अरुण कुमार (आर्यावर्त) विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर बुधवार को गंगा ग्लोबल बीएड काॅलेज में लघु नाटक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।जिसमें सत्र 2018-20 के 22 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।प्रतियोगिता का आयोजन गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन के परफाॅर्मिंग आर्ट्स विभाग द्वारा किया गया। विभाग के प्रभारी प्रो. परवेज यूसुफ ने बताया कि भावी शिक्षकों को रंगमंच और नाट्य कला के प्रति जागरूक करने तथा एक कुशल शिक्षक बनाने के उद्देश्य से नाटक लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक बनकर जब किसी विद्यालय में जाएंगे तो वहां के बच्चों को लेकर कई प्रकार की एक्टिविटी करेंगे जिसमें अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम नाट्य मंचन भी होगा।जिसके लिए उन्हें नाटक को कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं होगी।बल्कि स्वयं से ये शिक्षक वहां की स्थिति और छात्रों की अनुसार नाटक लिख सकेंगे।दूसरी तरफ नाटक लेखन के माध्यम से लेखन कला में भी दक्ष हो सकेंगे।जो भाषा कौशल के अंतर्गत शिक्षकों का एक सशक्त हथियार है।इन भावी शिक्षकों को बताया गया कि आज नाट्यकला केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है बल्कि इस कला के माध्यम से बच्चों को शिक्षित और जागरूक कर सकेंगे जो केवल संवाद से संभव नहीं है।नाटक स्वयं साहित्य का एक सशक्त रूप है जो मंचन के समय दृश्य और श्रव्य के माध्यम से अपनी बात मजबूती के साथ अभिव्यक्त करने में सक्षम है।
प्रतिभागियों में शामिल रहे भावी शिक्षक
प्रतिभागियों में वीणा, कंचन, सुजाता, अपर्णा, देवकी, मनीषा, नीतू, प्रियंका, ब्यूटी, आकांक्षा, राजा कुमार, अजीत, सतीश, मोहन, चंदन, विक्रम, नितीश, दीपक, फैज़, रविशंकर, जितेन्द्र आदि काफी उत्साहित दिखे।इस अवसर पर संयोजक प्रो. परवेज़ यूसुफ़ तथा प्राचार्य डाॅ. शैलेन्द्र प्रताप दुबे के अलावा डाॅ. राजेश सिंह, प्रो. अनामिका, प्रो. सुधाकर पांडे, प्रो. विनोद, प्रो. विपिन, प्रो. नीलम, प्रो. अंजलि और प्रो. कामायनी उपस्थित थीं।
लेखन के लिए दिया गया नाटकों का शीर्षक
चिंजीस्त्री शिक्षागरीब की लड़की शून्य से अनंत की ओर अंधविश्वास दूर हुआ शिक्षित समाज शिक्षा में भेदभाव शुरुआत तो करोशिक्षा में समय का महत्वजीवन में मेहनत शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती शिक्षा का महत्वआदि विषयों पर लघु नाट्य लेखन प्रतियोगिता हुुुई सम्पन्न।
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