हम-तुम एक कमरे में बंद हो और चाभी खो जाए। इसी तर्ज पर प्रियंका कुमारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पेटीशन लिखकर गंभीर मुद्दा उठायी है।उनका कहना है कि आपका घर डूब रहा है और आप मदद की आखिरी उम्मीद में बाढ़ हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगा रहे है, और वह काम करना बंद कर दिया है।सोचो अगर ऐसा हो तो क्या हो?बिहार के करोड़ों लोगों को एक ही हेल्पलाइन की सौगात मिलती है तो उनकी जान ज़रूर बचाई जा सकती है। मेरी पेटीशन से सरकार पूरे बिहार को बाढ़ राहत के लिए एक हेल्पलाइन की सौगात दे।
पटना,22 अगस्त। “आप जरुर सोचिए कि आपका घर डूब रहा हो, आप घुटनों तक पानी में हों और आप मदद की आखिरी उम्मीद, बाढ़ हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाएं और वो काम ना करे, फोन ना उठे तो आप पर क्या बीतेगी,” इस तरह की सोच विकसित कर प्रियंका कुमारी नामक सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पेटीशन में लिखी हैं। प्रियंका कुमारी का कहना कि पूरे बिहार के लिए बाढ़ राहत का हो एक राज्य स्तरीय हेल्पलाइन नंबर पर ही हो।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे बिहार में बाढ़ राहत का एक ही राज्यस्तरीय हेल्पलाइन नंबर हो। अभी स्थिति ये है कि अलग-अलग ज़िलों के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाते हैं। अगर पूरे बिहार में बाढ़ के लिए केवल एक हेल्पलाइन नंबर हो तो इससे कई फायदे होंगे:
1. सरकार को बाढ़ के बाद अलग-अलग हेल्पलाइन नंबरों के प्रचार-प्रसार के लिए मेहनत नहीं करनी होगी।
2. एक हेल्पलाइन होने से उसका नियंत्रण आसान होगा और राहत-बचाव कार्यों में तेजी आएगी।
3. एक नंबर होने से लोगों बच्चे से लेकर बूढ़े को पता होगा कि बाढ़ के समय बचाव के लिए कहाँ संपर्क करना है।
अगर बिहार के करोड़ों लोगों को इस हेल्पलाइन की सौगात मिलती है तो उनकी जान ज़रूर बचाई जा सकती है। मेरी पेटीशन से सरकार पूरे बिहार को बाढ़ राहत के लिए एक हेल्पलाइन की सौगात दे। प्रियंका कुमारी कहती हैं कि बिहार सालों से बाढ़ की चोट खाता आ रहा है, सरकार इस हेल्पलाइन के माध्यम से उस चोट पर मरहम लगा सकती है। मेरी पेटीशन से बिहार की चोट पर मरहम लगाया जा सके।
2016- बिहार में भारी बाढ़, 28 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित! 2017- बिहार में 2008 के बाद की सबसे भयानक बाढ़, 514 लोगों की मौत! 2018- बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ा, पटना एनएमसीएच के ICU में तैरी मछलियां!
2019- बाढ़ ने ली 134 लोगों की जान, 88.46 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित!
2020- ? खबरों की ये हेडलाइन्स गवाह हैं मेरे बिहार की सबसे गहरी चोट की। बाढ़ एक गहरी चोट ही तो है जो हर साल-दो साल पर मेरे प्रदेश को लगती है। मैं बिहार के एक छोटे से गाँव से हूँ और मुझे बिहार की इस चोट पर मरहम लगाना है। बिहार में 1979 से लेकर अब तक बाढ़ के कारण 9,500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। बिहार भारत का वो राज्य है जहाँ बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा है। पर इतने बड़े खतरे के बावजूद बाढ़ की तैयारियाँ हर बार अधूरी ही रह जाती हैं।
प्रियंका मानती हैं कि बाढ़ के वक्त हेल्पलाइन नंबर डूबते को तिनके का सहारा राहत और बचाव कार्यों में इनका बहुत महत्व होता है। दुखद बात ये है कि बिहार के लोगों को ये सहारा भी कभी मिलता है तो कभी नहीं। हर बार की तरह इस बार भी बाढ़ राहत में लगे कितने लोगों ने शिकायत की कि बाढ़ हेल्पलाइन नंबर ठीक से काम नहीं करते हैं। आप सोचिए कि आपका घर डूब रहा हो, आप घुटनों तक पानी में हों और आप मदद की आखिरी उम्मीद, बाढ़ हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाएं और वो काम ना करे, फोन ना उठे तो आप पर क्या बीतेगी। इसलिए मैंने बिहार सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम ये पेटीशन शुरू की है। मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें और शेयर करें ताकि पूरे बिहार में बाढ़ राहत के लिए एक आसान हेल्पलाइन नंबर जारी हो।
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