मेडिकल एमरजेंसी, बिजली, पानी, शौचालय की सेवा में कमी पर चेन खींचने पर सजा नहीं, लेकिन सुनवाई के दौरान यह साबित होना चाहिए। स्टेशन पर सामान छूटने, परिवार का कोई सदस्य छूटने, उतरने के लिए चेन खींचने पर आप सीधे तौर पर दोषी हैं।
पटना,07 अप्रैल। रक्सौल से चलकर आने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस की चेन खींचकर रोक दी गयी। एक नहीं सैकड़ों की संख्या में मुसाफिर थे। इससे साबित होता है कि दीघा ब्रिज हाॅल्ट पर उतरने वालों की संख्या अधिक है। इसके आलोक में एक्सप्रेस ट्रेन को भी ठहराव की व्यवस्था करनी चाहिए। बताते चले कि पटना के पश्चिम में एक रेलवे स्टेशन है। उसका नाम है पाटलिपुत्र स्टेशन। जो पूर्वमध्य रेलवे द्वारा संचालित है और दानापुर रेलवे डिवीजन द्वारा प्रबंधित है, पटना-सोनपुर-हाजीपुर खंड पर है। इसके बीच में दीघा ब्रिज हॉल्ट है। दीघा ब्रिज हॉल्ट, स्टेशन कोड डीजीबीएच है। बिहार के 2.5 करोड़ की लागत से निर्मित इस हॉल्ट के प्लेटफार्म की लंबाई 400 मीटर है। यात्रियों की सुविधा के लिए यहां दो हैंडपंप और 5 शेड लगाए गए हैं। आज दोपहर में रक्सौल से चलकर आने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस की चेन खींचकर रोक दी गयी। एक नहीं सैकड़ों की संख्या में यात्री थे।
दीघा ब्रिज हॉल्ट में टिकट काटने वाले ने बताया कि यात्रियों की सुविधा नदारद है। दो हैंडपंप जवाब दे दिया है। इसके कारण शौचालय को बंद कर दिया गया है। जीआरपी और आरपीएफ पुलिस बहाल नहीं है। टेलिफोन नहीं रहने के कारण खुद का मोबाइल से आने और जाने वाली गाड़ी की जानकारी ली जाती है। इस हाॅल्ट पर केवल पैसेंजर गाड़ी का ठहराव है। मगर इस हाॅल्ट पर यात्रियों की मनमौजी चलती है। आपके सामने ही इंटरसिटी एक्सप्रेस की चेन खींचकर रोक दी गयी है। यहां पर टी.टी. भी नहीं रहते हैं। बताते चले कि रेलवे प्रावधान कर रखा है कि अगर अब आप ट्रेन में चेन पुलिंग करते पकड़े गए तो चेन खींचने से रेलवे को हुए नुकसान की भरपाई आपसे ही की जाएगी। अनावश्यक चेन पुलिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए यह कवायद शुरू की गई है। अब तक चेन पुलिंग में पकड़े जाने पर आरोपी 500 रुपये जुर्माना देकर आसानी से छूट जाता था। लेकिन अब रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) ऐसे मामलों में मजिट्रेट के समक्ष आरोप पत्र के साथ रेलवे को हुए नुकसान का ब्यौरा भी जमा कराने लगे हैं। इससे बिना वैध कारण के चेन खींचने वालों से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लिया जा रहा है।
जून में शुरू हुई कवायद
जून में रेल मंत्री द्वारा रेलगाड़ियों को उनके तय समय से चलाने के निर्देश देने के बाद आरपीएफ अधिकारियों की एक समीक्षा बैठक हुई। इसमें यह बात सामने आई कि चेन पुलिंग रेलगाड़ियों के लेट होने का एक प्रमुख कारण है। इससे रेलवे को तो लाखों का नुकसान होता है जबकि आरोपी आासानी से 500 या 1000 रुपये देकर छूट जाते हैं। अधिकारियों के मंथन करने पर यह निष्कर्ष निकाला की ऐसे केस में जांच अधिकारी अपनी विवेचना इतनी ठोस बनाए जिससे आरोपी पर भारी जुर्माना लगे और वह खुद भविष्य में चेन खींचने जैसा अपराध करने से बचे। साथ ही अन्य लोग भी इस बारे में जागरूक हों।
वाणिज्य विभाग तैयार करता है ब्यौरा
अभी तक रेलवे एक्ट 1989 की धारा 141 के तहत चेन पुलिंग होने पर पकड़े जाने पर अधिकतम 1000 रुपये का जुर्माना या एक साल तक की कैद का प्रावधान है। अमूमन मजिस्ट्रेट आरोपियों पर 500 रुपये ही जुर्माना कर उसे छोड़ देते थे। जुर्माना न देने की स्थिति में केवल नाममत्र केसों में ही एक माह की सजा होती थी। अब आरपीएफ का जांच अधिकारी रेलवे के वाणिज्य विभाग को केस की डिटेल भेजकर होने वाले नुकसान का ब्यौरा मांगता है। वाणिज्य विभाग ट्रेन कुल कितने मिनट लेट हुई, इससे रेलवे को कितना नुकसान हुआ बकायदा इसका पूरा हिसाब बनाकर आरपीएफ को देता है। इसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। मजिस्ट्रेट संतुष्ट हुए तो नुकसान की राशि के आधार पर ही जुर्माने की रकम तय होती है।
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