नयी दिल्ली, 11 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कला का उद्देश्य ‘‘प्रश्न करना और चिढ़ाना’’ होता है लेकिन समाज में असहिष्णुता बढ़ रही है और संगठित समूह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर गंभीर खतरा पैदा करते हैं। शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक फैसले में कीं जिसमें पश्चिम बंगाल में व्यंग्यात्मक फिल्म ‘भविष्योत्तर भूत’ के प्रदर्शन को अनुमति नहीं देने को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का स्पष्ट रूप से दुरुपयोग किया। अदालत ने रेखांकित किया कि राज्य लोगों को ‘‘आजादी नहीं देता’’ बल्कि वे (अधिकार) ‘‘हमारे अस्तित्व से’’ जुड़े हुए हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘समकालीन घटनाओं से पता चलता है कि असहिष्णुता बढ़ रही है, समाज में अन्य लोगों के अपना नजरिया स्वतंत्र रूप से रखने तथा इन्हें प्रिंट, सिनेमाघर या सेल्युलॉयड मीडिया में पेश करने के अधिकार को स्वीकार नहीं करना असहिष्णुता है। संगठित समूह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के अस्तित्व पर गंभीर खतरा पैदा करते हैं।’’ पीठ ने कहा कि कला का असली उद्देश्य प्रश्न करना तथा चिढ़ाना है।
शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019
समाज में बढ़ रही है असहिष्णुता : सुप्रीम कोर्ट
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