बिहार : रविशंकर प्रसाद जी एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या 296 नहीं लाखों में है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 दिसंबर 2019

बिहार : रविशंकर प्रसाद जी एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या 296 नहीं लाखों में है

सूचना के अधिकार के तहत एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या नहीं बता सके थे
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पटना,15 दिसम्बर (आर्यावर्त संवाददाता)  17वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में दाखिल हुई और उसके बाद ब्रितानी हुकूमत ने भारत पर दो सौ सालों तक राज किया। प्रशासनिक और सैन्य अधिकारियों के रूप में ब्रितानियों का एक बहुत बड़ा तबका भी भारत आया और यहां उनकी कई पीढ़ियां भी आगे बढ़ीं और भारतीय व यूरोपीय समुदाय के बीच वैवाहिक संबंध भी बने। यूरोपीय और भारतीयों की मिली-जुली नस्ल को एंग्लो इंडियन कहा जाने लगा। हालांकि 1857 के गदर के बाद ब्रितानी हुकूमत ने कानून बनाकर अंग्रेजों को भारतीयों से शादी करने पर प्रतिबंध लगा दिया। 1947 में आजादी के वक्त भारत में लगभग पांच लाख एंग्लो इंडियन थे। इसलिए देश में इनके हितों की रक्षा के लिए जवाहरलाल नेहरू सरकार ने लोकसभा में इनके लिए दो सीटें आरक्षित कीं। इन दो सीटों पर मनोनयन के द्वारा एंग्लो इंडियन समुदाय का संसद में प्रतिनिधित्व तय किया गया। फिलहाल 2020 तक इनके मनोनयन का प्रावधान है। अभी अनुमान के तहत इनकी संख्या सवा लाख के आसपास बताई जाती है।

वैसे तो ये देश के कई हिस्सों में हैं लेकिन इनकी सबसे ज्यादा जनसंख्या कोलकाता और चेन्नई में है। आजादी के बाद इस मिली-जुली नस्ल को ‘शुद्धतावादी’ कारणों से भारत में दिक्कतें भी हुई थीं और बहुत से लोग यहां से चले भी गए थे। लेकिन आज के दौर में अपने रंग-रूप और यूरोपीय मिश्रित भारतीय शैली के कारण इनका सम्मान है। लेखक जॉर्ज आरवेल, रुडयर्ड किपलिंग और रस्किन बांड एंग्लो इंडियन समुदाय से नाता रखते हैं। अभिनेत्री कैटरीना कैफ, पूर्व वायुसेनाअध्यक्ष अनिल कुमार ब्राउनी, क्रिकेटर नासिर हुसैन, फुटबॉलर माइकल चोपड़ा और अभिनेता बेन किंग्सले कुछ मशहूर एंग्लो इंडियन चेहरे हैं। संविधान संशोधन (126वां) बिल को लोकसभा से पास हो गया।बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान है।फिलहाल आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। बिल में इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाने का प्रावधान है।वहीं संसद में एंग्लो इंडियन कोटे को भी खत्म करने का बिल में प्रावधान है। बता दें कि 70 साल से इस समुदाय के दो सदस्य सदन में प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। बिल को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया. रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं। उन्होंने कहा कि एंग्लो इंडियन के लिए एक प्रावधान भी है, लेकिन आज इस बिल में इसे नहीं लाया गया। हालांकि कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और बीजेडी के सांसदों ने विरोध किया और कहा कि मंत्री का डेटा घोर अतिशयोक्ति है। कांग्रेस की सांसद हिबी ईडन ने एससी/एसटी समुदायों के लिए आरक्षण के विस्तार का समर्थन तो किया लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि मंत्री ने सदन को गुमराह किया है. अकेले मेरे निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 20,000 से अधिक एंग्लो इंडियन हैं।

बिल में क्या है
बिल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 10 साल तक बढ़ाने का प्रावधान है। एंग्लो-इंडियन समुदाय, एससी, एसटी को दिए जाने वाला आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। आगे के दस वर्षों के लिए, यानी 25 जनवरी, 2030 तक सीटों के आरक्षण को बढ़ाने के लिए विधेयक है। आरक्षण को आर्टिकल 334 में शामिल किया गया है। आर्टिकल 334 कहता है कि एंग्लो-इंडियन, एससी और एसटी को दिए जाना वाला आरक्षण 40 साल बाद खत्म हो जाएगा।इस खंड को 1949 में शामिल किया गया था।40 वर्षों के बाद इसे 10 वर्षों के विस्तार के साथ संशोधित किया जा रहा है।

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