पटना 12 मई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने आज यहाँ एक बयान जारी कर कहा है कि बिहार के लगभग चार लाख नियोजित षिक्षकों के वेतन संबंधी मामले के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से बिहार के नियोजित षिक्षकों को भारी निराषा हुई है। सत्य नारायण सिंह ने कहा कि नियोजित षिक्षकों का मामला ‘‘समान काम के लिए समान वेतन’’ की मांग से जुड़ा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय में इस मांग पर विचार नहीं किया गया है। क्या नियोजित षिक्षकों की यह मांग न्याय संगत नहीं है? इस बात का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के तर्क को आधार बनाकर षिक्षकों की इस मांग को अस्वीकृत कर दिया है। बिहार सरकार का तर्क है कि नियोजित षिक्षकों का कैडर नियमित षिक्षकों के कैडर के समान नहीं है। बिहार सरकार के इसी तर्क पर नियोजित षिक्षकों को नियमित षिक्षकों के बराबर वेतन की मांग सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी। सत्य नारायण सिंह ने कहा कि इस मामले का मुख्य विचारणीय बिन्दु है - समान काम के लिए समान वेतन। सर्वोच्च न्यायालय को इस बिन्दु पर विचार कर फैसला देना चाहिए था। श्री सिंह ने आष्चर्य व्यक्त किया कि जब स्वयं सर्वोच्च न्यायालय यह मानता है कि षिक्षक सम्मानजनक वेतन के अधिकारी है। ऐसे नियोजित षिक्षक जिनकी दो वर्ष सेवा हो गई है उनके वेतन में वृद्धि कर उन्हें सम्मानजनक स्केल पर लाया जा सकता है। इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी ही इस स्वीकारोक्ति को अपने फैसले का हिस्सा क्यों नहीं बनाया? बिहार के लगभग चार लाख नियोजित षिक्षकों की समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर बिहार राज्य माध्यमिक षिक्षक संघ ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल किया था। पटना उच्च न्यायालय ने नियोजित षिक्षकों के पक्ष में अपना फैसला दिया। बिहार सरकार ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। इसी अपील की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उपर्युक्त अपना फैसला दिया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी षिक्षकों की मांग का समर्थन करती है। अपनी मांगों को लेकर जो भी आंदोलन करेंगे पार्टी उसके साथ है।
रविवार, 12 मई 2019
बिहार : सर्वोच्च न्यायालय का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : भाकपा
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