बेगूसराय,कुमार प्रद्योत।वर्तमान लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय क्षेत्र सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला संसदीय क्षेत्र रहा है,बेगूसराय पर पूरे देश की नजर गड़ी हुई है इसका मुख्य कारण है जवाहर लाल विश्वविद्यालय केे भूतपूर्व छात्र नेता कन्हैया का यहां से चुनाव लड़ना। कन्हैया की जीत होती है या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन कन्हैया की वजह से बेगूसराय पर पूरे देश की नजर पड़ी हुई है,यहां पर देेेश तमाम मीडिया के दिग्गजों ने दस्तक दी है परिणाम 23 मई 2019 को होना तय है।देश के तमाम मीडिया कर्मियों ने अपने टीआरपी को बढ़ाने के लिए यहां के त्रिकोणीय मुकाबले को दो लोगों के बीच में लाकर खड़ा कर दिया है वह है कन्हैया और गिरिराज सिंह अगर जमीनी हकीकत की हम बात करें तो कन्हैया कहीं भी मुकाबले में है ही नहीं यहां पर सीधा मुकाबला गिरिराज सिंह और महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन की बीच है यह बात और है कि कन्हैया को मीडिया ने जिस तरीके से प्रस्तुत किया इस चुनाव में परिणाम ठीक उसका उल्टा होगा। अगर गौर करें तो कन्हैया का बेगूसराय में कोई भी राजनीतिक अस्तित्व नहीं रहा है जबकि तनवीर हसन का राजनीतिक अस्तित्व रहा है और गिरिराज सिंह का भी राजनीतिक अस्तित्व रहा है देश के स्तर पर।कन्हैया कुमार देशद्रोही के रूप में उभरने वाला बीजेपी के भूल का फूल है, यह अलग बात है कि बीजेपी ने उसको देशद्रोही से नवाजा था लेकिन यह बात अभी तक साबित नहीं हो पाई है इस वजह से देशद्रोही कहना सर्वथा गलत होगा लेकिन कन्हैया बीजेपी के बहुत बड़ी भूल का परिणाम है।बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने एक अदना सा छात्र नेता को देश का हीरो बना दिया जो बीजेपी के लिए ही संकट बनकर खड़ा हो गया। कन्हैया की पीछे कोई मजबूत जनाधार नहीं था सीपीआई के तमाम पुराने बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं को बहुत ज्यादा तरजीह नहीं दिया गया यह सच है कहने को सारे नेता कन्हैया के साथ चल रहे थे लेकिन दिलों में कहीं न कहीं दूरी बनी हुई थी,बेगूसराय जिला के लगभग सभी महत्वपूर्ण गांव में कन्हैया का आंतरिक विरोध होता रहा कोई भी राजनीति को समझने वाला व्यक्ति कन्हैया को वोट नहीं किया होगा यह तय है।भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह एक तरफ जहां जीत के प्रबल दावेदार हैं वहीं दूसरी तरफ तनवीर हसन भी मुस्लिम और यादवों के वोट को लेकर अपनी जीत को लेकर अस्वस्थ दिख रहे हैं और इस बात में सच्चाई भी है कि मुस्लिम,यादव और आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त तरीके से तनवीर हसन को जिताने के लिए अपना मतदान किया है हालांकि गिरिराज सिंह के समर्थक भी इस बात को मान रहे हैं कि उनकी जीत सुनिश्चित है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गिरिराज सिंह को लेकर बीजेपी में आंतरिक विरोध भी होता रहा है हालांकि यह बात कहीं भी उभर के सामने नहीं आई पूरे चुनाव के दरमियान लेकिन इसमें कहीं न कहीं सच्चाई भी है गिरिराज सिंह का जीत जाना अगर मुमकिन है तो तनवीर हसन का हार जाना भी नामुमकिन है इसी कशमकश के बीच से गुजरा है बेगूसराय का संसदीय चुनाव 2019।
शुक्रवार, 10 मई 2019
बेगुसराय : शह और मात के बीच फंसी है जीत की सांस
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