बेनीपट्टी : विकास की रफ़्तार में एक दशक पीछे छुट गया बेनीपट्टी : शशि अजय झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 30 मार्च 2019

बेनीपट्टी : विकास की रफ़्तार में एक दशक पीछे छुट गया बेनीपट्टी : शशि अजय झा

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बेनीपट्टी जो की एक विधानसभा क्षेत्र होने के साथ साथ अनुमंडल, प्रखंड, निबंधन, थाना सहित कई मुख्य चीजों का मुख्यालय है. बेनीपट्टी बिहार में सबसे अधिक पंचायतों वाला दुसरे नंबर का प्रखंड है. जिसका दायरा कुल 33 पंचायतों में बंटा हुआ है. घनी आबादी से घिरा बेनीपट्टी आज़ादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी मुलभुत सुविधाओं से वंचित है. बेनीपट्टी अनुमंडल गठन के 35 वर्ष बीत जाने के बाद भी मुख्यालय में जनसमस्याओं की भरमार है. समस्याओं को दूर करने के प्रति न तो यहां के प्रशासन न ही यहां के जनप्रतिनिधि कोई खास दिलचस्पी दिखाते है. यहां के जनप्रतिनिधि बदल जाते है राज्य में सरकारें बदल जाती है लेकिन जो नहीं बदलती है वह है बेनीपट्टी की किस्मत. 

सौ बेड अनुमंडलीय अस्पताल हुआ सपना
वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी बेनीपट्टी में सौ बेड अनुमंडलीय अस्पताल का शिलान्यास किया था. लेकिन 35 साल बीत जाने के बाद भी अस्पताल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है. इस बाबत वर्ष 2012 में तत्कालीन बेनीपट्टी के बीजेपी विधायक व वर्तमान में बिहार सरकार के पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा ने बयान जारी किया था की अनुमंडल स्तरीय अस्पताल निर्माण,उपकारा व व्यवहार न्यायालय को चालू करने के लिए विधानसभा में उन्होंने सवाल उठाया और जिसकी स्वीकृति भी मिल गई. साथ ही यह भी बताया गया था की नए सिरे से बेनीपट्टी में सौ बेड का अनुमंडल स्तरीय अस्पताल का निर्माण होगा. जो की व्यवहार न्यायालय के पीछे की दो एकड़ जमीन पर होगा व जल्द ही अस्पताल भवन के निर्माण का शिलान्यास किया जाएगा. लेकिन पूर्व विधायक विनोद नारायण झा के नए आश्वासन के 5 साल बीत जाने व शिलान्यास के 24 साल बीत जान के बाद भी यहां के लोग सौ बेड अनुमंडलीय अस्पताल की आस में टकटकी लगाये हुए है.  

अभी तक नहीं मिल सका स्थायी बस स्टैंड
अनुमंडल स्थापना के करीब 23 वर्ष गुजरने के बाद भी एक अदद बस पड़ाव का न होना ही बेनीपट्टी में विकास के कार्यों की पोल खोलती नजर आती है. विगत कुछ वर्ष पूर्व बस स्टैंड के लिए बेनीपट्टी के संसारी पोखरा के निकट जमीन का सीमांकन किया गया था लेकिन इसके वाबजूद भी प्रशासन की लापरवाह रवैये के कारण उक्त जगह पर बस स्टैंड का स्थान्तरण नहीं हो सका. जिसके कारण बेनीपट्टी लोहिया चौक व थाना चौक से रोजाना सैकड़ों वाहन नेपाल, दरभंगा, पटना सहित अन्य जिलों के लिए रवाना होते हैं साथ ही रात्रि सेवा के तहत भी यहां से कई वाहन खुलते है लेकिन इन सब के वाबजूद अस्थायी बस पड़ाव होते हुए भी यहां शौचालय, चापाकल, रौशनी की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण खासकर महिला यात्रियों को यहां से यात्रा करने में काफी परेशानी झेलना पड़ता है. आस पास में बनें सभी यात्री शेड नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है बांकी जो बचे हुए है उसे अतिक्रमित कर यात्री शेडों में दुकानें खोल दी गई है.

अभी तक नहीं हुआ उपकारा का उद्घाटन
बेनीपट्टी अनुमंडल के लोगों की मांग पर न्यायिक व्यवस्था को सरल बनाने के लिए 63 एकड भूखंड अधिग्रहण कर सिविल कोर्ट व उपकारा भवन निर्माण का शिलान्यास 1992 ई. में पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने किया था. 24 वर्ष के लंबे इंतज़ार के बाद पिछले वर्ष सिविल कोर्ट का उद्घाटन तो हो गया लेकिन अभी तक उपकारा भवन निर्माण होने के वाबजूद भी का उद्घाटन नहीं हो सका है. जिसके कारण बेनीपट्टी अनुमंडल के मधवापुर, हरलाखी, बिस्फी, बेनीपट्टी सहित 9 थानों के लोगों को उपकारा का संचालन नहीं होने से खासा दिक्कत होता है. मंडल कारा रामपट्टी से कैदियों को पेशी के लिए प्रतिदिन वाहन से व्यवहार न्यायालय बेनीपट्टी लाया जाता है. जो की बेनीपट्टी से 40 किलोमीटर दूर है साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक है. लेकिन इन सब के वाबजूद भी बेनीपट्टी में बनकर तैयार उपकारा भवन के उद्घाटन के दिशा में प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. पिछले वर्ष मधुबनी मंडल कारा अधीक्षक प्रियंस टोप्पो व भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता रविंद्र प्रसाद सिंह ने बेनीपट्टी उपकारा भवन का निरीक्षण किया था. वहीं विभाग के कार्यपालक अभियंता ने उस समय जानकारी दी थी की रखरखाव नहीं होने के कारण उपकारा भवन जर्जर हो गया है, जिसे मरम्मत करने का आदेश दिया गया था.

थाने के मुख्य गेट के समीप होती है निजी वाहनों का पार्किंग 
बेनीपट्टी के थाना परिसर में एक ओर जहां पुलिस के द्वारा जब्त वाहनों को संरक्षण संसाधन के अभाव में बेतरतीब ढंगों से रखा जाता है तो पुलिस स्टेशन में चाहरदीवारी से घेराबंदी नहीं होने के कारण थाने के मुख्य गेट के समीप निजी वाहनों का जमावड़ा लगा हुआ रहता है. यूं कहें तो थाना परिसर को निजी पार्किंग स्थल बना दिया गया है. लेकिन प्रशासन की विवशता है की बेनीपट्टी में वाहन पार्किंग के लिए जगह चयनित नही होने के कारण अवैध पार्किंग करने वाले वाहन स्वामियों पर कार्रवाई नहीं कर पाती है. 

सड़कों पर रहता है कचरों का अंबार
एक तरफ जहां मुख्यालय के किसी भी चौक-चौराहों पर पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पायी है. वहीं साफ़-सफाई को लेकर चलाये गए पीएम नरेंद्र मोदी की खास स्वच्छता अभियान की भी यहां हवा निकलती नजर आ रही है, वहीं नाले का निर्माण न होने के कारण पूरे बेनीपट्टी की सड़कों पर कचरों का होना आम बात हो गई है. दूसरी ओर थाना के मुख्य गेट, हनुमान मंदिर, चित्रा सिनेमा, इंदिरा चौक के बगल में कचरों का अंबार लगा रहता है. कचरा पर गन्दा पानी फेकें जाने के कारण कचरा सड़ कर दुर्गंध दे रही होती है लेकिन इस समस्या का निराकरण करने वाला यहां कोई नहीं है. कचरा निस्तारण की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रशासनिक स्तर पर आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई.

बाजार में नहीं था एक भी सार्वजनिक शौचालय 
कुछ महीने पहेल तक बाज़ार में एक भी सार्वजनिक शौचालय सुचारू रूप से चालू नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. जनप्रतिनिधियों ने हमेशा यहाँ की जनता को छला है. मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने संघर्ष के बदौलत इस मांग को पूरा करवाया है. उधर, बरसात के मौसम में पानी तो दूर कहीं सही से ठहरने की तक व्यवस्था तक नहीं है. थाना मोड़ के पास निर्मित यात्री शेड पर अतिक्रमणकारियों के नजर लगने के कारण यात्रियों के ठहराव पर भी ग्रहण लग चुका है. 

दशकों से अतिक्रमण का शिकार है मुख्य बाज़ार
बेनीपट्टी अनुमंडल मुख्यालय की मुख्य सड़क के किनारे विगत एक दशक से अधिक से अतिक्रमण की स्थिति ऐसी है की सड़क किनारे सरकारी जमीनों पर भी छोटे-बड़े कई व्यवसायियों की दूकान भलीभांति फल-फुल रही है. व्यवसायियों की प्रतिद्वंदिता के कारण पूरा बाज़ार अतिक्रमण का शिकार होकर रह गया है. एक तरफ सड़क के किनारे जमीन पर दुकान लगाने वालों के बीच होड़ मची है वहीं प्रशासनिक अधिकारी अपनी जिम्मेवारियों से पल्ला झाड़ते नज़र आते है. अतिक्रमण मुक्त कराये जाने के मामले में सार्थक कदम नहीं उठाने से मुख्यालय में आये दिन छोटी-बडी दुर्घटनाएं होती रहती है. बाजार में काम से आये लोग भी बेतरतीब ढंग से अपना दो पहिया व चार पहिया वाहन सड़क पर ही लगाते हैं, जो यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. जिसके कारण अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है.

एक अदद गैस एजेंसी तक को तरसते लोग
बेनीपट्टी की हालात ऐसी है की अभी तक यहां एक गैस एजेंसी भी नहीं नहीं खुल पाया है. जिसके कारण आज भी लोंगो को दूसरों के सहारे या फिर गैस सिलेंडर का कालाबाजारी करने वालें लोगों के सहारा लेना पड़ता है. बेनीपट्टी में लगभग सात हजार से अधिक उपभोक्ता मधुबनी के गैस वितरक गीतांजली एजेंसी के माध्यम से उपभोक्ता बने हुए है. जिन्हें मधुबनी के पूर्व डीएम ने बेनीपट्टी में गैस की किल्लत को देखते हुए मधुबनी एजेंसी को सप्ताह में दो दिन बेनीपट्टी में शिविर लगाकर उपभोक्ताओं को गैस आपूर्ति करने का निर्देष दिया गया था. लेकिन एजेंसी के मनमानी के कारण विगत 3 वर्षों से यहां के हजारों उपभोक्ताओं को गैस की आपूर्ति नहीं की जा रही है.

दो कमरे में पढ़ते हैं 1200 छात्र
बेनीपट्टी से सटे 13 किलोमीटर की दुरी पर सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय, बसैठ की बदहाली ऐसी है की यहां संसाधन के अभाव में कई सालों से वर्ग संचालन पर ग्रहण लगा हुआ है. इस विद्यालय में 1200 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. विद्यालय की सामायिक परीक्षा स्कुल से दूर दुसरे जगहों पर लिया जाता है. उच्च विद्यालय के पूर्व के बने एक दर्जन कमरे क्षतिग्रस्त व जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो चूका है. जबकि विद्यालय के पास पांच बीघा का विशाल भूखंड है लेकिन बाउंड्रीवाल नहीं है, शौचालय की हालत बद से बदतर है, छात्रावास ध्वस्त हो चूका है. चापाकल एक है जो अक्सर खराब ही रहता है. इस उच्च विद्यालय को 2008 ई. में प्लस टू का दर्जा भी मिल चूका है लेकिन भवन निर्माण नहीं होने व जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के कारण यहां के छात्र विवशता का दंश झेलने को मजबूर है.

बेनीपट्टी-कटैया रोड बारिश में बन जाती है तालाब 
बेनीपट्टी इंदिरा चौक से कटैया रोड जाने वाली सड़क की जर्जरता ऐसी है हो चुकी है की आम दिनों में लोग वाहनों से यात्रा करने से डरते है. वहीं बारिश के दिनों में सड़क की स्थिति ऐसी हो जाती है की सड़क पर तालाब सा नज़ारा बन जाता है. सड़क पर बने गड्ढे व ईंट-रोडे़ बिखरे रहने के कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. यह सड़क बेनीपट्टी के सभी मुख्य शिक्षण संस्थान उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय, डा. एनसी कालेज, बीआरसी भवन तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय सहित कई प्राइवेट स्कूलों व आधे दर्जन डाक्टरों का निजी चिकित्सालय को जोडती है. लेकिन इस महत्वपूर्ण सड़क पर ईंट बिखरे रहने तथा गड्ढे़ हो जाने के कारण लोगों को सालों भर पीड़ा का सामना करना पड़ता है.

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