दुमका : पेंशन नियमवली में बदलाव व नई पेंशन स्कीम के विरोध में हुई बैठक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 21 अगस्त 2019

दुमका : पेंशन नियमवली में बदलाव व नई पेंशन स्कीम के विरोध में हुई बैठक

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) उच्च शिक्षा झारखण्ड के सचिव राजेश कुमार शर्मा द्वारा एक पत्र जारी कर झारखंड में कार्य कर रहे कॉलेज शिक्षकों की पेंशन नियमवली में बदलाव कर नई पेंशन स्कीम लागू करने का निदेश जारी हुआ है। इसके लिए स्टैचूट में 16 एए प्रावधान को जोड़ा गया है जिसका नाम ’झारखंड सरकार ,सरकारी कर्मचारी अंशदान पेंशन योजना 2004 है। यह योजना झारखंड राज्य में विवि सेवा में सभी शिक्षकों पर लागू होगा, जिनकी नियुक्ति 1 दिसम्बर 2004 के बाद हुई है। इस पत्र के विरोध में शिक्षक गोलबंद होने लगे हैं। उच्च शिक्षा निदेशक, झारखण्ड द्वारा जारी पत्र के आलोक में दिन रविवार को शिवपहाड़ स्थित पंकज भवन में सिदो कान्हू मुर्मू विवि के विभिन्न संगठनों से जुड़े शिक्षक प्रतिनिधियों की एक बैठक संपन्न हुई। बैठक में डॉ शम्भु कुमार सिंह, डॉ कलानंद ठाकुर, डॉ स्वतंत्र कुमार सिंह, डॉ विनोद शर्मा, डॉ राजीव रंजन सिन्हा, डॉ के बी टोप्पो,  डॉ धनंजय मिश्रा,  डॉ इंद्रनील मंडल व डॉक्टर अजय सिन्हा उपस्थित थे। इस अवसर पर न्यू पेन्शन स्कीम के विरोध के लिए एक समन्वय समिति गठित की गई जिसका शीघ्र राज्य स्तरीय विस्तार किया जाएगा। इसके लिए अन्य विवि के शिक्षकों से सम्पर्क स्थापित किया जा रहा है। वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षकों को संगठित कर आंदोलनात्मक लड़ाई यह समन्वय समिति लड़ेगी। हाईकोर्ट रांची के तीन वरिष्ठ अधिवक्ताओं की इस संबंध में राय ली जा चुकी है। प्रति शिक्षक 2000 रुपए के सहयोग पर भी चर्चा हुई। .एस पी कॉलेज के प्रो इंद्रनील मंडल व प्रो के बी टोप्पो संयुक्त रूप से सहयोग राशि का हिसाब रखेंगे। झारखंड सरकार के नियंत्रणधिन कार्यरत कार्यरत विवि में जहाँ राज्य सरकार के कर्मियों की भाँति पेंशन सुविधा उपलब्ध है को झारखंड सरकार सरकारी अंशदान पेंशन योजना 2004 के अंतर्गत लाना है। विवि में कार्यरत ऐसे कर्मी जो 1, 12, 2004 या उसके बाद सेवा प्रदान करते है उसपर यह योजना अनिवार्य रूप से लागू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत कर्मियों के मासिक वेतन विपत्र से मूल वेतन और डी ए के कुल योग का दस प्रतिशत राशि की कटौती की जाएगी तथा समतुल्य राशि नियोक्ता वि वि द्वारा अंश दान के रूप में दी जाएगी . प्रत्येक कर्मी को सेवा में योगदान के साथ ही प्राण (पर्मनेंट रेटायअरमेंट अकाउंट नम्बर) सम्बंधित डेपोजीटरी) से प्राप्त किया जाना आवश्यक होगा .प्राण आवंटन के बाद ही उन्हें अगले माह का वेतन भुगतान किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग इस सम्बंध में क्रियान्वयन के निर्णय की जानकारी भविष्य निधि निर्देशालय जो इस योजना के लिए नोडल ऑफिस का काम करेगा को अग्रसारित करेगा। भविष्य निधि निर्देशालय इस सम्बंध में लेटर ऑफ कन्सेंट सी आर ए एजेन्सी एनएसडीएल को उचित करवाई हेतु अग्रसारित करेगा। इसकेे बाद सम्बंधित विवि की जवाबदेही होगी के वह इस योजना को सुचारू रूप से आगे बढ़ाए। .बैठक में शिक्षकों ने कहा कि झारखंड में कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति 2008 में हुई है। सेवा के ग्यारह वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद इस पेन्शन योजना का क्या औचित्य रहता है ? शिक्षकों का कहना है कि भूतलक्षि प्रभाव से लागू करना क्या यह न्याय संगत होगा ? शिक्षक प्रतिनिधियों का कहना है कि इतने वर्षों तक सरकार शांत क्यों बैठी रही ?  इसे लागू करना ही था तो प्रारम्भ से ही लागू क्यों नहीं किया गया ? .इस बीच कुछ शिक्षकों का निधन भी हो गया है और कुछ सेवानिवृत हो गए हैं। कुछ शिक्षक इसी वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले है,  उनका क्या होगा ? शिक्षक प्रतिनिधियों का कहना है कि .सरकार सूचना के अधिकार के तहत कई बार झारखंड में पुराने पेन्शन स्कीम बने रहने की बात कह चुकी है। सरकार अब अपनी बातों से पलट रही है। .न तो इस स्कीम के तहत शिक्षकों के वेतन से कोई कटौती की गई और न ही विवि ने कोई अंशदान किया है। प्राण नम्बर लेने की जिम्मेदारी भी विवि की रही है, ऐसे में शिक्षकों से ग्यारह साल का अंशदान लिया गया जो लाखों में होगा। फिर उसका भुगतान कैसे होगा ? अगर योजना शुरू से लागू होती तो अबतक यह रकन चार गुना हो गई होती।  शिक्षक प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार अब तक 2008 में नियुक्त कॉलेज शिक्षकों के सेवाशर्त को स्पष्ट नहीं कर पाई है।  अब तक उनके पीएचडी इंकरेमेंट, एजीपी व प्रमोशन का मुद्दा लटका हुआ है। .अब ग्यारह साल बाद नई पेन्शन योजना को लागू करने का निर्णय जले पर नमक छिड़कने जैसा है। 

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