पटना में गांधी मूर्ति के समक्ष दिया धरना, यूपी की रास्ते बढ़ रही बिहार सरकार.नौजवानों ने की नेशनल रोजगार रजिस्टर बनाने की मांग.
पटना 28 दिसंबर, देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में आतंक के राज के खिलाफ आज भाकपा-मकाले के देशव्यापी विरोध दिवस के तहत पूरे राज्य में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए. राजधानी पटना में गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के समक्ष धरना दिया गया. यूपी सरकार की बर्खास्तगी के साथ-साथ आज के कार्यक्रम में बिहार में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ हो रहे आंदोलन को दबाने की पर रोक लगाने की मांग की गई. आज के कार्यक्रम में भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता केडी यादव, केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चैबे, शशि यादव, राजाराम, आरएन ठाकुर, शिवसागर शर्मा, उमेश सिंह, मुर्तजा अली, नसीम अंसारी, प्रकाश कुमार, इनौस के बिहार राज्य सचिव सुधीर कुमार आदि नेता उपस्थित थे. जबकि संचालन ऐक्टू के बिहार राज्य सचिव रणविजय कुमार ने किया. अपने संचालन में उन्होंने आज के कार्यक्रम का परिप्रेक्ष्य विस्तार से बतलाया. धरना को संबोधित करते हुए केडी यादव ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए प्रत्येक लोकतांत्रिक आवाज एवं अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध चैतरफा हमला बोल दिया है. वहां आज आतंक का राज कायम हो गया है. प्रशासन सांप्रदायिक हो गई है. इसलिए वहां की सरकार को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए. यूपी की ही तरह बिहार में भी नीतीश कुमार की सरकार आंदोलनकारियों के दमन पर आमदा है. बिहार के औरंगबाद में भी अल्पसंख्यक समुदाय के घरों में घुसकर हमला किया गया. फुलवारीशरीफ की घटना से हम सब वाकिफ हैं. अब विरोध-प्रदर्शन करने वालों पर सरकार मुकदमे पर मुकदमे थोप रही है. माले नेताओं पर कई जगह फर्जी मुकदमे थोपे गए हैं. अन्य राजनीतिक दलों के भी कार्यक्रमों को भी बाधित किया जा रहा है. अपने संबोधन में शशि यादव ने कहा कि यूपी में अभी तक 20 से ज्यादा लोग पुलिस की हिंसा में मारे जा चुके हैं. यहां तक कि पुलिस थानों में नाबालिगों को यातनायें देने की चिंताजनक खबरें आ रही हैं. ऐसे वीडियो प्रमाण मिल रहे हैं जिनमें पुलिस मुस्लिमों को भद्दी साम्प्रदायिक गालियां और जान से मारने की धमकियां दे रही है, और उनके घरों में लूटपाट व तोड़फोड़ कर रही है. मुस्लिम समुदाय से बेगुनाहों को झूठे अपराधों में फंसाया जा रहा है. वाम दलों, मानवाधिकार संगठनों और विरोध में शामिल हो रहे आम नागरिकों को गिरफ्तार कर जेलों में डाला जा रहा है. वहां पुलिस जुलूस में शामिल निर्दोष लोगों और कार्यकर्ताओं के फोटो अखबारों में छाप कर ‘वान्टेड’ नोटिस जारी कर रही है. उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इण्टरनेट को बंद कर दिया गया है. सरोज चैबे ने अपने संबोधन में कहा कि लगता है कि योगी सरकार किसी भी कीमत पर विरोध करने के जनता के संवैधानिक अधिकार को छीनना चाहती है, इसीलिए वह ऐसी दमनात्मक कार्रवाईयां कर रही है कि प्रदर्शन करने वालों को सबक सिखाया जा सके. इसलिए भाकपा-माले मांग करती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तत्काल अपना पद छोड़ें, और सर्वोच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश के हालात पर निष्पक्ष जांच कराने के लिए एक एस.आई.टी. का गठन करे, ताकि दोषी पुलिस कर्मियों व अन्य अधिकारियों को दण्डित किया जा सके. अपने संबोधन में आरएन ठाकुर ने कहा कि श्रम कानूनों में संशोधन व एनआरसी-सीएए-एनपीआर के खिलाफ 8 जनवरी को मजदूर संगठनों की हड़ताल ऐतिहासिक होेन वाली है. किसान नेता शिवसागर शर्मा ने कहा कि 8 जनवरी की हड़ताल को किसानों ने भी अपना समर्थन दिया है. इनौस राज्य सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि इस देश के नौजवान सीएए-एनआरसी-एनपीआर को पूरी तरह खारिज करते हैं. हमें इस प्रकार का विभाजनकारी कानून नहीं चाहिए. हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, इसलिए हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह तत्काल नौजवानों के लिए नेशनल रोजगार रजिस्टर बनाए. आज के कार्यक्रम में उपर्युक्त नेताओं के अलावा इनौस के पटना जिला अध्यक्ष साधुशरण, सचिव मिथलेश कुमार, शशिरंजन, विनय कुमार, लंकेश कुमार सिंह, माले नेता डाॅ. प्रकाश, अनय मेहता, जितेन्द्र कुमार, रामबलि प्रसाद, प्रेमचंद सिन्हा, विभा गुप्ता, कृष्णमोहन सिन्हा, मो. आरिफ, पुनीत कुमार आदि उपस्थित थे. पटना के अलावा जहानाबाद, दरभंगा, सिवान, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, आरा, अरवल, गया, नवादा, बक्सर आदि जिला केंद्रों पर भी प्रतिवाद निकाले गए.
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