जम्मू कश्मीर में नेताओं को छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन लेगा : शाह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

जम्मू कश्मीर में नेताओं को छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन लेगा : शाह

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नयी दिल्ली, 10 दिसंबर, गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस को राजनीतिक नेताओं से ज्यादा आम आदमी की चिंता करने की नसीहत देते हुए कहा कि नेताओं को हिरासत से छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन की ओर से लिया जायेगा । निचले सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं को छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन की ओर से लिया जाएगा तथा वहां के मामले में केंद्र सरकार दखल नहीं देगी। ’’ उन्होंने कहा कि जिन राजनीतिक नेताओं को प्रतिबंधित आदेश के तहत जेल में रखा गया है, सरकार की उनमें से किसी को एक दिन भी ज्यादा जेल में रखने की कोई इच्छा नहीं है । ‘‘ जब भी प्रशासन तय करेगा, उनकी रिहाई होगी। ’’ अमित शाह ने आरोप लगाया कि फारूख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला को 11 साल तक जेल में रखा गया और यह कांग्रेस और इंदिरा गांधी के समय में हुआ । उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उनके नक्शे कदम पर चलने का कोई इरादा नहीं है और जब भी स्थानीय प्रशासन तय करेगी, उन्हें रिहा कर दिया जायेगा ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम फोन पर प्रशासन को निर्देश नहीं देते । यह आप (विपक्ष की पूर्व सरकार) कर सकते हैं, हम नहीं ।’’ कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति को लेकर विपक्ष के सवालों पर उन्होंने कहा कि सभी थाना क्षेत्र से कर्फ्यू हटाया लिया गया, धारा 144 हटा ली गई लेकिन यह इनको (विपक्ष) सामान्य स्थिति नहीं लगती है । उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद पुलिस गोलीबारी में एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई, यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है लेकिन यह उन्हें (कांग्रेस को)सामान्य नहीं लगता है ।

कांग्रेस पर प्रहार करते हुए शाह ने कहा, ‘‘ इनकी चिंता यह है कि राजनीतिक गतिविधि कब शुरू होगी । इनके लिये सामान्य स्थिति यही है । इनको राजनीतिक गतिविधि शुरू होने की चिंता है। ’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस घाटी के नेताओं की चिंता कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय यदि ज्यादा चिंता घाटी के लोगों की करते तो लगता कि कांग्रेस पार्टी को वहां के लोगों की चिंता है । गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक गतिविधि की भी चिंता की है । वहां 40 हजार पंच सरपंचों के चुनाव हुए जो वर्षो से नहीं हुए थे । इसके अलावा तालुका और ब्लाक स्तर के चुनाव भी हुए । इसमें लोगों ने बड़े पैमाने पर मतदान भी किया । सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में शाह ने मुख्य विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य है, लेकिन वह कांग्रेस की स्थिति सामान्य नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि कहा कि कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि 370 हटाने पर रक्तपात हो जाएगा, लेकिन वहां एक गोली भी नहीं चली। शाह ने कहा कि स्थिति पूरी तरह सामान्य है। उन्होंने कहा कि जब स्थानीय प्रशासन को लगेगा कि नेताओं को रिहा करने का उचित समय है तो इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। केंद्र किसी तरह का दखल नहीं देगा। दरअसल, चौधरी ने सवाल किया था कि जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला और दूसरे नेताओं को कब रिहा किया जाएगा तथा क्या वहां राजनीति गतिविधि बहाल है ? इससे पहले गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर गलत प्रचार कर रहा है, लेकिन सरकार वहां स्थिति सामान्य बनाए रखने को प्रतिबद्ध है। रेड्डी ने कहा कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने के बाद से एक व्यक्ति भी पुलिस गोलीबारी में नहीं मारा गया। उन्होंने कहा कि 190 थानों में धारा 144 नहीं लगी है तथा कुछ जगहों पर ऐहतियातन सुरक्षा संबंधी कदम उठाए गए हैं। रेड्डी ने कहा कि सभी अस्पताल, चिकित्सा केंद्र और स्कूल खुले हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति हो रही है। भाषा

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