बिहार : भूमि अधिकार और बजट में हिस्सेदारी को लेकर राज्य स्तरीय परिचर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 29 दिसंबर 2019

बिहार : भूमि अधिकार और बजट में हिस्सेदारी को लेकर राज्य स्तरीय परिचर्चा

  • उद्घाटन दीप जलाकर उद्योग मंत्री श्याम रजक ने किया

सभी वास-भूमि विहीन परिवारों को 10 डिसमिल जमीन के लिए एक सशक्त कानून बनाकर नियत समयावधि में देने की वकालत करने लगे। भूदान एवं सीलिग की जमीन की समीक्षा कर शेष जमीन दलित भूमिहीनों को वितरित किया जाए। वन अधिकार कानून 2006 को पूर्ण रूप से लागू कर बिहार के आदिवासी एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों को सामुदायिक एवं व्यक्तिगत वनभूमि पर अधिकार दिया जाए
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पटना, आज दलित अधिकार मंच द्वारा पटना स्थित भारतीय नृत्यकला मंदिर में आयोजित भूमि अधिकार और बजट में हिस्सेदारी को लेकर राज्य स्तरीय परिचर्चा का उद्घाटन दीप जलाकर उद्योग मंत्री श्याम रजक ने किया।एक दिवसीय विचार विमर्श कार्यक्रम नें शामिल होकर श्रद्धेय बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया। भूमि अधिकार और बजट में हिस्सेदारी को लेकर राज्य स्तरीय परिचर्चा का उद्घाटन कर उद्योग मंत्री श्याम रजक ने कहा कि वनाधिकार कानून को लेकर दशकों से आंदोलन और परिचर्चा होते रही है। 2006 में कानून भी बना पर अभी तक यह पूर्ण स्वरूप में नहीं आ सका है। इसका मूल मकसद पूरा नहीं हो सका है। इसका जंगलों में रह रहे 20 प्रतिशत आबादी पर पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि वन अधिकार कानून के विधिवत क्रियान्वित करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों को पहल करने की जरूरत है। दलित अधिकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष कपिलेश्वर राम,एक्शन एड से सौरभ कुमार,पंकज श्वेताभ,पूर्व मंत्री रामचन्द्र राम,विधायक राजेश राम,भोजन के अधिकार से रूपेश,एकता परिषद से प्रदीप प्रियदर्शी,गिरीश आदि ने सभी वास-भूमि विहीन परिवारों को 10 डिसमिल जमीन के लिए एक सशक्त कानून बनाकर नियत समयावधि में देने की वकालत करने लगे। भूदान एवं सीलिग की जमीन की समीक्षा कर शेष जमीन दलित भूमिहीनों को वितरित किया जाए। वन अधिकार कानून 2006 को पूर्ण रूप से लागू कर बिहार के आदिवासी एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों को सामुदायिक एवं व्यक्तिगत वनभूमि पर अधिकार दिया जाए। वक्ताओं ने कहा कि सभी जमीन का मालिकाना अधिकार परिवार के वयस्क महिला सदस्य के नाम पर हो। अनुसूचित जाति उपयोजना, अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत प्राप्त होने वाले निधि को कानून बनाकर इसके नियोजन, आवंटन तथा सही इस्तेमाल की रूपरेखा तथा इसके क्रियान्वयन के लिए ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया गया।

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