अरुण कुमार (आर्यावर्त) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के नारायणा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा कॉरपोरेट सेक्टर से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों का चयन पूरी तरह गैर- संवैधानिक और देश के लिए बहुत खतरनाक फैसला है।देश के आईएएस,आईपीएम, आईआरएस के अधिकारियों को नीचा दिखाने, उन्हें बे-इज्जत करने का यह सरकारी कदम है, जो देश के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाकर लगातार कार्य करते रहे हैं।सरकार की इस नीति से देश में निजीकरण की नीति कैंसर की तरह फैलेगा।सरकार का यह फैसला बहुत ही आपत्तिजनक,राष्ट्र विरोधी और स्थापित राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है।वे सीपीआई कार्यालय कार्यानंद भवन में शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।इस मौके पर सीपीआई राज्य कमेटी सदस्य विश्वजीत व एसएन आजाद मौजूद थे।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2018 में एक सरकारी आदेश द्वारा राजनीति पार्टियों के लिए "चुनावी बॉन्ड" खरीदने का प्रस्ताव दिया है,जो अति-गोपनीय है।सभी पार्टियों के लिए राजनीतिक कोष पारदर्शी होना चाहिए और जनता के प्रति जवाबदेह भी होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट का चुनावी ब्रांड पर आदेश भाजपा के लिए बड़ा तमाचा है।उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय ने इसमें हस्तक्षेप करते हुए"चुनावी बॉन्ड"की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए,सरकार को निर्देश दिया है कि "चुनावी बॉन्ड" से संबंधित सभी दस्तावेज न्यायालय के सामने प्रस्तुत किये जाएँ। उच्चतम न्यायालय का यह आदेश मोदी सरकार के चेहरे पर जोरदार तमाचा है।भाकपा राजनीतिक कोष की पारदर्शिता का पूर्ण समर्थन करती है,लालू प्रसाद यादव के समर्थकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि कन्हैया कुमार बेगूसराय से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैंं।राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी भाजपा के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं।मोदी सरकार के खिलाफ कन्हैया कुमार पूरी मजबूती से लड़ रहे हैं।पिछले साल जब कन्हैया कुमार लालू जी से दिल्ली अस्पताल में मिले थे,तो लालू जी ने उन्हें बधाई देते हुए आश्वस्त किया था कि तेजस्वी के साथ मिलकर वे मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ायें.इस परिप्रेक्ष्य में हम लालू प्रसाद यादव और उनके समर्थकों से अपील करते हैं कि मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष को मजबूत करने के लिए बेगूसराय से डा.कन्हैया कुमार की उम्मीदवारीका समर्थन करें ताकि मोदी को एक राजनीतिक सीख मिल सके।और आम जन-मानस भी मोदी को समझ सके।
रविवार, 14 अप्रैल 2019
बिहार : कारपोरेट सेक्टर से संयुक्त सचिव के अधिकारियों का चयन गैर संवैधानिक
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