मुजफ्फरपुर (आर्यावर्त संवाददाता) एकता परिषद उत्तर बिहार के संयोजक विजय गौरेया, रामलखेन्द्र यादव,शिवनाथ पासवान के महीनों प्रयास के बाद आवासीय भूमिहीनता रोजगार जन प्रदर्शन सफल रहा. डीएम आलोक रंजन घोष ने हर गांव में आवासीय भूमिहीनों को चिन्हित करने व पर्चाधारियों को जमीन पर कब्जा दिलवाने का वादा शिष्टमंडल को दिया. मुजफ्फरपुर।बिहार के 38 जिले में आवासीय भूमिहीनों की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. आज भी नहर,पुल,नदी, सड़क आदि के किनारे रहने को बाध्य हैं.अब तो स्थिति यह है कि ऐसे लोगों को पुनर्वास करने के बदले सरकारी तंत्र मजबूर कर देते हैं कि प्रभावित खुद ही जगह छोड़ने को विवश हो जाए.वहीं सरकार प्रचारित करती हैं मैंने पीड़ितों को हटाया नहीं है तो पुनर्वास करने का सवाल ही उठता है. इसी तरह की मिलीजुली सवालों को लेकर समाहरणालय परिषर में एकता परिषद के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया. धरना में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल हुए. भूमि एवं रोजगार मुद्दे पर जन प्रदर्शन किया गया. एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने बताया कि गत दो-तीन सालों में हज़ारों की संख्या में लोगों ने आवेदन दिया. सीओ लोगों के बीच आकर आश्वासन भी दिए कि 5 डिसमिल जमीन मुहैया कराया जाएगा. लेकिन आजतक न ही जमीन मुहैया कराया गया.न ही सर्वेक्षण के काम करवाया गया. प्रदीप परिदर्शी ने कहा की उनकी मुख्य मांगे ये है कि आवासीय भूमिहीनों के लिए 10 डिसमिल भूमि का कानून बने.इस कार्य के लिए राज्य,ज़िला तथा प्रखंड स्तर पर विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए.प्रशासनिक स्तर पर गांव के प्रत्येक टोला में पहुँच कर आवासीय भूमिहीनों का सर्वे कराया जाए. सर्वेक्षित भूमिहीनों के लिए प्रशासन अपने स्तर से भूमि की तलाश या खरीददारी करे. वही बेरोजगार युवक व युवतियों के लिए काम के मूल अधिकार का कानून बनाया जाए.फोरलेन के किनारे खड़ा हो रहे व्यापारिक में 70 प्रतिशत स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी दी जाए.
शनिवार, 31 अगस्त 2019

मुजफ्फरपुर : एकता परिषद उत्तर बिहार के सैकड़ों सदस्यों ने किया धरना प्रदर्शन
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