हैदराबाद, 29 दिसंबर, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) जैसे मुद्दों पर प्रबुद्ध और रचनात्मक बहस का आह्वान करते हुए लोगों से गहराई से अध्ययन करने और किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से पहले पृष्ठभूमि को पूरी तरह समझने का आग्रह किया है। श्री नायडू ने रविवार को यहां अविभाजित आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री डॉ. एम चन्ना रेड्डी के जन्म शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि हिंसा और लोकतंत्र एक साथ नहीं चलते हैं। उन्होंने लोगों को आगाह किया है कि वे फर्जी खबरों के प्रभाव में नहीं आयें। उन्होंने कहा कि जहां तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर का संबंध है, देश के लोगों को एक प्रबुद्ध, सार्थक और रचनात्मक चर्चा करनी चाहिए और जल्दबाजी में निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। हमारा परिपक्व लोकतंत्र है और इसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि असंतोष या असहमति को रचनात्मक, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हिंसा के सभी रूपों का त्याग कर दिया था और ब्रिटिश शासन के विरोध के दौरान वह अपने विरोधियों के प्रति भी सभ्य रहे। उन्होंने चौरी चौरा की घटना के बाद असहयोग आंदोलन बंद कर दिया था क्योंकि वह हिंसक हो गया था। उपराष्ट्रपति ने संसद और विधानसभाओं की गरिमा बनाये रखने और बहस का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत हमले नहीं किये जाने चाहिए ,हालांकि नीतियों की आलोचना की जा सकती है। श्री नायडू ने शासन प्रणाली का उल्लेख करते हुए इसमें लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप सुधार लाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सुशासन प्रदान करने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और जन-केंद्रित नीतियां आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करना, प्रशासन का विकेंद्रीकरण करना, लालफीताशाही को कम करना, सरकारी विभागों और जनता के बीच ऑनलाइन इंटरफेस को बढ़ावा देना और शिकायतों का तुरंत समाधान करना एक जिम्मेदार प्रशासन की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
रविवार, 29 दिसंबर 2019
वेंकैया का सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर सार्थक बहस का आह्वान
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