बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल

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पटना, 21 नवम्बर (आर्यावर्त संवाददाता)। बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है। पुलिस ने जिस युवक कृष्णा मांझी को मॉब लिंचिंग में मृत माना, वह जिंदा निकला। मामला पटना के नौबतपुर का है। पुलिस के लिए भी यह अबूझ पहेली बन गई है। गांव में भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। खास बात कि इसी मॉब लिंचिंग मामले में 23 लोगों की गिरफ्तारी हुई और अब उनका क्‍या होगा, पुलिस पसोपेश में है। पुलिस के लिए अब यह भी चुनौती हो गई है कि जिस शिव को कृष्‍णा मांझी मानकर पोस्‍टमार्टम कराया और उसके कथित घरवालों से दाह संस्‍कार करा दिया, वह किसका शव था। वहीं शनिवार को एसएसपी गरिमा मलिक ने कहा कि अभी केस बंद नहीं हुआ है, जांच के बाद सब साफ हो जाएगा। 

बढ़ गई पुलिस की चुनौती
कृष्णा मांझी के जिंदा घर लौटने के बाद पुलिस महकम्मा सकते में आ गया है। पुलिस अधिकारी परेशान हैं कि जब कृष्णा जिंदा है तो आखिर वह शख्स कौन था? जिसे लोगों ने पीटकर मौत के घाट उतार दिया? पुलिस का दावा है कि शव की पहचान उसकी पत्नी व पिता ने कपड़ा और हाथ का गोदना देखकर की थी। लेकिन घर लौटे कृष्णा के हाथ पर ऐसा कोई निशान नहीं है। मतलब साफ है कि पुलिस ने अपने बचाव में प्रक्रिया पूरी कर शव को 72 घंटे रखने के दौरान अपने स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की। अब पुलिस के लिए बड़ी चुनौती इतने दिनों बाद मृतक की शिनाख्त करना है।

10 अगस्‍त का है मामला
दरअसल पटना के नौबतपुर थाना क्षेत्र के महमतपुर गांव में विगत 10 अगस्त को मॉब लिंचिंग में एक युवक की मौत हो गई थी। मृत व्यक्ति के शव की पहचान रानी तालाब थाना क्षेत्र के निसरपुरा गांव निवासी कृष्णा मांझी के रूप में की गई थी। इसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराकर कृष्णा के परिजनों को सौंप दिया था। लेकिन अचानक कृष्णा सकुशल घर लौट आया है। अब मृतक की शिनाख्त करना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है। पूरे मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए पुलिस कृष्णा मांझी को नौबतपुर लाने की कवायद में जुट गई है।

कृष्‍णा मांझी की पत्‍नी का आरोप
इस बाबत थानाध्यक्ष सम्राट दीपक ने कहा कि इस संबंध में वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। साथ ही कहा कि कृष्णा मांझी का कोर्ट में 164 का बयान भी कलमबंद कराया जाएगा। वहीं कृष्णा मांझी की पत्नी रुदी देवी का कहना है कि 12 अगस्त को दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में शव देखने गई तो देखा कि शव सड़ा-गला अवस्था में है। उन्‍होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने जबरन मृत युवक को कृष्णा मांझी बताकर शव हमलोगों को सौंप दिया। पुलिस के प्रेशर पर दाह संस्कार किया। इसके लिए हमलोगों को कर्ज भी लेना पड़ा। इसके बाद न तो कबीर अंत्येष्टि की राशि मिली और न ही सामाजिक सुरक्षा के तहत 20 हजार की राशि ही मिली। वहीं पुलिस ने रुदी देवी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। कहा कि पुलिस क्यों ऐसा करेगी।

तब दिखा था उन्‍मादी भीड़ का क्रूर चेहरा 
बता दें कि 10 अगस्त को नवही पंचायत के महमदपुर गांव में भीड़तंत्र का क्रूर चेहरा देखने को मिला था। जब गांव के रास्ते से गुजर रहे एक राहगीर को बच्चा चोरी के आरोप में उन्मादी भीड़ ने जमकर लाठी-डंडे से पिटाई कर उसे अधमरा कर दिया। बेरहमी से की गई पिटाई के बाद पुलिस को सूचना मिली, तो वह आनन-फानन में घटनास्थल पर पहुंची। घायल युवक को रेफरल अस्पताल नौबतपुर भेजा गया, लेकिन वह नहीं बच सका। उसकी एम्‍स में इलाज के दौरान मौत हो गई।

इनकी हुई है गिरफ्तारी
सबसे खास बात तो यह है कि इस मामले में 23 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। गिरफ्तार लोगों में (1) रामबाबू पासवान (2)विराट कुमार (3) झुनू महतो (4) लाला पासवान (5) धर्मवीर कुमार (6) बिंदा चौधरी (7) मुकेश कुमार (8) सूरजभान कुमार (9) रंजीत कुमार (10) सुधीर महतो (11) ओपित पासवान (12) सोनू कुमार (13) मोनू कुमार (14) शिव पूजन पासवान (15) शत्रुध्न चौधरी (16) नारायण चौधरी (17) पंकज कुमार (18) रामकरण चौधरी (19) विमोचन कुमार (20) संजय कुमार (21) लक्ष्मण साव ग्राम तिसखोरा (22) कुंदन कुमार तथा (23) राहुल कुमार शामिल हैं।

अभी बंद नहीं हुआ केस
जैसे ही लोग कृष्णा मांझी को जीवित देखा। पूरा मामला सुनकर पुलिस के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। पुलिस अब यह पता लगाने में जुट गई है कि अगर कृष्णा जिंदा है तो वह शव किसका था, जिसका दाह संस्कार कराया गया। एसएसपी गरिमा मलिक मामले को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच कर सिटी एसपी वेस्ट अभिनव कुमार से रिपोर्ट मांगी है। अभिनव ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एसएसपी ने कहा, मॉब लिंचिंग मामले का वीडियो और घटनास्थल से शव बरामद हुआ था। आरोपितों की गिरफ्तारी भी हुई थी और कई अज्ञात पर केस दर्ज हुआ था। उन्होंने बताया कि इस केस की चार्जशीट अभी कोर्ट में नहीं दाखिल की गई है। केस अभी बंद नहीं हुआ है। केस ओपेन है और जांच जारी है। 

पुलिसिया कार्रवाई पर ये सवाल 
परिजनों के दावे पर पुलिस ने अभियुक्तों से क्यों नहीं कराई कृष्णा की पहचान?  पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से मृतक व कृष्णा की शारीरिक बनावट और उम्र में क्या अंतर नहीं मिला? क्या परिजनों द्वारा दिए गए कृष्णा की गुमशुदगी के आवेदन पर पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया?  अगर शिनाख्त हुई तो पुलिस ने क्यों नहीं पता किया कि वह कब और कहां से लौट रहा था?  शव जलाने के साथ सभी साक्ष्य मिट चुके हैं, अब पुलिस मृतक की पहचान कैसे करेगी?  पुलिस का दावा है कि गोदना देखकर पहचान हुई, लेकिन कृष्णा के हाथ पर तो कोई निशान नहीं है? 

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