अजित पवार 37 दिनों में दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बनेकम विधायक होने के बाद भी मंत्रीमंडल में राकांपा को अधिक जगह, ऐसा क्योंअशोक चह्वाण को मंत्रीमंडल में शामिल कर कांग्रेस की ये कैसी सियासतकई पूर्व मंत्री तो कई न्यू कमर ठाकरे मंत्रीमंडल में हुए शामिल
कहते हैं राजनीति में कब क्या होगा कहना मुश्किल है। कब, कौन किसका सुप्रीमो बनेगा या फिर सत्ता सुख की खातिर कब कौन किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। अगर यकीन नहीं है तो महाराष्ट्र की राजनीति को जरा करीब से देखिए। महाराष्ट्र में 32 दिन बाद उद्धव ठाकरे सरकार का विस्तार हुआ। अजित पवार ने 37 दिन में दूसरी बार उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं ठाकरे मंत्रीमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण भी शामिल हो गए हैं। महाराष्ट्र देश का दूसरा राज्य है जहां मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मंत्रीमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार में 26 कैबिनेट तो 10 राज्य मंत्री बनाए गए है। राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) से 14, कांग्रेस से 10 वहीं शिवसेना से 9 मंत्री बनाए गए हैं। वहीं तीन अन्य विधायकों को भी मंत्रीमंडल में जगह मिली है। एक बात और गौर करने वाली है कि महाराष्ट्र मंत्रीमंडल में छोटे दलों महा विकास अघाड़ी में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, शेकाप, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, बहुजन विकास अघाड़ी, प्रहार और जोगेंद्र कवाड़े की रिपब्लिकन पार्टी को कोई तरजीह नहीं दी गई है, जिससे उनमें नाराजगी का होना लाजिमी है। हलांकि इस पूरे मंत्रीमंडल में जहां परिवारवाद हावी है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण का कैबिनेट मंत्री बनना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
कभी महाराष्ट्र में जिनकी एक आवाज पर सूबे के सारे मंत्री तामिल करते थे आज वही उद्धव सरकार में कैबिनेट मंत्री बनकर मुख्यमंत्री के हूक्म की तामिल करेंगे। अशोक चह्वाण के पहले मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान मंत्रीमंडल में बाबू लाल गौड़ 'नगरीय प्रशासन एवं विकास', 'भोपाल गैस त्रासदी, राहत एवं पुनर्वास' विभाग के मंत्री बनाए गए थे। गौड़ के बाद पूर्व मुख्यमंत्री श्री चह्वाण अपने ही सूबे में कैबिनेट मंत्री बनकर अपना राजनीतिक पतन का इतिहास लिख रहे है। उनकी इस तरह से महाराष्ट्र सरकार में बतौर मंत्री हुई इंट्री को राजनीतिक गलियारे में उनकी सत्ता लोलुपता तक कही जा रही है। राजनीति में लोग तेज गति से आगे की तरफ बढ़ते हैं मगर यह पहला मौका है जब अपने करियर के साथ अशोक चह्वाण खिलवाड़ कर रहे हैं या फिर राजनीति की कोई नए बिसात की तैयारी है, यह तो वो या फिर उनकी पार्टी जाने। वर्ष 2008 से 2010 तक अशोक चह्वाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जिन्हें उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री बनाया गया है। इसके अलावे पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के पुत्र अमित देशमुख को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे को भी मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। वहीं शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। इस सरकार में शिवसेना के मुकाबले राकांपा के ज्यादा नेताओं को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है।
इसी साल 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री की शपथ ली थी, उनके साथ कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के दो मंत्रियों ने भी शपथ ली थी। मुख्यमंत्री के अलावे 42 अन्य मंत्री मंत्रीमंडल में नियमतः शामिल हो सकते हैं। एक बात और आपको याद दिला दूं कि 23 नवंबर को भाजपा ने राकांपा नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना लिया था। बहुमत नहीं होने की वजह से 26 नवंबर को फडणवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से सूबे में राजनीति का ताना बाना शुरु हुआ और जहां शिवसेना-भाजपा साथ-साथ चल रही थी महज कुर्सी पाने के चक्कर में दोनों की राहें जुदा हो गईं। इस तरह भाजपा-शिवसेना के बढ़ते खटास का फायदा उठाया महाराष्ट्र के पॉलिटिकल किंग शरद पवार ने और ऐसी तिकड़म रची की सूबे में सबकुछ पलट गया। सूबे के मुखिया उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
महाराष्ट्र में बनी सरकार कई मायनों में इंपोर्टेंट है, एक तो परिवारवाद, दूसरा छोटे दलों को मंत्रीमंडल में तरजीह नहीं दिया जाना। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण का मंत्री बनना कई मायनो में समझ से परे लग रहा है। आखिर महाराष्ट्र में इस तरह की कौन सी राजनीति है जहां एक तरफ अनुभवी नेताओं को मंत्री बनाया वहीं दूसरी तरफ न्यू कमर को मंत्री बनाया जाना कहीं न कहीं आगे की राजनीति का सूत्रपात माना जा रहा है। या यों कहें श्री चह्वाण को आगे कर कांग्रेस आगे की रणनीति तैयार करना चाहती है। बात भी सही हो सकती है मगर कांग्रेस के पास और भी कई नेता थे फिर अशोक चह्वाण को उनके राजनीतिक कद को दरकिनार करते हुए मंत्री बनाया जाना कांग्रेस की नई चाल से इंकार नहीं किया जा सकता है। उद्धव ठाकरे पहली बार राजनीति की मुख्यधारा में आए हैं। इसके पहले इनके पिता स्व.बाला साहेब ठाकरे राजनीति की मेन धूरी थे वही इस बार उनके पुत्र उद्धव पहली बार उस परिवार से मुख्यमंत्री बनकर मैदान में हैं। इनके लिए इस बार यह कुर्सी किसी चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेस अपनी सियासत को मजबूती से रखने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री को आगे किया है वहीं राकांपा ने अपने परिवार से उपमुख्यमंत्री देकर उद्धव को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेकर राजनीति कर रही है। इतना ही नहीं इनके अलावे कई और पूर्व मंत्री या फिर उनके परिवार से मंत्रियों का बनना महाराष्ट्र के लिए कितना सार्थक साबित होगा यह तो क्लियर हो ही जाएगा लेकिन उद्धव के लिए महाराष्ट्र की राजनीति कहीं न कहीं चुनौतीपूर्ण जरुर है।
- मुरली मनोहर श्रीवास्तव -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें