कुमार गौरव/निक्कू झा । चंपानगर : उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत या विद्याध्ययन आरंभ करने का संस्कार भी कह सकते हैं। हिंदू धर्म में यह बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है। सोलह संस्कारों में इसे दसवां संस्कार कहा जा सकता है। क्योंकि यह नवम संस्कार कर्णभेद के बाद किया जाता है। इस संस्कार का मुख्य उद्देश्य जातक की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना होता है। हमारे समाज में उपनयन को बहुत ही महत्ता दी गई है। जिसमें बहुत ही विधि विधान के साथ उपनयन संस्कार संपन्न किया जाता है। सामाजिक सरोकार से ताल्लुक रखने वाले चंपानगर के कोहवारा के पंचायत के कोहवारा गांव निवासी त्रिलोकीनाथ पाठक ने एक साथ 88 बरूवा (बटुक) का सामूहिक उपनयन करवाकर एक मिसाल कायम की है। बता दें कि वर्तमान में उपनयन ही नहीं बल्कि सभी संस्कारों का स्वरूप बदल चुका है लेकिन उपनयन संस्कार में बहुत बदलाव आया है। इसका कारण यह है कि अब विद्या ग्रहण करना सबका अधिकार है और जैसे ही बच्चा सोचने समझने चलने फिरने बोलने के लायक होता है माता पिता उसे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र, प्ले स्कूल आदि में दाखिल करवा देते हैं। निजी स्कूलों में तीन से चार साल की आयु में ही बच्चे का दाखिला कर लिया जाता है तो राजकीय विद्यालयों में भी 6 वर्ष की आयु से बच्चों की शिक्षा आरंभ हो जाती है। फिर भी हिंदू धर्म को मानने वाले कुछ समुदायों में इस संस्कार को भी विधि विधान से किया जाता है।
...88 बरूवा को किया गया संस्कारित :
पूर्णिया अररिया एवं भागलपुर जिले से आए पंडितों एवं आचार्यों द्वारा सभी बरूवा को यज्ञोपवित कर सुसंकृत व संस्कारित किया गया। विदित हो कि इस सामूहिक उपनयन संस्कार में सहरसा, मधेपुरा एवं कटिहार समेत जिलों से कुल 88 बरूवा पहुंचे। जहां सभी बरूवा ने आचार्यों एवं ब्रह्मा पुरोहितों से यज्ञोपवित संस्कार में भाग लेकर लाभान्वित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ 6 अप्रैल को बांस काटन एवं मरूआ निर्माण से किया गया। वहीं दूसरे रोज 9 अप्रैल को कुम्हरम, भगवती पूजा एवं जुटिका बंधन के साथ सभी बरूवा आचार्य एवं बालपरिछनों ने गंगा सागर में स्नान वैदिक मंत्रोचार के साथ किया। वहीं तीसरे रोज 10 अप्रैल को सभी 88 बरूवा का शुभ उपनयन संस्कार मुंडन एवं जनेऊ धारण आचार्यों एवं ब्रह्मा पुरोहितों द्वारा ब्रह्म वैदिक मंत्रोचार के साथ संपन्न कराया गया। प्रत्येक बरूवा के साथ 15 से 20 व्यक्ति अतिथि स्वरूप संस्कार में भाग लिया। यज्ञ का पूरा खर्च यज्ञकर्ता द्वारा किया गया।
...शिखा सूत्र रहस्य पुस्तक का किया वितरण :
सभी बरूवा के बीच ब्राह्मण समाज के पूर्व प्रदेश महासचिव सह सेवानिवृत्त माध्यमिक शिक्षक नित्यानंद मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक शिखा सूत्र रहस्य निशुल्क वितरण किया गया। जिसे पढ़कर सभी यज्ञ के सभी लोग सुसंस्कृत एवं सभी नियमों का अपने जीवन में पालन किए। यज्ञकर्ता त्रिलोकीनाथ पाठक के सुपुत्र राजेशनाथ पाठक द्वारा संपूर्ण यज्ञों की समुचित व्यवस्था निर्धारण समय से अंजाम दिया गया एवं इस यज्ञ में सभी कार्यों का विधिवत समापन किया गया। ब्राह्मण महासभा के पूर्व महासचिव सह सेवानिवृत्त बैंक पदाधिकारी केएन ठाकुर, सेवानिवृत्त माध्यमिक शिक्षक नित्यानंद मिश्र द्वारा संयुक्त रूप से यज्ञकर्ता त्रिलोकीनाथ पाठक को अंगवस्त्र, पाग एवं माला पहनाकर एक पुस्तक के साथ सम्मानित किया।
...पूरे मिथिलांचल में नहीं हुआ ऐसा आयोजन :
श्री ठाकुर ने बताया कि ऐसा सामूहिक उपनयन संस्कार पूर्णिया से लेकर दरभंगा एवं मधुबनी जिले तक किसी ने नहीं किया था। यह यज्ञ समारोह एक उदाहरण एवं प्रदेश एवं समाज के लिए अनूठा व अनुकरणीय है। श्री ठाकुर ने बताया कि जो भी सक्षम परिवार अपने बच्चों का उपनयन संस्कार करते हैं वे कम से कम 5 बच्चों का संस्कार करावें। ताकि आर्थिक स्थिति से कमजोर परिवार के बच्चे भी सही समय पर उपनयन संस्कार करा सके। इस यज्ञ में आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों ने भाग लेकर सहयोग किया। कार्यक्रम के सफल संचालक राजेशनाथ पाठक, पप्पू पाठक, शैलेश पाठक, अवधेशनाथ पाठक, विनोद चंद्र झा उर्फ बिंदी झा, मुन्ना झा, माधव कृष्ण झा के अलावा स्थानीय ग्रामवासियों का सराहनीय सहयोग रहा।
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