कुमार गौरव । पूर्णिया : यदि आप बागवानी के शाैकीन हैं और जगह की कमी के बावजूद आप अपने आसपास के माहौल को हरा भरा देखना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत सरकार बागवानी के लिए 50 फीसदी अनुदान दे रही है बशर्ते कि आपके पास 300-350 स्क्वायर फीट छत हो। छत पर बागवानी के लिए उद्यान निदेशालय द्वारा 25 हजार रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है ताकि शहर के लोग इसे अधिक से अधिक अपनाएं। अनुदान की राशि 50 % तक होगी। जिसमें लाभार्थी को भी अपने 25 हजार रुपए लगाने पड़ते हैं। इसके लिए कम से कम साढ़े तीन सौ स्क्वायर फीट छत जरूरी है। छत पर शेड लगाने से लेकर पटवन विधि का कार्य हॉर्टिकल्चर विभाग करता है। छत पर बागवानी के लिए ड्रिप सिस्टम से पटवन का कार्य किया जाता है। दरअसल बढ़ती गर्मी, शहर का कंक्रीट में बदलना, भूजल स्तर में कमी व वातारण में प्रदूषण का बढ़ता दवाब के कारण ऐसी योजनाएं प्रचलन में आ रही हैं। ऐसे हालात से निबटने के लिए सरकारी स्तर पर कई तरह की कोशिश की जा रही है। केंद्र सरकार के द्वारा जल शक्ति अभियान समेत रूफ टॉप गार्डेनिंग को तवज्जो दिया जा रहा है। सूबाई सरकार भी केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर ऐसी योजनाओं को गति देने लगी है।
...बेहद कारगर व किफायती है योजना :
इस योजना की जानकारी देते प्रखंड उद्यान पदाधिकारी सुनील कुमार झा ने बताया कि हाल ही में उद्यान निदेशालय पंत भवन पटना में संपन्न हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत उपनिदेशक उद्यान प्रशासन एवं मूल्यांकन नितेश कुमार ने प्रशिक्षण अवधि में बताया कि छत पर लगे पौधे के पटवन के लिए ड्रिप सिस्टम आरंभ किया गया है। इसमें न तो जल की बर्बादी होती है न ही अधिक गंदगी फैलती है। साथ ही फसल को जल की सही मात्रा भी मिल जाती है। श्री झा ने बताया कि अभी यह बिहार के गया, बिहारशरीफ, पटना, भागलपुर व मुजफ्फरपुर जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है जिसे प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद पूर्णिया जैसे शहरों में भी लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विषय पर निदेशक उद्यान बिहार पटना ने भी अपनी सहमति दे दी है और बताया कि इसे सभी बड़े छोटे शहरों में लागू किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इस योजना को अमल में लाकर आप अपने छत को हरा भर रख सकते हैं और घर में उपजी सब्जी व फलों का आनंद ले सकते हैं। बता दें कि इस योजना के तहत टमाटर, मिर्च, साग, अमरूद, बैगन, केला, आम जैसी फसलों को छत पर तैयार किया जा सकता है।
...पारंपरिक स्त्रोतों को सहेजने की दिशा में कवायद :
श्री झा ने बताया कि जीवन बचाना है तो हमें अपने पुराने दिनों में लौटना होगा। जल के पारंपरिक स्रोतों को सहेजने के साथ उन्हें पुर्नजीवित करना होगा। पौधों से धरती पर हरियाली लानी होगी। हालांकि यह काम अब इतना आसान नहीं है। बढ़ती जनसंख्या के कारण शहरों से भूमि धीरे धीरे गायब हो रहे हैं। भूमि कम होने की चिंता लोगों को सता रही है। इस चिंता से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों का दल कई वर्षों से इस रूफ टॉप गार्डेनिंग पर शोध कर रहा था। आखिरकार विशेषज्ञों ने अब छत पर बागवानी के रूप में विकल्प को सामने लाया है। कई जिले में छत पर बागवानी के लिए कवायद शुरू हो चुकी है। अधिकारियों के अनुसार छत पर बागवानी व पौधरोपण की एक नवीन प्रकिया है। इसी सोच के साथ कई जिले में भी छत पर बागवानी की कागजी प्रक्रिया शुरू की गई है।
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