- प्रतिमाह 80 मरीजों को किया जाता है हायर सेंटर रेफर- सदर अस्पताल में डॉक्टर और संसाधन होने के बाद भी मरीजों का नहीं होता है इलाज
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : पूर्णिया शहर को मेडिकल हब के नाम से जाना जाता है। यहां सैंकड़ो की संख्या में प्राईवेट नर्सिंग होम व अस्पताल है। लेकिन जिले के लोगों की बदनसीबी है कि इतने सारे सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम होने के बाद भी शहर में इलाज नहीं हो पाता है। लोगों का पैसे तो डॉक्टर एेंठ लेते है लेकिन जब भी मरीज गंभीर हो जाते हैं तो उसे हायर सेंटर के नाम पर रेफर कर दिया जाता है। कुछ ऐसी ही बदहाली सरकारी अस्पतालों की भी है। सरकारी अस्पतालों में भी मरीज को इलाज या देखने वाला कोई नहीं है। जब भी मरीज की हालत गंभीर होती है तो अस्पताल के डॉक्टर हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। सदर अस्पताल में जिलें के विभिन्न सरकारी अस्पतालों से हर रोज करीब 30-40 के संख्या में मरीजों को रेफर किया जाता है। अस्पताल सूत्र की मानें तो कभी तो 50 से उपर की संख्या मरीजों की पार कर जाती है। इनमें कई मरीज गंभीर रूप से घायल या बीमार होते हैं। मरीजों की हालत को देख कर सदर अस्पताल से भी हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। एक से दूसरे अस्पताल में ले जाने के क्रम में मरीज की हालत और भी बिगड़ जाती है। अस्पताल के डॉक्टर रिस्क नहीं लेना चाहते है और हायर सेंटर रेफर कर काम चला लेते हैं। अस्पताल सूत्र की मानें तो हर माह करीब 80 से अधिक मरीजों को बाहर रेफर किया जाता है। इस रेफर के चक्कर में कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। कई मरीजों की मौत तो अस्पताल में इलाज के दौरान ही हो जाती है। लेकिन डॉक्टर हंगामा होने के डर से मरे हुए मरीज को रेफर कर देते हैं। चार दिन पहले भी लाइन बाजार में एक निजी क्लीनिक में मरीज की ऑपरेशन के दौरान ही मौत हो गई। डॉक्टर ने हंगामा होने के डर से मरीज को भागलपुर रेफर कर दिया। जिसे लेकर क्लीनिक में परिजनों ने काफी हंगामा किया था।
...सदर अस्पताल में डॉक्टर और संसाधन होने के बाद भी मरीजों का नहीं होता है इलाज :
सदर अस्पताल और जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज के लिए डॉक्टर, नर्स, ऑपरेशन थिएटर, दवा व अन्य सभी तरह के संसाधन उपलब्ध है। जिले में आमलोगों की सुविधा के लिए 20 सरकारी अस्पताल है। जिसमें एक सदर अस्पताल, तीन रेफरल अस्पताल व आठ के संख्या में प्राथमिक स्वास्थ केंद्र है। इन सभी अस्पतालों में सभी तरह के संसाधन उपलब्ध है। लेकिन उसके बाद भी मरीज को बाहर रेफर कर दिया जाता है।
...आईसीयू सेवा है सिर्फ वीआईपी लोगों के लिए अन्य मरीजों को किया जाता है रेफर :
वैसे सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू वार्ड भी है। लेकिन यह वार्ड आम लोगों को नसीब नहीं है। अस्पताल में हर रोज सैंकड़ो मरीज इलाज के लिए आते है इनमें कई मरीज काफी गंभीर होते है। ऐसे मरीजों को आसीयू की जरूरत पड़ती है। लेकिन इन गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को आईसीयू सुविधा के लिए प्राईवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। जो आमलोगों के लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं है और आईसीयू के अभाव में अस्पताल में ही दम तोड़ देते है। अस्पताल सूत्र की मानें तो अब तक एक भी मध्यम या गरीब वर्ग के लोगों को आईसीयू में नहीं रखा गया है। यह सेवा सिर्फ वीआईपी और पैसे वालों को ही नसीब है।
...सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ इंद्र नारायण से सीधी बात :
सवाल : सदर अस्ताल से हर रोज मरीजों को रेफर किया जाता है एेसा क्यों होता है?
जवाब : सदर अस्ताल में हर रोज अन्य अस्पतालों से भी मरीज रेफर हो कर आते है, जिसमें कई मरीज काफी गंभीर होते है ऐसे मरीजों को ही रेफर किया जाता है।
सवाल : सभी तरह का संसाधन उपलब्ध है फिर भी ऐसा हाल क्यों?
जवाब : जिले के अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर और कर्मीयों की भारी कमी है इसलिए गंभीर मरीजों का इलाज में काफी कठिनाई होती है।
सवाल : अस्पताल में आईसीयू में आम नागरीकों काे क्यों नहीं रखा जाता है?
जवाब : आईसीयू एक सघन चिकित्सा वार्ड है यहां डॉक्टरों की कमी के कारण आम नागरिकों का इलाज नहीं हो पाता है। इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
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