पटना,22 मार्च। आज बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी में जोरदार हंगामा रहा। प्रदेश मुख्यालय में धरना और प्रदर्शन के साथ टायर जलाकर आक्रोश व्याप्त किया गया। यह सब विरोध प्रदेश स्तरीय नेतृत्व के खिलाफ है। जो कांग्रेस के गढ़ को बचाने में नाकामयाब रहे। औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र सत्येन्द्र बाबू का किला रहा। सात बार सत्येन्द्र बाबू विजय हुए हैं। एक बार श्यामा सिन्हा और निखिल कुमार। 2019 में निखिल कुमार को ही प्रत्याशी बनाने की मांग मुखर हो गयी है। 15 बार संसदीय चुनाव हुए हैं। इसमें कांग्रेस 9 बार,4 बार जनता दल, 1 बार समता पार्टी और 1 बार बीजेपी फतह कर पाया है। इस बार कांग्रेस ने औरंगाबाद सीट को छोड़ दी है। यह सीट हम को मिली है। बताते चले कि 1950 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1952 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1957 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1971 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1977 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1980 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह,1984 में कांग्रेस के सत्येन्द्र नारायण सिंह, 1989 में जनता दल के राम नरेश सिंह, 1991 में जनता दल के राम नरेश सिंह, 1996 में जनता दल के विरेन्द्र सिंह, 1998 में समता पार्टी के सुशील कुमार सिंह, 1999 में कांग्रेस के श्यामा सिन्हा, 2004 में कांग्रेस के निखिल कुमार, 2009 में जनता दल के सुशील कुमार सिंह और 2014 में भारतीय जनता पार्टी सुशील कुमार सिंह के सांसद बने। इस बार कांग्रेस के गढ़ को बर्बाद करने का प्रयास कर दिया गया है। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व करने वाले कांग्रेसी गढ़ को बचाने में नाकामयाब रहे। कांग्रेस ने सीट शेयरिंग के नाम पर औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र को महागठबंधन के हवाले कर दिया है। कयास लगाया जा रहा है कि इस ससंदीय क्षेत्र को हम पार्टी के हवाले कर दिया गया है। इसको लेकर कांग्रेसियों में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
शुक्रवार, 22 मार्च 2019
बिहार : बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी में जोरदार हंगामा
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