मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) जिला के बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा पंचायत के करहारा गांव के लोग अब भी आठ माह चचरी पुल, चार माह नाव एवं महराजी बांध के सहारे जीवन व्यतीत करते है। बीमार को खाट पर लादकर या फिर महराजी बांध के सहारे सोईली चौक लाया जाता है। आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी करहारा गांव विकास के लिए तरस रहे है। सड़क, टेलीफोन, यातायात जैसे मौलिक सुविधाओ से कोषों दूर है करहारा गांव। बेनीपट्टी मुख्यालय से महज सात किलोमीटर की दूरी पे अवस्थित है करहारा गांव। आने व जाने के लिए सड़क नहीं जहां महराजी बांध के सहारे ग्रामीण लोग आना जाना करते है। करहारा गांव में सड़क तक नही रहने के कारण वहां के लोगो की बेटे बेटिया की रिश्ता करने से दूसरे गांव के लोग करहारा गांव की हातल देख रिश्ता तक जोड़ना नही चाहते। आने जाने के लिए सड़क नही रहने के कारण कोई दुर्घटना या आगलगी जैसे घटना होती है तो न ही एम्बुलेंस पहुंच पाती है और न ही अग्निशामक गाड़ी। बरसात के दिनों तो करहारा गांव के सड़क पर लोगो के लिए घर से निकलना मौत को आमंत्रण देने के बराबर हो जाता है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से लोग समस्याओ की दर्द से कराह रहे है। नेताओ के द्वारा इसकी सुध तक नही ली जाती है। कई चुनाव आए व गए लेकिन करहारा गांव जश की तश समस्याओं से जूझ रही है।
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019
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मधुबनी : करहारा गांव के लोग चचरी पुल एवं महराजी बांध के सहारे जीवन व्यवतीत करते है।
मधुबनी : करहारा गांव के लोग चचरी पुल एवं महराजी बांध के सहारे जीवन व्यवतीत करते है।
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