मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) ई रिक्शा के बाजार में आने से एक ओर जहां ईंधन,ऊर्जा और समय की बचत हो रही है और इसको चलाने वालों की अच्छी खासी कमाई भी हो रही है । वहीं दूसरी ओर इसका बड़ा दुष्प्रभाव पारंपारिक रिक्शा चालकों पर पड़ रहा है । अब यात्री पारंपरिक रिक्शा की बजाय ई रिक्शा को ज्यादा पसंद कर रहे हैं । जिस कारण पारंपरिक रिक्शा चालकों को सवारी नही मिल रही है और उनकी कमाई पहले काफी कम हो गई है ।ऊपर से बढ़ती महंगाई में उनके सामने कई संकट खड़े हो गए हैं । पारंपरिक रिक्शा चालक अब परिवार के खर्च जुटाने और अपने बच्चों की परवरिश और पढ़ाई के खर्चों को लेकर काफी परेशान दिख रहे हैं । ये बात और है कि कुछ रिक्शा चालकों ने पारंपरिक रिकशा को छोड़ ई रिक्शा चलाना शुरू कर दिया है । लेकिन ऐसे रिक्शा चालकों की संख्या काफी कम है । वहीं ज्यादातर जो गरीब और उम्रदराज रिक्शा चालक हैं जो ई रिक्शा खरीदने में असमर्थ हैं । जिस कारण वो भाड़ी आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं ।
रविवार, 12 मई 2019
मधुबनी : ई रिक्शा ने छीना है गरीबों का निवाला
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