पटना 10 मई, बिहार में इस बार के लोकसभा चुनाव में छठे चरण की हाइप्रोफाइल सीटों में शुमार वैशाली में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की दाव पर लगी प्रतिष्ठा बचाने उतरे पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर आजमा रहीं पूर्व विधायक वीणा सिंह के बीच सीधी टक्कर होगी। बिहार में छठे चरण में 12 मई को वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज में वोट डाले जायेंगे। वैशाली राजद के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का सियासी गढ़ माना जाता है। इसी सीट पर श्री सिंह ने लगातार पांच बार जीत हासिल की है हालांकि वर्ष 2014 के चुनाव में वह इस सीट पर जीत का सिक्सर मारने में नाकमयाब रहे थे। लोजपा के रामा किशोर सिंह इस क्षेत्र से लगातार पांच बार सांसद रहे राजद के उम्मीदवार रघुवंश प्रसाद सिंह को परास्त कर उनका विजयी रथ रोक दिया था। राजद के टिकट पर एक बार फिर रघुवंश प्रसाद सिंह चुनावी रणभूमि में ताल ठोक रहे हैं वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से लोजपा के टिकट पर विधान पार्षद दिनेश सिंह की पत्नी और पूर्व विधायक वीणा सिंह प्रत्याशी बनायी गयी हैं। इस बार के चुनाव में राजद और लोजपा दोनों दल के प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। राजद प्रत्याशी श्री सिंह वैशाली क्षेत्र में पूर्व में किये गये काम को आधार बनाकर जबकि लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में किये विकास कार्यों के नाम पर वोट मांग रही हैं। वीणा सिंह को उनकी ही पार्टी के लोगों से अंतर्विरोध के कारण जीत के लिये कड़ी मशक्कत करनी होगी। वैशाली लोकसभा क्षेत्र के निवर्तमान सासंद रामा किशोर सिंह उर्फ़ रामा सिंह से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ सकता है। वैशाली से टिकट काटे जाने के बाद रामा सिंह नाराज चल रहे हैं। इससे पूर्व उन्होंने हाजीपुर (सु) से लोजपा प्रत्याशी पशुपति कुमार पारस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था है। उन्होंने कहा था कि श्री पारस की हाजीपुर में हार ऐतिहासिक होगी। सामाजिक रूप से बेहद जागरूक वैशाली की राजनीति का अपना मन और मिजाज है। यहां हमेशा सामाजिक न्याय की पृष्ठभूमि पर ही सियासी संघर्ष होता रहा है लेकिन अगड़ी जाति के उम्मीदवार ही यहां से जीतते आए हैं। हालांकि बदलते दौर के साथ जन आकांक्षाएं बढ़ी हैं और लोग विकास के मुद्दों को आगे रखकर भी वोट कर रहे हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी विकास का मुद्दा हावी रहेगा। माना जा रहा है कि इस बार वैशाली में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। भगवान बुद्ध की कर्मभूमि और वर्धमान महावीर की जन्मभूमि वैशाली संसदीय क्षेत्र वर्ष 1977 में अस्तित्व में आया। इस क्षेत्र का कुछ हिस्सा हाजीपुर संसदीय सीट में चला गया। मुजफ्फरपुर जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों और वैशाली विधानसभा को मिलाकर इस संसदीय सीट का गठन किया गया। वैशाली महिला प्रत्याशियों के लिये लकी चुनाव क्षेत्र रहा है। यहां अब तक के12 लोकसभा चुनावों में से चार बार महिला सांसद निर्वाचित हुईं।
वर्ष 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी की लहर में भारतीय लोक दल (बीएलडी) के टिकट पर दिग्विजय नारायण सिंह ने कांगेस प्रत्याशी नवल किशोर सिंह को परास्त कर जीत हासिल की। वर्ष 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह की पत्नी किशोरी सिन्हा ने चुनाव लड़ा और कांग्रेस के ललितेश्वर प्रसाद शाही (एलपी शाही) को शिकस्त दी। इसके बाद किशोरी सिन्हा ने वर्ष 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और बीएलडी प्रत्याशी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री तारकेश्वरी सिन्हा को पराजित किया। हालांकि वर्ष 1989 के चुनाव में किशोरी सिन्हा को शिकस्त का सामना करना पड़ा। जनता दल प्रत्याशी उषा सिंह ने उन्हे मात दे दी। जनता दल के शिव शरण सिंह ने 1991 में वैशाली सीट से जीत हासिल की। वर्ष 1994 में हुए उपचुनाव में पूर्व विधायक आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद समता पार्टी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचीं। वर्ष 1996 में रघुवंश प्रसाद सिंह ने जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की। इसके बाद के चार चुनावों 1998, 1999, 2004 और 2009 में राजद के टिकट पर रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली से जीतकर लोकसभा गए। वर्ष 2014 के चुनाव में वैशाली सीट से लोजपा के रामा किशोर सिंह ने इस क्षेत्र से लगातार पांच बार सांसद रहे राजद के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को 99 हजार 267 मतों के अंतर से परास्त कर उनका विजयी रथ रोक दिया था। वैशाली संसदीय क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केला, आम और लीची के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में अशोक स्तंभ, बौद्ध स्तूप, बावन पोखर मंदिर हैं। राजा विशाल का किला और जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख कुण्डलपुर धाम यहीं पर है। दुनिया के पहले गणतंत्र के तौर पर जाना जाने वाला वैशाली विश्व में लोकतंत्र की प्रथम प्रयोगशाला भी है। यहीं से लिच्छवी राजवंश ने गणतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत की थी। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से इतना समृद्ध है कि पुराण, उपनिषद, जैन और बौद्ध धर्म ग्रंथों में इसकी चर्चा है । इस संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की छह सीटें मीनापुर, कांटी, बरुराज, पारु, साहेबगंज और वैशाली आती हैं। वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में छह में से तीन सीटें राजद के खाते में गई थीं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक सीट पर जीतने में कामयाब रहे। इनमें मीनापुर से राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव (राजद), बरूराज से नंद कुमार राय (राजद) ,साहेबगंज से राम विचार राय (राजद) , पारू से अशोक कुमार सिंह (भाजपा) , वैशाली से राज किशोर सिंह (जदयू) और कांटी से अशोक कुमार चौधरी (निर्दलीय) विधायक हैं। सतरहवें आम चुनाव (2019) में वैशाली से कुल 22 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें राजद , लोजपा, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और दस निर्दलीय समेत 22 उम्मीदवार शामिल हैं। भूमिहार ,यादव और राजपूत जाति बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 17 लाख 21 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब नौ लाख 24 हजार पुरुष और सात लाख 97 हजार महिला शामिल हैं।
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