नयी दिल्ली, 15 दिसंबर, पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थियों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को ‘संविधान विरोधी’ और क्षेत्र के मूल लोगों के लिए खतरा करार देते हुए रविवार को यहां जंतर मंतर पर उसके खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को निरस्त करने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि यह कानून 1985 की असम संधि की भावना के विरूद्ध है। दिल्ली विश्वविद्यालय के असम के एक विद्यार्थी ने कहा, ‘‘ हम सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए यहां इकट्ठा हुए हैं क्योंकि यह क्षेत्र में मूल पहचान पर खतरा है । हम केंद्र से इसे निरस्त करने, इंटरनेट पर पाबंदी हटाने एवं पुलिस नृशंसता को रोकने की भी मांग करते हैं। ’’ हाल ही में संसद से पारित यह कानून उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आ गये। दिल्ली आईआईटी के असम के जोरहाट के विद्यार्थी ऋतुपूर्णा कौशिक ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य दशकों से अवैध प्रवासन के मुद्दे से जूझ रहे हैं जो नागरिकता संशोधन कानून से बहाल होने जा रहा है। उसने कहा, ‘‘ हमने 1971 तक अवैध प्रवासन को स्वीकार कर ही लिया। अब हम और इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते, हम सीमित संसाधन वाले गरीब राज्य हैं। यह कानून असमिया लोगों की पहचान पर खतरा उत्पन्न करता है और उन्हें अल्पसंख्यक बना देने का डर पैदा करता है।’’
रविवार, 15 दिसंबर 2019
पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों ने किया दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन
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