पूर्णिया : मखाना उत्पादन तकनीक एक बेहतर विकल्प : डाॅ पारसनाथ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 27 मार्च 2019

पूर्णिया : मखाना उत्पादन तकनीक एक बेहतर विकल्प : डाॅ पारसनाथ

- राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना : दो दिवसीय मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
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पूर्णिया : भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया के द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना अंतर्गत सहायक निदेशक उद्यान सहरसा द्वारा वित्तपोषित दो दिवसीय मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण तकनीक विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन मुख्य अतिथि डाॅ पारसनाथ, सह अधिष्ठाता सह प्राचार्य भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया व उपस्थित किसानों, वैज्ञानिकों के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। स्वागत अभिभाषण में प्राचार्य ने महाविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी। साथ ही अनुपयुक्त निचली जमीन के विकास के लिए विकसित मखाना उत्पादन तकनीक का विस्तारपूर्वक वर्णन किया। केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे कौशल विकास मिशन के पाठ्यक्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्रयास से मखाना विषय पर 68 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्मिलित करने का प्रस्ताव बामेती, पटना को भेजा गया है। इस मौके पर सहरसा के किसान संताष गुप्ता, अखिलेश दास, भूषण चौधरी, कन्हैया झा, उदयकांत मिश्रा, बमशंकर मिश्रा, निरंजन मिश्रा, मनोरंजन मिश्रा, सुशांत कुमार सुमन, सुरेंद्र यादव एवं रमेश चंद्र ठाकुर ने मखाने की उन्नत किस्म, बीज की उपलब्धता, बोहराई यंत्र एवं लावा निकालने की मशीन के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। कहा कि मखाना फसल के साथ मछली पालन हम सभी किसानों के लिए काफी लाभकारी होगा। किसानों को इस प्रकार का प्रशिक्षण समय समय पर सरकार द्वारा मिलता रहे तो बिहार के सभी मखाना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। मखाना वैज्ञानिक तथा प्रधान अन्वेषक डाॅ अनिल कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि गठित मिथिलांचल मखाना उत्पादक संघ की सदस्यता लेने की सलाह दी। सरकार द्वारा मखाना फसल क्षेत्र के विस्तार एवं सही तरीके से खेती की पद्धति में मछली को शामिल कर किसानों की आय को दोगुना करना एक अच्छा माध्यम हो सकता है। उन्होंने महाविद्यालय द्वारा विकसित मखाना की प्रजाति सबौर मखाना-1 का कोशी क्षेत्र के किसानों के द्वारा अपनाकर पुरानी पद्धति से अधिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है। डाॅ पंकज कुमार यादव ने कहा कि किसी भी फसल को लगाने से पूर्व मिट्टी की जांच आवश्यक है। केंद्र सरकार द्वारा सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने की योजना चलाई जा रही है। मिट्टी जांच से पूर्व मृदा नमूना लेने की विधि एवं मिट्टी जांच की चर्चा करते मिट्टी में घटते कार्बन की मात्रा पर चिंता व्यक्त की। किसानों से कहा कि बिना मिट्टी जांच के किसी भी प्रकार के रासायन का प्रयोग मिट्टी में न करें। 

...फसलों के वार्षिक चक्र की दी जानकारी : 
मखाना में पोषक तत्वों के प्रबंधन के साथ कहा कि जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए मखाना के साथ मखाना आधारित विभिन्न फसलों के वार्षिक चक्र के बारे में बताया तथा कृषकों से कहा कि आप सभी सजग एवं सचेत रहकर फसलों का चयन करें। साथ ही कोशी क्षेत्र में अनुपयुक्त जलजमाव क्षेत्रों की उत्पादकता, लाभप्रदता में वृद्धि एवं टिकाऊ खेती के लिए मखाना उत्पादन की तकनीक का उचित उपयोग करें। मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर विशेष जोर देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम से कम करें। इस मौके पर महाविद्यालय के डाॅ जनार्दन प्रसाद, डाॅ रवि केसरी, डाॅ तपन गोराई, डाॅ रूबी साहा, जयप्रकाश प्रसाद, डाॅ माचा उदय कुमार एवं कर्मचारियों ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन मखाना वैज्ञानिक सह प्रधान अन्वेषक डाॅ अनिल कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ जेएन श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

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