अनिवार्य शिक्षा पर जीडीपी के छह प्रतिशत खर्च करने की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 25 दिसंबर 2019

अनिवार्य शिक्षा पर जीडीपी के छह प्रतिशत खर्च करने की मांग

demand-to-expense-6-percent-on-basic-education
नयी दिल्ली , 24 दिसम्बर , राइट फॉर एजुकेशन फोरम ने देश में अनिवार्य स्कूली शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए बजट में सकल घरेलू उत्पाद का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की मांग की है। फोरम के प्रमुख अम्बरीष राय ने वित्त मंत्रालय में बजट पूर्व चर्चा के दौरान यह मांग की। श्री राय ने कहा कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून को लागू हुए 10 साल हो गए लेकिन केवल 12,7 प्रतिशत स्कूलों में ही यह कानून पूरी तरह लागू हो पाया है। इसलिए नयी शिक्षा नीति के मसौदे के अनुरूप शिक्षा का बजट छह प्रतिशत किया जाना चाहिए तभी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और देश का विकास होगा। सोलह प्रतिशत की मांग पांच दशक से भी अधिक समय से प्रतीक्षित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में निवेश करना केवल नागरिकों में निवेश करना नही बल्कि देश के विकास में निवेश करना है और फंड की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता नहीं बढ़ी क्योंकि देश मे शिक्षकों की भी कमी है और कई राज्यों में नियमित शिक्षक भी नही हैं। उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक एवं समावेशी विकास के लिए शिक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। अगर पांच ट्रिलियन की अर्थव्यस्था करनी है तो कौशल विकास शोध अनुसंधान नवाचार सब की जरूरत पड़ेगी और यह सब बजट बढ़ाने से ही होगा। उन्होंने कहा कि समावेशी भारत बनाने के लिए दलितों ,आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून के लिए बिहार में ( 47,736 करोड़ ), उत्तरप्रदेश में ( 38,316 करोड़ ),मध्यप्रदेश में ( 22,682 करोड़ ),पश्चिम बंगाल मं (19,870 करोड़ ), राजस्थान ( 17,731 करोड़ ), ओडिशा (13,306 करोड़ ), झारखंड (11122 करोड़ ),छत्तीसढ़ (7708 करोड़ ), असम (10875 करोड़ ) और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10,201 करोड़ रुपये की अतिरिक्त फंड की जरूरत होगी। 

कोई टिप्पणी नहीं: