बिहार : आर्च बिशप ने लिखा है कि ‘ हमारे चर्च को कौन बचाएगा ‘ ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 12 मई 2019

बिहार : आर्च बिशप ने लिखा है कि ‘ हमारे चर्च को कौन बचाएगा ‘ ?

लोकतंत्र की ही तरह धार्मिकतंत्र है। यहां भी लोक महत्वपूर्ण है। जहां पर लोक है वहीं पर चर्च है। इसको लेकर ईसाई समुदाय इठलाते हैं। हमसे है चर्च और चर्च से हम नहीं। इसका मतलब लोक पर आधारित चर्च है। द्वितीय वाटिकन सभा भी लोकधर्मियों के बारे में स्पष्ट निर्णय दे रखा है। पवित्र बाइबिल में भी यथासंभव लोक के बारे में दृष्तांग है। मगर संस्था चलाने में मस्त और चर्च को जागीर समझने वालों ने लोगों के समक्ष रख्ना पंसद नहीं करते हैं। इससे दुखित होकर ही आर्च बिशप फुल्टन जे शेन ने लिख दिया है जो वर्तमान समय में प्रासंगिक है। भारत में लोक सभा का चुनाव चल रहा है। इस समय लोगों पर निर्भर है कि स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों को विजयी बना सके। इसी के आलोक में आर्च बिशप ने लिखा है कि ‘ हमारे चर्च को कौन बचाएगा ‘ ?
who-save-church-bishop
पटना,11 मई। ईसाई समुदाय से एकमात्रः ईसाई नेता हैं राजन क्लेमेंट साह। जो विपरित परिस्थिति में बीजेपी के थामन थामे हैं। बीजेपी में सक्रिय भूमिका अदा करने के इनाम में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री बनाए गए हैं। प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह ने पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी रवि शंकर प्रसाद को विजयी माला पहनाने को बेताब हैं। इसके आलोक में रविवार 12 मई को फेयर फील्ड काॅलोनी में कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसमें भारी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल होंगे। लोकतंत्र की ही तरह धार्मिकतंत्र है। यहां भी लोक महत्वपूर्ण है। जहां पर लोक है वहीं पर चर्च है। इसको लेकर ईसाई समुदाय इठलाते हैं। हमसे है चर्च और चर्च से हम नहीं। इसका मतलब लोक पर आधारित चर्च है। द्वितीय वाटिकन सभा भी लोकधर्मियों के बारे में स्पष्ट निर्णय दे रखा है। पवित्र बाइबिल में भी यथासंभव लोक के बारे में दृष्तांग है। मगर संस्था चलाने में मस्त और चर्च को जागीर समझने वालों ने लोगों के समक्ष रख्ना पंसद नहीं करते हैं। इससे दुखित होकर ही आर्च बिशप फुल्टन जे शेन ने लिख दिया है जो वर्तमान समय में प्रासंगिक है। भारत में लोक सभा का चुनाव चल रहा है। इस समय लोगों पर निर्भर है कि स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों को विजयी बना सके। इसी के आलोक में आर्च बिशप ने लिखा है कि ‘ हमारे चर्च को कौन बचाएगा? यह उनका सवाल है। वे लिखते हैं कि वह हमारे बिशप नहीं हो सकते हैं, हमारे फादर और धर्मसंघी भी नहीं हो सकते हैं, उनका स्पष्ट मत है कि वह तो आप लोगों पर निर्भर है कि आप लोग ही चर्च को बचा पाएंगे। इसके लिए आपके पास मन है, आपके पास आंख और कान भी है जो चर्च को बचाने के लिए पर्याप्त है। यह आपका मिशन है यह सब देखने के लिए। आपके फादर हैं जो फादर की तरह काम करते हैं, आपके बिशप भी बिशप की तरह कार्य करते हैं और आपकी धर्मसंघी भी धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं।  यह बहुत बड़ी बात आर्च बिशप कर दी है। इन पर सवाल उठाने वालों को धर्म विरोधी करार देते हैं। इनके आगे ईसाई समुदाय दोयम दर्जे के ही है। इनके आज्ञाकारी नहीं बनने से नौकरी से बाहर कर देते हैं। खुद को भारत सरकार के समकक्ष मानते हैं। इनका अलग कानून चलता है। टुकड़े-टुकड़े में रहकर कर्मचारियों को मिलने वाले अधिकारों से वंचित कर देते हैं। विशुद्ध रूप से गैर सरकारी संस्थाओं के संचालक बन गए हैं। इस संदर्भ में विक्टर ब्लेक करते हैं कि नाइस पोस्ट है। चंदन पीटर कहते हैं कि आई विल डू। सुषमा जोसेफ कहती हैं कि जीजस एण्ड मेरी मां। मां और जीजस सेव। रंजन जोसेफ कहते हैं कि इन लोगों को कह दीजिए कि चर्च या चर्च के जितने भी पैसा है उसको कौन बचाएगा? बहरहाल जनता के सामने सवाल है कि चर्च को कौन बचाएगा?

कोई टिप्पणी नहीं: