मानवता का परचम लहराया। उन्होंने हमेशा कई लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित भी किया है। ‘मानव रक्षक रक्तदाता परिवार‘ से जुड़े ’सुमन सौरभ’ ने रेयर रक्त समूह के रक्तवीर ’आलोक कुमार’ जी के साथ-साथ ’ओम प्रकश’ सराहनीय सहयोग के लिए तहे दिल से धन्यवाद किया उन्होंने कहा कि इसके कुछ समय पूर्व भी प्रवेश पांडेय जी को रेयर रक्त समूह के रक्तवीर अमन जी ने रक्तदान किया था।बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले हैं प्रवेश पांडेय जी । इसका इलाज ग्रामीणों के सहयोग से किया जा रहा है।
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