आज तो भारत में ’सत्यमेव जयते, को झूठमेव जयते’ में बदल दिया है, ऐसा काम राजनेता ही करने में सफल हो रहे है। जिन दलों ने अभी तक अपने घोषणा पत्र जारी किये है, उनके घोषणा पत्र में भी गंगा के वास्तविक मुद्धों के ऊपर कोई ठोस कार्ययोजना या दृष्टि नहीं दिखायी दे रही है। गंगा के वास्तविक मुद्धे घोषणा पत्रों से गायब है।
भोपाला। 17वी लोकसभा के चुनाव के परिपेक्ष्य में अधिकांश राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र जारी हो गये है, सभी राजनैतिक दलों के घोषणा पत्रों में पेयजल, सिंचाई, नदी संरक्षण, गंगा पुर्नजीवन जैसे विषयों पर आधी-अधूरी बाते दिखायी दे रही है, भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में जल जीवन मिशन की शुरूआत करने की घोषणा की है जिसके तहत जल शक्ति मंत्रालय का निर्माण किया जायेगा, यह मंत्रालय देश के अलग-अलग हिस्सों में बडी नदियों को जोडने के कार्यक्रम को आगे बढ़ायेगा। हम सब जानते है कि नदीजोड परियोजना पूरे दुनिया में अंधिकाश जगहों पर असफल रही है जिसके कई वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय कारण है। जो योजना नदीजोड परियोजना देश के हित में नहीं है बल्कि नदियों को पुर्नजीवित करने की योजना प्रारम्भ करनी चाहिए। भाजपा ने भी 2024 तक हर घर नल का पानी उपलब्ध कराने का वादा अपने घोषणापत्र में किया है। हम जानते है कि इस देश के 350 से अधिक जिले सूखाग्रस्त है जल संकटग्रस्त क्षेत्रों राज्यों में बढोत्तरी होती जा रही है, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता निरन्तर कठिन होती जा रही है ऐसे में बिना किसी तैयारी के यह वादा अव्यवहारिक है पानी की उपलब्धता में स्थिरता बनाये रखने के लिए विशेष रूप से ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज की बात कही गयी है लेकिन यह कैसे होगा लेकिन यह कैसे होगा, इसके लिए क्या ढांचा उपलब्ध होगा संसाधनों की उपलब्धता कहां से होगी। केन्द्र एवं राज्यों की क्या भूमिका होगी यह सब बाते है कही भी घोषणापत्र में दिखायी नहीं देती, जिससे लगता है कि सरकार बिना किसी तैयारी देश के सभी घरो को नल से जल उपलब्ध कराने का ख्याली वादा कर रही है। पार्टी के द्वारा गंगा की अविरलता के सवाल को सुनिश्चित करने के लिए कोई अपना दृष्टि पत्र जारी नहीं किया है सिर्फ निर्मल एवं अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता को बताया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गंगा एवं शुद्ध पेयजल के मुद्धे पर सिर्फ सतही बाते की है कोई व्यापक कार्ययोजना घोषणापत्र में नहीं दिखायी है। कांग्रेस सभी के लिए पेयजल उपलब्धता का वादा करती है और इसके लिए एक अलग मंत्रालय बनाना का वादा कर रही है।
मंत्रालय बनाने से पानी के संकट का समाधान नहीं होगा बल्कि पूरे भारत में जल साक्षरता के मिशन के लागू करने का कार्य करना होगा बिना जल साक्षरता के व्यापक अभियान एवं जन सहभागिता के अभाव में जल संरक्षण की मुहिम पूरी नहीं हो सकती है ना ही हर घर को नल सेजल दिया जा सकता है। देश की 90 प्रतिशत छोटी नदियां सूख गयी है बडी नदियां न्यूनतम प्रवाह में बह रही है नदियों के जलस्तर बढाने के लिए भूगर्भीय जल के स्तर को नीचे जाने से रोकना होगा। जल संरक्षण एवं प्रबन्धन के व्यापक उपाय करने होगे, सभी राजनैतिक दल सिर्फआधी-अधूरी बातों से जल एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्धे पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाकर जनता के वोट लेना चाहते है। जनता जागरूक होने की आवश्यकता है। जल जन जोडो अभियान द्वारा देश भर में जनता घोषणा पत्र को जारी किया जा रहा है अब तक कई राज्यों जारी किया जा चुका है जैसे- दिल्ली, कर्नाटक, आंध्रा, तेलगंना, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, केरल आदि में घोषणा पत्र जारी किया जा चुका है। जल जन जोडो अभियान देश भर के सभी राज्यों में जनता के मुद्धों को लेकर भारत की जनता का घोषणा पत्र जारी कर रहा है इस चुनाव में असली मुद्धे गायब है सिर्फ चुनाव जीतने के लिए वादे किये जा रहे है। पहले चुनावों में बूथ लूटे जाते थे आज सम्पूर्ण चुनाव घोषणा पत्रों और मीडिया में लोक लुभावने वादे करके लूटा जा रहा है, जिसका जीता-जागता उदाहरण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा की अविरलता, निर्मलता के लिए खूब वादे किये गये थे, उन वादों के आधार पर अपार जन समर्थन प्राप्त किया और सत्ता में आये और बाद में घोषणा पत्र में किये गये वास्तविक वादे भूल गये। लोकसभा चुनाव 2019 में गंगा मां की सेहत के लिए अब आवश्यक वादे नहीं किये जा रहे है, क्योंकि अब गंगा मां के नाम पर वोट नहीं बटोरे जा सकते, मतदाता को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है। चुनाव आयोग को घोषणा पत्रों में किये गये वादो को वास्तविक रूप से लागू करने के लिए कानून बनाया जानाचाहिए। विधानसभा चुनाव 2018 किसान कर्ज मुक्ति नहीं बल्कि कर्ज माफी का मुद्दा बना रहा।
2019 का चुनाव भी ऐसा ही हो रहा है। पर्यावरण बिगाड़ने वाले वोट खरीदेंगे, पानी व हवा को दूषित करने वाले वोट खरीदने वालों का सहयोग करेगे। जलवायु परिवर्तन से बेमौसम बरसात होने के कारण मिट्टी कटकर बहती रहेगी। जिसका प्रभाव हमारी धरती पर बाढ़-सुखाड़ लेकर आता रहेगा। बाढ़-अकाल (सूखा) राहत के नाम पर भारत का खजाना खाली होता रहेगा। सरकारों के चहेते राहतकोष, जलवायु प्रबंधन के नाम पर योजना बनाते रहेंगे और अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहेंगे। सरकारे ‘नमामि गंगे जैसी भ्रष्टाचारयुक्त योजनाएं बनाती रहेंगी। राजनैतिक दलों के घोषणापत्र दिखावा करके वोट लेने वाला भ्रमजाल फैलाते रहेंगे। जो जितना ज्यादा झूठ सफाई से बोलेगा, वही उतनी ही वोटों की कमाई अपने लिए कर लेगा। आज तो भारत में ’सत्यमेव जयते, को झूठमेव जयते’ में बदल दिया है, ऐसा काम राजनेता ही करने में सफल हो रहे है। जिन दलों ने अभी तक अपने घोषणा पत्र जारी किये है, उनके घोषणा पत्र में भी गंगा के वास्तविक मुद्धों के ऊपर कोई ठोस कार्ययोजना या दृष्टि नहीं दिखायी दे रही है। गंगा के वास्तविक मुद्धे घोषणा पत्रों से गायब है। जनता घोषणा पत्र को आज भोपाल के गांधी भवन में जारी किया गया इस अवसर पर जल पुरूष राजेन्द्र सिंह, जल जन जोड़ो के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मनीष राजपूत, मध्य प्रदेश की राज्य समन्वयक आभा शर्मा उपस्थित रहे।
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