बेतिया,8 दिसम्बर (आर्यावर्त संवाददाता) । आज ईसाई समुदाय ग्वादालूपे मां मरियम का वार्षिक पर्व मनाया। रविवार को बेतिया चर्च से भक्तगण चलकर सात किलोमीटर तय करके पादरी दुसैया पहुंचे। दुसैया और बेतिया से मिलाकर चार हजार की संख्यां में उपस्थित भक्तगण धूमधाम व उत्साह के साथ पर्व मनाया। पादरी दुसैया के चर्च तक चहलकदमी बढ़ गयी। बताते चले कि मां मरियम के तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाने के कारण पादरी दुसैया में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। पर्व की आगाज तो 29 नवम्बर,2019 को संध्या 3:30 बजे बेतिया के धर्माध्यक्ष पीटर सेवास्टियन गोबियस के द्वारा झंडोत्तोलन से किया गया। इस तिथि को धर्माध्यक्ष पीटर सेवास्टियन गोबियस ने नोबिना प्रार्थना कर झंड़ोतोलन के साथ शुरू किया था। रविवार को आयोजित वार्षिक पर्व में बेतिया के धर्माध्यक्ष पीटर सेवास्टियन गोबियस, मुजफ्फरपुर के धर्माध्यक्ष काजेटन फ्रांसिस ओस्ता सहित अन्य पल्ली पुरोहित उपस्थित हुए व समारोही मिस्सा धार्मिक संस्कार संपन्न कराया। इसके पूर्व नगर के मुख्य चर्च से श्रद्धालुओं ने भव्य शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा नगर भ्रमण करते हुए पादरी दुसैया चर्च पहुंची। जहां दुसैया पल्ली ने यात्रियों का शानदार स्वागत किया। यात्रा क्रम में श्रद्धालुओं ने माता की जय-जयकार की। भक्तों ने माता की शान में उनकी महिमा का गुणगान किया। ओ मदर मेरी तुम कितनी अच्छी हो दयालु हो.. जैसे गान गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। मुख्य कार्यक्रम दुसैया चर्च में हुआ था। पल्ली पुरोहितों ने धर्म पर उपदेश देकर श्रद्धालुओं को एक सुन्दर व सफल जीवन जीने की राह दिखायी। मौके पर बीमार लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के ईश्वर से विशेष प्रार्थना की। सबसे मुख्य धार्मिक कार्यक्रम पाव स्वीकार सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर कई श्रद्धालु माता मरियम के समक्ष प्रस्तुत हुए और अपना पाप स्वीकार किया। बताते है कि जो श्रद्धालु सच्चे दिल व निश्चल मन से अपना पाप स्वीकार करता है, माता मरियम उनके पाप को समाप्त कर देती हैं। इस कार्यक्रम के बाद माता मरियम की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। मौके पर फादर अल्फोंस जोजो, ओपी, फादर क्लोड कोर्दा, ओपी, फादर अविल लोबो, ओपी , फादर सुशील आदि उपस्थित रहे। वहीं कार्यक्रम में जेम्स से समाजसेवी सह शिक्षाविद उपस्थित थे।
ग्वादालूपे मां मरियम पूरा करती है मुराद
पादरी दुसैया अवस्थित ग्वादालूपे माता मरियम की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। करामाती मां मरियम के दरबार में पहुंचने वाले भक्त कभी निराश नहीं लौटते है। सच्चे दिल से लोग यहां मन्नत मांगते है। माता उनकी सभी मुरादें पूरा करती हैं। पुत्रहीनों पर माता विशेष दया करती है, जो भक्तिपूर्वक माता की आराधना करते है, उन्हें माता संता प्रदान करती हैं। चर्च में स्थापित माता मरियम की तस्वीर काफी दुर्लभ माना जाता है। इसका रोचक इतिहास है। बताया जाता है कि चमत्कारी दयालू माता मरियम का यह दुर्लभ तस्वीर मैक्सिको देश के ग्वादालूपे शहर अवस्थित तपेयाक पहाड़ी पर बने एक चर्च से लाया गया है। इस दुलर्भ तस्वीर को अमेरिकी पुरोहित बाब रार्बट लुडिविक ने लाया था। मान्यता है कि यह यह माता बड़ी जगता है। मैक्सिको के ग्वादालूपे शहर में माता के प्रकट होने का एक रोचक हिस्सा है। पल्ली पुरोहित फादर जोसेफ डिसूजा ने बताया कि ग्वादालूपे माता मरियम की कहानी की शुरूआत सन 1531 माह दिसंबर में मैक्सिको शहर के तेनोकाटिटलन गांव से हुई। यहां माता ने जुआन दियेगो नामक युवा किसान को चार बार दर्शन दी। वे एक नए ईसाई थे और एक दिन पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेने जा रहे थे। रास्ते में एक सुंदर स्त्री जिसका सारा बदन रोशनी से चमक रहा था। अचानक जुआन दियेगो के सामने प्रगट हो गई। पक्षियों के मधुर संगीत के बीच माता ने कहा कि मैं संपूर्ण तथा नित्य संत मरिया हूं। जुआन दियेगो को उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे उनकी करूणामयी मां है और सभी तरह के लोगो से प्यार करने के लिए यहां आई हूं। वह मैक्सिको शहर के तपेयाक घाटी पर जहां वह खड़ी वहां उनके आदर ने एक चर्च बनवाना है। दर्शन के बाद जुआन दियेगो भागते हुए अपने धर्माध्यक्ष जुमर्रागा के पास गया और स्थिति से अवगत कराया। लेकिन धर्माध्यक्ष ने उसकी बात मामने से इनकार कर दिया। और इसक पक्ष साबुत लाकर देने की बात कही। कई बार कहने के बाद भी जब धर्माध्यक्ष ने उनकी बात नहीं मानी तो वे निराश होकर बाहर निकले। तब धर्माध्यक्ष ने उनके पीछे अपने लोगों को लगा दिया। इसी क्रम 12 दिसंबर 1531 में माता में ने चौथी बार दर्शन दिया और कहा कि मैं अपने अस्तित्व का साक्ष्य दूंगी। माता ने तपेयाग घाटी उगी केस्तलियन फूल समेट कर जुआन दियेगो के अंगोछे में दिया, वह उस फूल को धर्माध्यक्ष के पास ले गया और जैसे वहां अंगोछा खोला सुंदर फूल माता मरियम के सुंदर तस्वीर के रूप में परिवर्तित हो गया। उसी दुर्लभ तस्वीर की प्रतिलिपि अमेरिकी पुरोहित बाब रौबर्ट लुडविक ने भारत आने के क्रम में यहां लाये था।
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