मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) : मुख्यालय सहित पूरे जिले से NRC व CAB के खिलाफ महागठबंधन के बिहार बंद के दौरान लोग सड़को पर उतर कर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे है। बाजार बंद करवा रहे है, चक्का जाम कर रहे है। प्रदर्शन कर रहे लोग नरेंद्र मोदी-अमित साह की जोड़ी पर जम कर भड़ास निकाल रहे है, रंगा-बिल्ला कह कर संबिधित कर रहे हैं। मधुबनी नगर मे स्टेशन चौक से कोर्ट कैंपस तक लोगो का हुजूम सड़को पर उतर कर जम कर प्रदर्शन कर रहे है। आज के बंद मे महागठबंधन के सभी दल शामिल है। सभी दल के नेता एवं जिलाध्यक्ष अपने-अपने दल की कमान संभाल कर जम कर प्रदर्शन कर रहे है। राष्ट्रीय जनता दल का नेतृत्व नगर विधायक सह प्रवक्ता समीर कुमार महासेठ कर रहे है। वही काँग्रेस का नेतृत्च जिलाध्यक्ष प्रोफेसर शीतलाम्बर झा कर रहे है। तो राजद के खजौली विधानसभा के विधायक सीताराम यादव ने भी मोर्चा संभाल रखा हुआ है। प्रदर्शन कर रहे लोगो व नेताओ का कहना है कि हम हिन्दु,मुस्लिम,सिख, ईसाई एक है। केन्द्र सरकार अपनी किये हुये नाकामियों को छुपाने के लिये NRC व CAB का काला कानून लोगो पर लाद कर आपस मे लड़बाना चाहती है। ऐसा हम हरगिज नही होने देंगे। केन्द्र सरकार को नागरिक संशोधन का काला बिल वापस लेना ही होगा। आम जनता पुरे आक्रोशित मे है नही तो आन्दोलन बढ़ता ही जायेगा।
कांग्रेस जिला अध्यक्ष शितलम्बर झा ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार देश में बढ़ती बेरोजगारी, घटती नौकरी, और बढ़ती महंगाई से ध्यान भटकाने के लिए सीएबी लेकर आई है। आज बिहार बंद के दौरान मधुबनी में जिस तरह से लाखों लोगों ने राजद और महागठबंधन पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लिया, यह ऐतिहासिक है। केंद्र सरकार को इस धार्मिक आधार पर बनने वाली कानून को वापस लेना चाहिए। क्योंकि भारत देश के नागरिक धार्मिक सद्भाव एवं सामाजिक एकता में विश्वास रखते हैं। इस तरह के विभाजन वाले कानून के खिलाफ है। आजादी के आंदोलन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी लोगों ने मिलकर साथ में थे। आज देश की तरक्की में सभी धर्म के लोगों का योगदान रहा है। इस तरह का कानून की भाजपा की मानसिकता को प्रदर्शित करता है। धर्म के आधार पर कानून बनाकर देश के संवैधानिक भावना के खिलाफ है। इस कानून से जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म के लोगों को नुकसान पहुंचेगा। आज आसाम राज्य में बहुत सारे हिंदुओं का नाम मतदाता सूची से जिस तरह हटा दिया गया है, यरह गलत है। यह भी नोट बंदी की तरह ही देश के खिलाफ एक काला कानून है।
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