- विभाग को पता तक नहीं- दवा की कीमत एमआरपी रेट से अधिक वसूली जा रही है
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में दवा विक्रेताओं की भरमार है। एक आंकड़े की माने तो पूर्णिया शहर में दस हजार से अधिक दवा दुकानें संचालित हैं। इनमें कुछ दुकानों पर नकली व एक्सपायर्ड दवा भी बेची जा रही है। यहां तक कि प्रतिबंधित दवा भी चोरी छिपे बेची जा रही है। जिससे मरीजों की जान सांसत में है। इस दवा के सेवन से मरीज ठीक होने के बदले अधिक बीमार या फिर मौत की आगोश में जा सकते हैं। दवा व्यापारी कम समय में अधिक पैसे कमाने की चाहत में यह गोरखधंधा कर रहे हैं। लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि इतनी बड़ी लापरवाही की भनक अब तक स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को नहीं लगी है। हालांकि विभाग के अधिकारी समय समय पर दवा दुकानों में छापेमारी कर खानापूर्ति तो कर लेते हैं लेकिन कुछ दिनों के बाद स्थिति दोबारा पूर्ववत ही हो जाती है। ऐसा ही मामला लाइन बाजार में देखने को मिला है। गुलाबबाग निवासी आकाश कुमार ने बताया कि उनकी मां सुमन देवी डायबिटीज रोग से पीड़ित है और लाइन बाजार बिहार टॉकिज रोड स्थित डॉ उमेश कुमार के क्लीनिक में इलाजरत रहा है। आकाश ने बताया कि 29 अप्रैल को उन्होंने अपनी माता सुमन देवी का इलाज लाइन बाजार के ही एक डॉक्टर से कराया। जिसने कोबामोस्ट-ओडी नामक दवा लिख दी। बताया कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा क्लीनिक के नीचे संचालित मानवी मेडिकल हॉल से खरीदी गई। पीड़ित ने बताया कि दवा दुकानदार ने जीएसटी बिल भी बनाकर दिया। जब घर आकर दवा की तिथि देखी तो उनके होश उड़ गए। आकाश ने बताया कि दवा जनवरी में ही एक्सपायर्ड हो गई थी। पीड़ित ने इस संबंध में सहायक औषधि नियंत्रक पूर्णिया के समक्ष शिकायत की।
...दवा के रैपर में कुछ बिल में कुछ :
मरीज सुमन देवी के लिए जो कोबामोस्ट-ओडी दवा मानवी मेडिकल हॉल से खरीदी गई है उसका बिल नंबर 0003067 है। जिसे 29 अप्रैल को खरीदा गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि दवा का रैपर और बिल में लिखी दवा का एक्सपायरी डेट से कोई मिलान नहीं है। दवा के रैपर में एमआरपी डेट सितंबर 2017 है जबकि दवा का एक्सपायरी डेट फरवरी 2019 है। लेकिन मरीज को प्राप्त बिल में दवा का एक्सपायरी डेट दिसंबर 2019 लिखा हुआ है। लेकिन आधिकारिक तौर पर दवा का एक्सपायरी डेट रैपर पर लिखा हाेता है। जिससे स्पष्ट होता है कि दवा विक्रेता के द्वारा लापरवाही बरती गई है।
...वसूली गई अधिक कीमत :
मरीज को जो कोबामोस्ट-ओडी दवा दी गई है उसके रेट में भी दवा दुकानदार ने घपलाबाजी की है। दवा कंपनी से तय रेट से अधिक दुकानदार ने अपने ग्राहक से बिल के माध्यम से वसूली की है। कोबामोस्ट-ओडी दवा एक पत्ता में दस टैबलेट है। जिसकी कीमत प्रति पत्ता 120 रुपया अंकित है। लेकिन मानवी मेडिकल हॉल से दिए गए बिल में 120 रुपए की जगह 135 रूपया लिया गया है। सुमन देवी ने तीन पत्ता दवा ली थी। जिसकी कीमत 360 रुपया मात्र है। लेकिन दवा दुकानदार ने मरीज से एक पत्ता का 135 रूपए की दर से तीन पत्ता का 465 रुपए का बिल थमा दिया है। यानी कंपनी द्वारा तय एमआरपी रेट से भी ज्यादे का बिल दिया गया।
...बाहर नहीं मिलती है दवा :
मरीज सुमन देवी के पुत्र आकाश कुमार ने बताया कि दवा खरीदने के बाद डॉक्टर के पास बैठे कंपाउंडर से भी दिखाया गया था। कंपाउंडर ने दवा को बारिकी से देख कर ठीक होने की बात कही थी। आकाश ने बताया कि डॉक्टर और दवा दुकानदार की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है। पीड़ित ने बताया कि डॉ उमेश कुमार के द्वारा लिखी गई दवा उनके ही क्लीनिक में स्थित दवा दुकान में मिलती है। बाहर कहीं दूसरी दुकान में दवा नहीं मिलती है।
...शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई :
एक्सपायर्ड दवा बेचना या कंपनी से निर्धारित एमआरपी रेट से ज्यादा कीमत लेना कानूनन अपराध है। ऐसे दवा दुकानदार की एजेंसी बंद हो सकती है और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन इस तरह की शिकायत अब तक मेरे पास नहीं आई है। शिकायत मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। : पंकज कुमार, ड्रग्स इंस्पेक्टर, पूर्णिया।
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