पटना,27 मार्च। केवल 5 दिनों के बाद ही बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी में जोरदार हंगामा हो। 22 मार्च को औरंगाबाद से लोग आकर प्रदेश मुख्यालय में धरना और प्रदर्शन के साथ टायर जलाकर आक्रोश व्यक्त किये थे। आज नालंदा के लोग धरना और प्रदर्शन किए। दोनों समय में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ आक्रोश व्याप्त किया गया। दोनों जिले के लोगों का कहना है कि हमलोगों ने कांग्रेस को जीताने के लिए मैदान बना लिए थे। उनके उम्मीदों पर वज्रपात कर दिया गया। इस तरह महागठबंधन के बीच में आॅल इज वेल नहीं है। पहले कांग्रेस का गढ़ औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र सत्येन्द्र बाबू का किला रहा है। इसके बाद उनके रिश्तेदार फतह करते आ रहे हैं। कांग्रेस के गढ़ को हम के हवाले कर दिया गया है। इससे लोगों में गुस्सा है। इनलोगों की तरह ही बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी भी नाराज हो गए हैं। वे काराकाट संसदीय सीट पर आंख गढ़ा लिए हैं। ऐसा समझा जाता है कि मगर यह सीट मिलने वाला नहीं है। बताते चले कि औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र 1950 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1952 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1957 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1971 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1977 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1980 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1984 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1989 में जनता दल के राम नरेश सिंह, 1991 में जनता दल के राम नरेश सिंह, 1996 में जनता दल के विरेन्द्र सिंह, 1998 में समता पार्टी के सुशील कुमार सिंह, 1999 में कांग्रेस के श्यामा सिन्हा, 2004 में कांग्रेस के निखिल कुमार, 2009 में जनता दल के सुशील कुमार सिंह और 2014 में भारतीय जनता पार्टी सुशील कुमार सिंह के सांसद बने। इस बार कांग्रेस के गढ़ को बर्बाद करने का प्रयास कर दिया गया है। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व करने वाले कांग्रेसी गढ़ को बचाने में नाकामयाब रहे। कांग्रेस ने सीट शेयरिंग के नाम पर औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र को महागठबंधन के हवाले कर दिया है। कयास लगाया जा रहा है कि इस ससंदीय क्षेत्र को हम पार्टी के हवाले कर दिया गया है। इसको लेकर कांग्रेसियों में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
गुरुवार, 28 मार्च 2019
बिहार : कौकब कादरी ने काराकाट सीट पर दांवा बोल दिया
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