रायपुर, 23 दिसंबर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तथा भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार देश में आग लगाने का काम कर रही है। बघेल ने सोमवार को दुर्ग जिले के भिलाई शहर में संविधान बचाओ रैली में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एनआरसी में देश में प्रत्येक व्यक्ति को प्रमाणित करना पड़ेगा कि वह हिंदुस्तानी है। उन्होंने लोगों से कहा कि आप यहां के निवासी हैं इसे बताने के लिए आपके पास राशन कार्ड है, ड्रायविंग लायसेंस है, वोटर आईडी है, आधार कार्ड है, पासपोर्ट है, किसी के पास जन्म प्रमाण पत्र है, जाति प्रमाण पत्र है। फिर भारत का नागरिक होने के लिए और कौन से दस्तावेज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आपको प्रमाणित करना पड़ेगा कि आपके माता पिता कहां जन्म लिए थे। यदि यहां से कोई नागरिक दूसरे राज्य गए हों, तथा यहां कोई अन्य राज्य से आए हों उन्हें अपने पूवर्जों का रिकार्ड लेकर आना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 40 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, जिनके पास कोई जमीन नहीं है और उनके माता पिता ने कभी पढ़ाई नहीं की। ऐसे में वह अपने आपको कैसे प्रमाणित करेगा कि वह देश का नागरिक है। बघेल ने कहा, ‘‘आपके :केंद्र सरकार के: पास एजेंसी है। जो घुसपैठिया है उसे पकड़िए। भारत का संविधान जो आदेश देता है उसके अनुसार कार्रवाई करिए, हम भारत सरकार के साथ हैं। लेकिन एनआरसी के माध्यम से पूरे देश की जनता को प्रताड़ित करेंगे तब उसमें हम साथ नहीं दे सकते। यह काला कानून है जो देश को बांटने का काम कर रहा है। हम इसका विरोध करते हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सीएए पहले लागू होगा और उसके बाद एनआरसी लागू होगा जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अभी तो कैबिनेट में यह आया भी नहीं। इसका ड्राफ्ट भी नहीं बना है। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बना है और लेकिन जो लोग वहां रहे हैं वे कौन हैं? देश में आग लगाने का काम भारतीय जनता पार्टी और यह सरकार कर रही है। कांग्रेस का इसमें कोई लेना देना नहीं है।’’ बघेल ने का कि आज देश के सामने बड़ी समस्या बेरोजगारी, मंहगाई, गरीबी है। उनसे घ्यान बंटाने के लिए इस प्रकार का कानून लाया गया है। असम का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां एनआरसी की प्रक्रिया में पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के वंशज भी बाहर हो गए। यहां तक की भाजपा के एक विधायक का परिवार भी बाहर हो गया। वहां के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल स्वयं कह रहे हैं कि एनआरसी के दौरान त्रुटियां रह गई हैं। असम में 10 साल यह प्रक्रिया चली, 1600 करोड़ रुपये खर्च हुए, फिर भी इतनी सारी त्रुटियां रह गई हैं। देश भर में ऐसा हो तब सोचिए क्या स्थिति पैदा होगी।
सोमवार, 23 दिसंबर 2019
सीएए और एनआरसी एक सिक्के के दो पहलू : बघेल
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