मैं रेशमा प्रसाद ट्रांसजेण्डर अधिकार कार्यकर्ता पटना बिहार से हूं। मैं समलैंगिक,किन्नर,ट्रांसजेंडर,सेक्स वर्कर समुदाय के लिए आवाज उठाती हूं और दलितों,महिलाओं एवं पर्यावरण के मुद्दे के साथ खड़ी हूं । इन दिनों नो वोटर लेफ्फ बिहाइंड के बैनर तले मतदाता जागरूकता अभियान से जुड़ी हूं। संविधान की रक्षा करें और सभी लोगों को सम्मान करें। मातृत्व दिवस पर ट्रांसजेण्डर रेशमा प्रसाद ने अपनी अभिव्यक्ति कविता के रूप में प्रस्तुत की हैं।
*मैं* *किन्नर* *हूँ*,
मेरी पहचान मेरी माँ
मैं तुमसे दूर हो गई
यह, मेरा कसूर नहीं
मेरा दिल नहीं करता
मैं तुमसे दूर दुनिया में जाऊँ
हर माँ बच्चे को अपने प्यार
दिल में रख कर करती
हे माँ, तुझे विचारना होगा
मर्द को मर्द ना बनाओ
औरत को औरत ना बना
एक अच्छा इंसान बना दो,
हे माँ,
तेरे आँचल का प्यार
तेरी ताकत यह दुनिया बदल दे,
दुनिया ने उलझी ऱीत बनाई
तूने भी उलझी रीत चुनी,
माँ कहती कि तू आँखों में
काजल क्यों लगाए तू मर्द है
माँ कहती कि तेरा ये सजना
ये सँवरना ठीक नहीं तू मर्द है
माँ कहती
गुड्डे गुडियों से खेलना
तुझे जीने नहीं देगा
हे माँ,
तुझे पहचान को मेरी
स्वीकारना होगा
लड़ना होगा
समाज की बेड़ियों ने मेरी माँ के
ममत्व को गला घोंट मार डाला आह,
मेरी माँ ने मुझे भर आँख देखा होता,
जो प्रसव पर दर्द सहा
क्या उस पीडा़ पर भी बेटा
या बेटी पहचान लिखा होगा?
एक माँ बनने की खुशी आई
उन खुशियों को बेटा
या बेटी ही में न बाँटो
ना सोचो कि मुझे बेटे की खुशी
ना सोचो कि मुझे बेटी की खुशी
सोचो एक इंसान जनने की खुशी
जो उलझी रीत बनाई दुनिया ने
सुलझा लो माँ,
मेरी पहचान तुमसे दूर ले गई
हे माँ, तुझे समाज की जकड़न को तोड़नी होगी,
हे माँ, तुझे उन बेड़ियों को काटना होगा,
वो महान माँ जो बेड़ियों को तोड़ी
उन महान माँ को सलाम करती हूँ
मैं उनके जज्बे को सलाम करती हूँ
उनके अपने माँ होने को सलाम करती
नके माँ के प्यार को सलाम करती हूँ।
मातृ दिवस पर एक कविता *रेशमा* *प्रसाद*
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