बिहार : डिजिटल की महत्ता समझने लगे हैं हाशिए पर रहने वाले महादलित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 19 मार्च 2019

बिहार : डिजिटल की महत्ता समझने लगे हैं हाशिए पर रहने वाले महादलित

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समेली,19 मार्च। बकिया मुसहरी वार्ड नम्बर-12 के पूर्व वार्ड सदस्य रामलाल ऋषि ने कहा कि आज भारत में डिजिटल इंडिया को लागू करने पर बल दिया जा रहा है। सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं में लागू किया जा रहा है। इंडो ग्लोबल सोषल सर्विस सोसाइटी भी पीछे नहीं है। उसने अपने पार्टनर संस्थाओं के प्रतिनिधियों को कोलकाता में प्रशिक्षण दिया। जो पार्टनर संस्थाओं के प्रतिनिधियों के लिए सार्थक और लाभदायक रहा। वर्तमान समय में एमआईएस की आवश्यकता है। इस आवश्यकता को आई.जी.एस.एस.एस. ने भी स्वीकार किया। तब उसने प्रशिक्षण की व्यवस्था की। यहां से ट्रेनिंग लिये। अब उसका फायदा नजर सामने आने लगा है। अपने कार्य क्षेत्र को ग्लोबल बनाने में सहायक हो रहा है। अपने कार्यों को संसारभर में फैला रहे हैं। जनता की समस्याओं को एमआईएस माध्यम से लोगों और अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं। हम अपने कार्यों को पारदर्शिता बना रहे हैं। कोई भी लोग बेहद आसान ढंग से एक ही क्लिक में जानकारियों ले सकते हैं। वह सामने से कार्य की प्रगति का आकलन कर सकता है। एक ही जगह आय-व्यय का लेखाजोखा मिल जाएगा। जिस फिल्ड का व्यक्ति है और जो पाठक को पसंद है। वह अपनी मर्जी से अपनी जरूरतों को पूर्ण कर सकता है। 

इसमें गाउण्ड फ्लोर की जानकारी 
यहां पर गाउण्ड फ्लोर की जानकारी मिल रही है। जो सर्वें किये गए। उसका परिणाम सामने है। गांव,जनसंख्या,जाति आदि का विवरण है। जो कार्य संकल्प किया गया है। उसके अनुसार कार्य प्रगति पर है। उसकी वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त की जा रही है और यहां पर दी जा री है। हम क्या कर रहे हैं। क्या करने की जरूरत है। इससे पाठक को सीख मिल रही है। इनपुट और आउटपुट की जानकारी मिल रही है। कार्य प्रगति को ग्राफ के माध्यम से जानकारी मिल रही है। कुल मिलाकर एमआईएस से संस्था,डोनर और लोगों को फायदा ही फायदा मिल रहा है। एमआईएस एक टूल्स है। एक दर्पण है। दूसरों को आर्कषित करने का जरिया है। फास्ट जिंदगी को कम समय पर जरूरी चीज उपलब्ध करवाने का साधन है। यह अपने आप में सीखने की कला है। अपने कार्य को सुधारने का मौका प्रदान करने वाला है। एक-दूसरे से बेहतर प्रस्तुति करने की चुनौती प्रदान करता है।

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