नयी दिल्ली, 10 अप्रैल, उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। इस तरह, लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने की राजद प्रमुख की उम्मीदों पर पानी फिर गया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लालू दोषी करार दिए गए व्यक्ति हैं और उनके द्वारा जेल में बिताया गया 24 महीनों का समय उन्हें सुनाई गई 14 साल की कैद की सजा की तुलना में कुछ भी नहीं है। पीठ ने कहा , ‘‘हमें नहीं लगता कि हम आपको जमानत पर रिहा कर सकते हैं।’’ इससे पहले, लालू की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें चार मामलों में दोषी ठहराया गया है और वह क्रमश: 24 महीने, 22 महीने, 20 महीने तथा 14 महीने जेल में रह चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक मामले में तो कई लोगों को बरी कर दिया गया, जो कि रसूखदार लोग थे। लेकिन मुझे (लालू को) 14 साल की कैद की सजा सुनाई गई।’’ इस पर पीठ ने कहा कि लालू चार मामलों में 24 महीने जेल में रहे हैं और वह उन्हें सुनाई गई सजा को विभाजित नहीं कर सकते। सिब्बल ने कहा कि कोई बरामदगी नहीं हुई और एकमात्र बड़ा अपराध जिसके तहत उन्हें दोषी ठहराया गया, वह आपराधिक साजिश का था। पीठ ने कहा कि मामले के गुण-दोष पर निर्णय उच्च न्यायालय करेगा। ‘‘इस समय हम केवल जमानत अपील पर सुनवाई कर रहे हैं।’’
सिब्बल ने लालू की ओर से कहा, ‘‘यदि मुझे जमानत पर रिहा किया जाता है तो मैं नहीं भागूंगा। मेरी अपील उच्च न्यायालय में नहीं सुनी जा रही। फिलहाल उच्च न्यायालय में 2004 के आगे की अपीलों पर सुनवाई हो रही है।’’ पीठ ने कहा कि अब नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए अदालतें हैं और वह झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से उनके मामले को सुनवाई के लिए विशेष अदालत के पास भेजने का अनुरोध कर सकती है। न्यायालय ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय को आपकी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपीलों में गुण दोष पर फैसला करने दिया जाए।’’ सिब्बल ने दलील दी, ‘‘यदि मुझे जमानत पर रिहा किया जाता है तो क्या खतरा है? ’’ पीठ ने कहा, ‘‘आप दोषी हैं, इसके सिवा कोई खतरा नहीं है।’’ न्यायालय के कहा, ‘‘...माफ कीजिएगा, हमें नहीं लगता कि आपको जमानत पर रिहा करेंगे। विशेष अनुमति याचिका (अपील) खारिज की जाती है। ’’ गौरतलब है कि सीबीआई ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में लालू की जमानत याचिका का जोरदार विरोध करते हुये कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने के लिए बीमार नेता ने अचानक से ‘पूरी तरह से फिट’ होने का दावा किया है। जेल की जगह पिछले आठ महीनों से अस्पताल में भर्ती लालू ने मेडिकल आधार पर और साथ ही अपनी पार्टी का नेतृत्व करने के लिये जमानत की मांग की थी ।
लालू पर रांची के एक अस्पताल से राजनीतिक गतिविधियां चलाने का आरोप लगाते हुये जांच एजेंसी ने कहा था कि एक ओर मेडिकल आधार पर जमानत का मुद्दा उठाना और साथ ही लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी अध्यक्ष के नाते सारी जरूरी जिम्मेदारियों को पूरा करने और पार्टी का मार्गदर्शन करने के लिये जमानत का अनुरोध करना परस्पर विरोधी है और याचिकाकर्ता मेडिकल आधार पर जमानत की आड़ में अपनी राजनीतिक गतिविधियां चलाना चाहता है जिसकी कानून के तहत अनुमति नहीं है। एजेंसी ने लालू की जमानत याचिका पर दाखिल अपने जवाब में पिछले कुछ महीनों में अहमद पटेल, डी राजा, डेरेक ओ ब्रायन, शरद यादव और हेमंत सोरेन सहित कई हाई-प्रोफाइल नेताओं के अस्पताल में उनसे मिलने के लिए पहुंचने का हवाला दिया। रांची के बिरसा मुंडा सेन्ट्रल जेल में बंद राजद प्रमुख ने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के झारखण्ड उच्च न्यायालय के 10 जनवरी के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। जिस समय चारा घोटाला हुआ था उस समय लालू बिहार मुख्यमंत्री के पद पर थे। लालू ने उच्च न्यायालय में अपनी उम्र और गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते हुये जमानत की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि वह मधुमेह, रक्तचाप और कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में पहले ही जमानत मिल गयी है। राजद सुप्रीमो को झारखण्ड में स्थित देवघर, दुमका और चाईबासा के दो कोषागारों से धोखे से धन निकालने के आरोप में दोषी ठहराया गया है। उन पर डोरंडा कोषागार से धन निकालने से संबंधित मामले में मुकदमा चल रहा है। वहीं, पिछले कुछ महीने से रांची के रिम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
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