विजय दिवस कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री शामिल होंगे
कुटीर एवं ग्रामोद्योग, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री श्री हर्ष यादव सोमवार 16 दिसम्बर को विजय दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे। प्रभारी मंत्री का प्राप्त दौरा कार्यक्रम अनुसार 16 दिसम्बर सोमवार की दोपहर 12 बजे भोपाल से प्रस्थान कर एक बजे विदिशा के सर्किट हाउस में आगमन एवं कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों से भेंट करेंगे। प्रभारी मंत्री श्री यादव एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह में आयोजित विजय दिवस कार्यक्रम में दोपहर दो बजे शामिल होंगे। उपरोक्त कार्यक्रम के उपरांत दोपहर 3.30 बजे विदिशा से भोपाल के लिए रवाना होंगे।
आजीविका मेले का आयोजन 17 को
प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों पर आजीविका मेले का आयोजन 17 दिसम्बर को किया गया है। विदिशा जिला मुख्यालय पर उपरोक्त आयोजन एसएटीआई के कैलाश सत्यार्थी सभागृह में दोपहर 12 बजे से शुरू होगा। उक्त कार्यक्रम में विदिशा विधायक श्री शशांक भार्गव, नगरपालिका अध्यक्ष श्री मुकेश टण्डन के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा हितग्राहियों को लाभांवित किया जाएगा।
अवैध कालोनियों पर कार्यवाही
विदिशा एसडीएम श्री प्रवीण प्रजापति के द्वारा आज बंटीनगर में स्थित अवैध कालोनी के निर्माण कार्यो को नष्ट कराया गया है। एसडीएम श्री प्रजापति ने बताया कि बंटीनगर में नाले पर अतिक्रमण तथा समीपवर्ती अवैध कालोनी निर्माण के विरूद्व आज जिला प्रशासन एवं नगरपालिका के द्वारा संयुक्त कार्यवाही की गई है। नगरपालिका की जेसीव्ही मशीन से कालोनी में अवैध रूप से निर्माण कराई गई सड़कों के निर्माण कार्यो के विरूद्व कार्यवाही कर सड़कों के निर्माण कार्यो को अवरूद्व करते हुए नष्ट करने की कार्यवाही की गई है साथ ही नाले पर अतिक्रमण चिन्हितों पर उपरोक्त कार्यवाही की जाएगी। एसडीएम श्री प्रवीण प्रजापति के द्वारा सम्पादित उपरोक्त कार्यवाही के दौरान मुख्य नगरपालिका अधिकारी श्री सुधीर सिंह के अलावा राजस्व एवं निकाय के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे।
महाविद्यालय स्तर पर दिये जाएंगे ‘‘उच्च शिक्षा उत्कृष्टता सम्मान’’ उच्च शिक्षा में स्वास्थ्य प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी
प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले महाविद्यालयों और वहां कार्यरत अधिकारियों को प्रोत्साहित करने के लिए “उच्च शिक्षा उत्कृष्टता सम्मान” दिये जाएंगे। उच्च शिक्षा द्वारा महाविद्यालयों में स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा का वातावरण निर्मित करने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की जा रही है। योजना के अंतर्गत सम्मान प्रदान करने के लिये राज्य स्तर पर 20 शिक्षक और 5-5 प्राचार्य, क्रीडा अधिकारी, ग्रंथपाल तथा एनसीसी अधिकारी और संस्था वर्ग से पांच-पांच महाविद्यालय, प्रयोगशाला एवं ग्रंथालय का चयन किया जाएगा । अधिकारी एवं संस्था वर्ग का मूल्यांकन गत तीन अकादमिक सत्र से संबंधित जानकारी पर आधारित होगा । उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सम्मान के लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किये जाएंगे। आवेदन करने के लिए न्यूनतम एक माह का समय दिया जाएगा। सभी आवेदनों का समिति द्वारा परीक्षण किया जाएगा। समिति द्वारा आयुक्त उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में गठित अनुशंसा समिति को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी । अनुशंसा समिति अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल को प्रस्तुत करेगी। सम्मान के लिए चयनित अधिकारी और संस्थान के नाम की घोषणा आयुक्त उच्च शिक्षा द्वारा की जाएगी। यह सूचना उच्च शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाएगी।
नगरीय सुविधाएँ अब पहुँचेंगी शहर के अंतिम छोर तक
नगरीय सुविधाओं का विस्तार कर शहर के अंतिम छोर तक और सबसे गरीब वर्ग तकपहुँचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश में पिछले लगभग एक साल की अवधि मेंसक्षम नेतृत्व के कारण जहाँ प्रचलित नगरीय विकास योजनाओं को तर्कसंगत बनाया गयाहै, वहीं एक वर्ष से रुकी या अधूरी पड़ी पेयजल, सीवरेज और मेट्रो जैसी परियोजनाओंको अमली जामा पहनाया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए क्लस्टर आधारित अवधारणा कोसमाप्त कर विकेन्द्रीकृत कार्य-योजना लागू की गयी है। घर-घर जाकर कचरा संग्रहणकरने के लिए 850 वाहन खरीदने की अनुमति देकर 50 करोड़ 76 लाख की राशि आवंटित कर दीगई है।निकायों में 83 मटेरियल रिकवरी सेंटर के लिए 14 करोड़ से अधिक और नगरपालिकनिगमों में ट्रांसफर स्टेशन के लिए 5 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि जारी की गयीहै। उज्जैन नगर निगम को बायो-मेथेनाइजेशन एवं रिसाइकिल मशीन के लिए 7 करोड़ और नगरनिगम इंदौर को स्वच्छ भारत मिशन में 22 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता दी गई है।निकायों को सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण के लिए 12 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गयाहै।मिशन में 4 लाख परिवारों से व्यक्तिगतसम्पर्क कर स्वच्छता का संदेश देने के साथ ही 4 लाख से अधिक कपड़े के झोले वितरितकिए गए।
स्मार्ट सिटी योजना
स्मार्ट सिटी योजना में इस अवधि में 630 करोड़ के 29 प्रोजेक्ट पूरे किये जाचुके हैं और 89 के कार्य आदेश जारी कर दिये गये हैं। साथ ही 50 प्रोजेक्ट निविदाप्रक्रिया में हैं। योजना में क्षेत्र आधारित विकास के लिये भूमि-मुद्रीकरण कीस्वीकृति दी गई है। इससे प्राप्त आय का आधा स्मार्ट सिटी में ही खर्च किया जायेगातथा आधा रिजर्व फण्ड में सरकार के पास रहेगा।
अमृत मिशन
अमृत मिशन में डबरा और शिवपुरी की जल-प्रदाय और दमोह की स्टार्म वाटर ड्रेनपरियोजना का कार्य शुरू किया गया। हरित क्षेत्र एवं पार्क विकास परियोजना मेंजबलपुर में 6, ग्वालियर और खरगोन में एक-एक मंदसौर में 2 परियोजना का कार्यस्वीकृत किया गया है। बाइस निकायों में 19 हजार 167 लाख की 35 परियोजनाओं का कार्यपूर्ण हो चुका है।
मेट्रो रेल
भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल का कार्य शुरू कियाजा चुका है। भोज और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिये नई दिल्ली में भारत सरकारमध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के बीच एम.ओ.यू. हो चुका है।भोपाल के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 27.87 किलोमीटर में दो कॉरिडोर बनेंगें । एक कॉरिडोर करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99किलोमीटर और दूसरा भदभदा चौराहे से रत्नागिरि चौराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा। लागत रुपये 6941 करोड़ 40 लाख होगी । इंदौरमेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 31.55 किलोमीटर की रिंग लाइन बनेगी । यह बंगाली चौराहेसे विजयनगर, भंवर शाला, एयरपोर्ट होते हुए पलासिया तक जायेगी। लागत 7500 करोड़ 80लाख है । इसके साथ ही रैपिड ट्रेन चलाने की भी योजना है। मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कम्पनी द्वारा नर्मदा सेवा मिशन में विशेषनिधि में 8 नगरों की सीवरेज योजना में 10 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुए हैं। मिनीस्मार्ट सिटी कार्यों में 14 नगरों में 350 करोड़ की लागत के कार्य प्रस्तावित हैं।एडीबी पेयजल एवं मल-जल योजना में 74 पेयजल और 4 मल-जल योजना, विश्व बैंक 4 पेयजल और मल-जल योजना में 7 नगरीय निकायों में, विशेष निधि मल-जल योजना में8 नगरीय निकायों में और केएफडब्ल्यू मल-जल योजना में 3 नगरीय निकायों में और 12मिनी स्मार्ट सिटी में कार्य स्वीकृत किये गये हैं। इन सभी कार्यों की लागत 376करोड़ 61 लाख है।
शहरी पेयजल योजना
शहरी पेयजल योजना में इस अवधि में 980 लाख की योजनाएँ स्वीकृत की गई हैं और292 करोड़ लागत की 26 जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूरा किया गया है। यूआईडीएसएसएमटीयोजना में 21 नगरीय निकायों की 514 करोड़ लागत की जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूराकिया गया।
शहरी परिवहन
शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण कम करने के लिये मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिकवाहन नीति-2019 बनाई गई है, जिसमें सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर रियायत दीजायेगी। शहरों में 340 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का निर्णय लिया गया है।इंदौर-भोपाल में सौ-सौ, जबलपुर-उज्जैन में पचास-पचास और ग्वालियर में चालीसइलेक्ट्रिक बसों का संचालन प्रस्तावित है। इंदौर में 40 बसों का संचालन शुरू होचुका है। इन्टर सिटी बस सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिये 15 नगरीय निकायों में 521बस का संचालन प्रारंभ हो चुका है। छिंदवाड़ा में पीपीपी मॉडल पर साढ़े 7 करोड़ कीलागत से आईएसबीटी स्तर का बस स्टैण्ड निर्माणाधीन है।
मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास
योजना में 12 नगरीय निकायों को 13 करोड़ से ज्यादा की अनुदान राशि उपलब्धकराई गई है। सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के लिये 50 करोड़ का बजट प्रावधानित है।नगरपालिक निगम छिंदवाड़ा को सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने कानिर्णय लिया गया है। कॉलोनाइजरों की समस्याओं के निराकरण के लिये मध्यप्रदेशनगरपालिका अधिनियम में संशोधन किये गये हैं। प्रदेश में मॉडल फायर एक्ट बनाया जारहा है।
जल-संरक्षण एवं संवर्धन
राज्य सरकार द्वारा 'अक्षय जल संचय'' अभियान में सभी 378 नगरीयनिकायों को शामिल किया गया है। ग्यारह माह पहले यह अभियान मात्र 29 निकायों मेंसंचालित था। अभियान में अब तक 80 हजार से अधिक रूफवॉटर हॉर्वेस्टिंग, 10 लाख पौधोंका रोपण और 500 जल-संरचनाओं की सफाई एवं मरम्मत कराई गई।
एलईडी लाइट
नगरीय निकायों की 11 लाख पारम्परिक लाइटों को एलईडी में बदलने का लक्ष्यहै। कार्य की अवधि एक वर्ष और रख-रखाव की अवधि सात वर्ष रखी गई है। इससे विद्युतखपत में 50 प्रतिशत बचत हो सकेगी।
युवा स्वाभिमान योजना
इस योजना में करीब सवा 4 लाख हितग्राहियों का पंजीयन हुआ है। योजना कार्यक्षेत्र के 166 नगरीय निकायों में 38 ट्रेड में करीब 20 हजार हितग्राही प्रशिक्षणप्राप्त कर रहे हैं। पात्र 19 हजार 396 हितग्राहियों को 12 लाख से ज्यादा राशि कास्टाइपेंड वितरित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी)
मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी) में पट्टा वितरण की कार्यवाही की जारही है। अभी तक एक लाख 15 हजार 889 आवासीय इकाइयों के निर्माण की स्वीकृति देकरकरीब 1765 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। नगरीय क्षेत्रों में लगभग डेढ़ लाखभूमिहीन परिवारों को पट्टा वितरण की कार्यवाही प्रचलित है।
शहरी सुधार कार्यक्रम
सही वित्तीय स्थिति के आकलन के लिये सभी 378 नगरीय निकायों में से 341 मेंप्रारंभिक बैलेन्स शीट एवं सम्पत्ति और देनदारियों के रजिस्टर तैयार कराये जा चुकेहैं। सभी नगरीय निकाय इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड के रख-रखाव की ओर अग्रसर है। सभी निकायोंमें दोहरी लेखा प्रणाली से बजट तैयार करने से आंतरिक वित्तीय नियंत्रण को सुदृढ़ता केसाथ अनुदान निधियों का भी उचित प्रबंधन संभव हुआ है। जीआईएस एवं बहु-उद्देश्यीयसर्वेक्षण कर राजस्व में वास्तविक वृद्धि करते हुए 49 नगरीय निकायों का कार्यपूर्ण किया गया है। सर्वे के बाद डिमांड 61 करोड़ 46 लाख की वृद्धि हुई है, जो कुलवृद्धि का 143 प्रतिशत है। इसी तारतम्य में 119 नगरीय निकायों की भी निविदाप्रकाशित की गई है।
नयी रियल एस्टेट पॉलिसी
प्रदेश में पहली बार सभी के हित में रियल एस्टेट पॉलिसी बनाई गईहै। नई पॉलिसी में 2 हेक्टेयर से कम जमीन में भी कॉलोनी बनाने की अनुमति दी गई है।रजिस्ट्रेशन, म्यूटेशन और स्टॉम्प डयूटी सहित अन्य जरूरी कार्यों के लिये सिंगलविण्डो सिस्टम बनाया गया है। शहरों में अगले पाँच वर्ष में लगभग एक लाख 8 हजार 722करोड़ की लागत के विभिन्न विकास कार्य करवाये जायेंगे। बिल्डरों को प्रोत्साहितकरने के लिये मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने प्रदेश में पहली बार कलेक्टर गाइड लाइनके रेट में कमी की है। नजूल की एनओसी तीस दिन में देने का प्रावधान किया गया है। वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन:नई पॉलिसीमें कॉलोनाइजर्स के लिये वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है जिसका हर पाँचसाल में नवीनीकरण करवाना होगा। लैण्ड यूज सर्टिफिकेट ऑनलाईन मिलेंगे। बड़े शहरों केपास सेटेलाईट टाउनशिप विकसित करने के साथ ही शहरों का विस्तार भी किया जायेगा। बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5 डाक्यूमेंट : नईपॉलिसी में नागरिकों को अब बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5डाक्यूमेंट लगेंगे। चौबीस मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित कालोनियों मेंकमर्शियल गतिविधियों के लिये निर्धारित शर्तों पर अनुमति दी जायेगी। मॉर्टगेजप्लॉट को तीन चरण में मुक्त किया जायेगा। कॉलोनियों के चरणबद्ध विकास की अनुमति भीदी जायेगी। ईडब्ल्यूएस बनाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके स्थान पर मिलने वाली राशिका उपयोग गरीबों के मकान बनाने के लिये किया जायेगा। अफोर्डेबल हाऊसिंग के लियेअतिरिक्त एफएआर की अनुमति दी जायेगी। इनवेस्टर्स को लैण्ड पूलिंग की सुविधामिलेगी। रेंटल हाऊसिंग को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।
टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग
नगर विकास योजनाओं में शामिल शासकीय भूमियाँ प्राधिकरणों को प्राप्त होसकें, इसके लिये नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा राजस्व विभाग से समन्वय करनीति तैयार की जा रही है। लंबे समय से अक्रियान्वित योजनाओं के कारण नगर का विकासअवरुद्ध न हो, इसकी नीति भी निर्धारित की जा रही है। नगर विकास योजनाओं तथा बेटरमेन्ट लेव्ही के माध्यम से मास्टर प्लान केप्रस्तावित मुख्य मार्गों का निर्माण किया जायेगा। लीज नवीनीकरण तथा उन्नत भूमिउपयोग के लिये शमन शुल्क अधिरोपित कर लीज डीड का नवीनीकरण किया जा रहा है। म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम-1973 में लेण्ड पूलिंग के प्रावधानजोड़ने तथा इसके लिये नियम बनाने के लिये शीघ्र ही अधिनियम एवं नियमों में संशोधनकिया जायेगा। सभी प्रकार के पार्किंग स्थलों तथा मशीनीकृत पार्किंग की व्यवस्थाकरने के लिये म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन किया जा रहा है। अग्निशमनअधिकारी की योग्यता एवं कर्त्तव्यों को भी स्पष्ट किया जा रहा है। नयी विद्युतवाहन नीति के प्रावधानों के अनुरूप म.प्र. भूमि विकास नियम के नियमों में प्रावधानों को जोड़े जाने कीकार्यवाही की जा रही है। भू-खण्डीय विकास के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल की सीमा को समाप्त करनिवेशकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया गया है। ले-आउट अनुमोदन एवं भवन अनुज्ञा के लिये जरूरी27 दस्तावेज/एनओसी को कम कर 5 तक सीमित किया गया है। इसमें मुख्यत: ले-आउट के लियेनजूल अनापत्ति प्राप्त करना समाप्त किया गया है। नगरीय विकास योजनाओं को जीआईएस पर तैयार करने कालक्ष्य रखा गया है। नगरों की विकास योजनाएँ तैयार करने के लिये जीआईएस स्टूडियो कीस्थापना की गई है। अब प्रदेश की समस्त विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार कीजायेंगी। अब तक 24 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। अमृतयोजना में 5 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। एनआरएससी हैदराबाद से 21 नगरों का सेटेलाइट डाटा प्राप्त किया गया है। प्रदेश के 16नगरों की विकास योजनाओं से संबंधित भूमि उपयोग ऑनलाइन जारी किये जा रहे हैं। चारमहानगरों के भूमि उपयोग बिना मानवीय दखल के ऑनलाइन जारी करने संबंधी कार्यवाहीजारी है। म.प्र. मेट्रोपालिटन प्लानिंग एण्ड डेव्हलपमेंटअथारिटी एक्ट का प्रारूप तैयार है। इंदौर विकास योजना2021 में औद्योगिक भू-खण्डों के लिये भू-तल कवरेज क्षेत्र 30 से बढ़ाकर 60 प्रतिशतकिया गया है।
मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल
मण्डल की आवासीय योजनाओं के चयन के लिये प्रोजेक्ट अप्रेजल फ्रेमवर्क और रेरानियमों के परिपालन के लिये रेरा अप्रेजल फ्रेमवर्क का निर्धारण किया गया है। मण्डलकी सम्पत्ति विनियम से संबंधित नीतियों, परिपत्रों एवं गाइड लाइन में संशोधन कियागया। निर्माण कार्य में विलंब के लिये मैदानी अधिकारियों के दायित्व का निर्धारणतथा समय पूर्व कार्य करने पर अधिकारियों एवं ठेकेदारों को प्रोत्साहन देने की नीतिका प्रारूप तैयार किया गया। मण्डल आवंटियों के एक लाख 35 हजार खातों काकम्प्यूटराइजेशन किया गया है। आवंटियों की ऑनलाइन लीज एवं सम्पत्ति खातों केसत्यापन का विशेष अभियान चलाया गया। सभी वित्तीय लेन-देन ऑनलाइन किये जा रहे हैं।
वचन-पत्र
इसके अलावा नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पिछले12 माह में वचन पत्र के बिन्दुओं की पूर्ति के लिए प्रभावी कार्यवाही की है। विभागने अनेक वचन पत्रों को एक ही वर्ष में पूरा कर दिया। विभाग द्वारा जिन वचनों कीपूर्ति की गई है, उनमें नगरों में सिटी बसों की सेवा नगरीय निकाय के माध्यम सेप्रारंभ की जाएगी, की पूर्ति के लिए प्रथम चरण में 17 नगरीय निकाय भोपाल, इन्दौर,ग्वालियर, रतलाम, उज्जैन, देवास, खण्डवा, बुरहानपुर, भिण्ड, मुरैना, गुना, जबलपुर,कटनी, सतना, रीवा, सिंगरौली और छिन्दवाड़ा में सिटी बस संचालन के लिए निविदाएँबुलाई जा चुकी हैं। कुल 503 बसों का संचालन किया जाएगा। इनमें से 255 बसेंइन्ट्रासिटी होगी। महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड एवं आवास आवंटित करेगें तथामृत्यु उपरान्त इनका हस्तान्तरण बेटी व बहू के नाम से करेंगे संबंधी वचन के पालनमें पात्र महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड का पट्टा नियमानुसार आवंटित किया जारहा है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र महिलाओं को आवास आवंटित करने कीकार्यवाही की जा रही है। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद परिवार को आवंटितआवासीय भू-खण्ड एवं आवास का हस्तान्तरण वैध उत्तराधिकारियों को करने का प्रावधान केपालन के लिये विभाग द्वारा आदेश जारी किया जा चुका है। सीवेज टेंक एवं नालों की सफाई के लिए आधुनिकउपकरणों का उपयोग एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगे संबंधी वचन के पालन में निकायोंको मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन से अनुदान दिया जा रहा है। सीवेज टैंक एवंनालों की सफाई कार्य में लगे सफाई कामगारों की मृत्यु पर उनके परिवार के एक सदस्यको अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिये शासन के अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी परिपत्र कोसभी नगरीय निकायों में लागू किया गया है। सफाई संरक्षकों के पदों पर अनुकम्पानियुक्ति के प्रकरणों के निराकरण के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। शासकीयकार्यालयों एवं निकायों में दैनिक वेतन या अन्य किसी तरीके से लगे सफाई कामगारोंका नियमितीकरण करने के पालन में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त सफाई संरक्षक पदों एवंअन्य पदों पर नियुक्ति दिए जाने के निर्देश नगरीय निकायों को जारी हो गए हैं। नगरएवं ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में वर्तमान आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में संशोधन करनेके पालन में ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के साथ अनुबंध कियागया है। कार्यवाही की जा रही है। कांजी हाऊस को व्यवस्थित कर संचालित करनेतथा रहवासी क्षेत्रों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने की पूर्ति के संबंध में सभीनगरीय निकायों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नगरों में सत्ता के विकेन्द्रीकरणके लिए पूर्व में कांग्रेस सरकार ने जो कदम उठाये थे, उसे पूरा करने के पालन मेंसंबंधित विभागों से प्रत्यायोजित अधिकारों की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने के लिएविभागीय स्तर पर बैठक करने को कहा गया है। आवासीय कालोनी के लिए 5 एकड से कम करकेएक एकड तक की भूमि पर अनुमति देंगें, के पालन में आवास एवं पर्यावास नीति 2007 कीकंडिका 5.4 को विलोपित कर दिया गया है।
जीएसटी में पंजीयन के लिये करदाताओं के वार्षिक टर्नओव्हर की सीमा 40 लाख हुई
कलेक्टर गाइडलाइन की स्थलवार दरों में एक जुलाई 2019 से 20 प्रतिशत की कमी अवैध मदिरा निर्माण, भंडारण, परिवहन आदि के 1,04,443 प्रकरणों में कार्यवाही
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया है कि पिछले एक वर्ष में राज्य सरकार ने सभी श्रेणी के करदाताओं के लिये कर प्रणाली को सरल और सुगम बना दिया है। जीएसटी सिस्टम में पंजीयन की कार्यवाही अब कम्प्यूटर प्रणाली से की जा रही है। एक जुलाई 2019 से जीएसटी में अनिवार्य पंजीयन के लिये करदाताओं की वार्षिक टर्नओव्हर सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि वेट अधिनियम में 2,90,457 पंजीबद्ध करदाता एक जुलाई 2017 को जीएसटी में माइग्रेट हुए थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 4,17,462 हो गई है। अप्रैल 2019 के बाद से अब तक जीएसटी में 41,136 नये पंजीयन जारी किये गये हैं। मंत्री श्री राठौर ने बताया कि डेढ़ करोड़ तक वार्षिक टर्नओव्हर वाले छोटे निर्माता करदाताओं को कम्पोजिशन की सुविधा का विकल्प दिया गया है, जिसमें उन्हें हिसाब रखने से छूट दी गई है। त्रैमासिक कर चुकाने और वार्षिक विवरणी की सुविधा देने के लिये जीएसटी के नियमों में आवश्यक संशोधन किये गये हैं। सभी करदाताओं को प्रतिमाह वापसी के आवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा दी गई है। अब करदाता गलती से कर की राशि किसी अन्य हेड में जमा होने पर वापसी के लिये स्वयं ही उसे सही हेड में ट्रांसफर कर सकेंगे। राजस्व प्राप्तियों की जानकारी देते हुए वाणिज्यिक कर मंत्री ने बताया कि पिछले एक वर्ष में लगभग 22 करोड़ 30 लाख रुपये राजस्व अर्जित किया गया है। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें समाहित मालों पर वर्ष 2015-16 में प्राप्त राजस्व के आधार पर प्रतिवर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि दर से क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया है। श्री राठौर ने बताया कि इस दौरान रिटर्न कम्प्लाइंस का प्रतिशत भी 81 से बढ़कर 90 हो गया है। मात्र एक साल में 8807 रिफण्ड आवेदन में से 8208 का निराकरण किया गया और क्लेम राशि 529 करोड़ में से 427 करोड़ की वापसी स्वीकार की गई। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जीएसटी प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है। इसके बारे में 1200 कार्यशालाओं में व्यवसायिक संगठनों, व्यवसाइयों, कर सलाहकारों आदि को पूरी जानकारी दी गई।
केन्द्र के पास लंबित है लॉस कम्पनसेशन क्लेम के 3008.98 करोड़ रूपये
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री राठौर ने बताया कि भारत सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का 3008.98 करोड़ के लॉस कम्प्नसेशन क्लेम का भुगतान लंबित है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जीएसटी कॉउंसिल की प्रत्येक बैठक में प्रदेश के पक्ष को मजबूती से रखा है। लंबित लॉस कम्पनसेशन क्लेम जारी करने के लिये हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री से मिलकर विशेष आग्रह किया गया है। मंत्री श्री राठौर ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2019 में कर की दरों में कमी करते हुए इसे इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत, इनके चार्जर पर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत और दोना-पत्तल पर 5 से घटाकर जीरो प्रतिशत कर दिया गया है। रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये अफोर्डेबल हाउसिंग (45 लाख के मूल्य तक) कर की दर 8 से घटाकर 1 प्रतिशत की गई है। साथ ही, नान अफोर्डेबल हाउसिंग पर कर की दर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत की गई है। श्री राठौर ने बताया कि करदाताओं के लिये कार्यालयों में 100 हेल्प डेस्क की सुविधा सुनिश्चित की गई है।
डीम्ड कर निर्धारण योजना
मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि करदाताओं की सुविधा के लिये उन्हें कार्यालय में बुलाये बिना प्रकरणों का निराकरण करने के लिये प्रदेश में डीम्ड कर निर्धारण योजना लागू की गई है। इसमें उन प्रकरणों का निराकरण होगा, जिनमें स्व-कर निर्धारण संभव नहीं है। योजना में वर्ष 2017-18 के प्रथम त्रैमास के 3,27,178 प्रकरणों का निराकरण अभी तक किया गया है। स्व-कर निर्धारण सुविधा में वेट और जीएसटी लागू होने के पूर्व वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही के 3,12,102 प्रकरणों का निराकरण किया गया । मंत्री श्री राठौर ने एनफोर्समेंट की कार्यवाहियों की जानकारी देते हुए बताया कि 879 पंजीबद्ध करदाताओं को चिन्हित कर उनके व्यवसाय स्थल की जाँच की गई। जाँच के आधार पर 342 पंजीयन निरस्त किये गये और 30 करोड़ रुपये कर जमा कराया गया। परिवहित मालों की जाँच की कार्यवाही में 27.02 करोड़ की शास्ति वसूल की गई।
पंजीयन-मुद्रांक से 3921.69 करोड़ का राजस्व संग्रहण
वाणिज्यिक कर मंत्री ने बताया कि पंजीयन एवं मुद्रांक से वर्ष 2018-19 में 5304.77 करोड़ और वर्ष 2019-20 में अब तक 3921.69 करोड़ का राजस्व संग्रहण किया गया है। यह संग्रहण गत वर्षों की तुलना में क्रमश: 10.20 और 13 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि पारिवारिक बँटवारे के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क की दर को 2.5 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया है। महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को समस्त सम्पत्तियों में सह-स्वामी बनाने के लिये स्टाम्प शुल्क की दर शहरी क्षेत्र में 5.9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 2.9 प्रतिशत से घटाकर एकजाई 1100 रुपये कर दी गई है। मंत्री श्री राठौर ने बताया कि राज्य शासन ने प्रचलित बाजार मूल्य गाइडलाइन की स्थलवार दरों को एक जुलाई 2019 से पूरे प्रदेश में 20 प्रतिशत घटाकर लागू कर दिया है। इससे आम जनता का अपना घर बनाने का सपना साकार होने लगा है और रियल एस्टेट को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि नगर निगम/नगर पालिका/ नगर पंचायत क्षेत्र में क्रमश: एक हजार, पाँच सौ और तीन सौ वर्ग मीटर तक कृषि भूमि के मामले में भू-खण्ड के मान से मूल्यांकन के प्रावधान को सरल किया गया है। इसके फलस्वरूप कृषि भूमि के क्रय-विक्रय को बढ़ावा मिला है। अब किसान अपनी जमीन का एकमुश्त क्रय-विक्रय कर सकेंगे। श्री राठौर ने बताया कि पुराने भवनों के क्रय-विक्रय में भवन की आयु के अनुरूप छूट देने का प्रावधान लागू किया गया है। इसके अनुसार भवन की आयु 10 से 20 वर्ष तक होने पर 20 प्रतिशत और इसके आगे प्रत्येक पाँच वर्ष के लिये 5 प्रतिशत के साथ अधिकतम 50 प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया है।
प्रचलित 'सम्पदा' सॉफ्टवेयर का उन्नयन
मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रचलित 'सम्पदा' सॉफ्टवेयर का उन्नयन कर इसमें नई तकनीक का उपयोग करते हुए इसे आम जनता के लिये उपयोगी बनाया जा रहा है। अब पक्षकार स्वयं अपने दस्तावेज का ऑनलाइन पंजीयन करा सकेंगे। पंजीकृत दस्तावेजों के प्रारूप वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने बतायाकि बैंकों में बंधक विलेखों के पंजीयन की सुविधा बैंक अधिकारियों को प्रदान की जा रही है ताकि आम आदमी उप पंजीयक कार्यालय आने की अनिवार्यता से मुक्त हो सके।
सभी गाइडलाइन क्षेत्रों को जीपीएस से टैग किया जायेगा
मंत्री श्री राठौर ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के समस्त गाइडलाइन क्षेत्रों को जीपीएस से टैग करने का निर्णय लिया है। इससे कोई भी व्यक्ति मध्यप्रदेश के किसी भी क्षेत्र में नये मोबाइल एप से अंचल सम्पत्ति की दर जान सकेगा। जिस जगह पर व्यक्ति खड़ा होगा, उस क्षेत्र की गाइडलाइन दरों के साथ आसपास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की जानकारी भी प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से राजस्व अर्जन की दृष्टि से सम्पत्ति की फोटो मोबाइल एप में लेने पर कर अपवंचन की स्थिति निर्मित नहीं होगी। वाणिज्यिक कर मंत्री श्री राठौर ने कहा कि सम्पदा परियोजना को भू-अभिलेख, नगरपालिका, टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग आदि विभागों के सॉफ्टवेयर से जोड़ा जायेगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्रय-विक्रय की जाने वाली भूमि शासकीय, वक्फ बोर्ड, धार्मिक ट्रस्ट (मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि) की तो नहीं है। इससे भूमि संबंधी विवादों में कमी आयेगी और शासन की सार्वजनिक सम्पत्ति तथा धार्मिक स्थल आदि की सम्पत्ति सुरक्षित रह सकेगी। उन्होंने बताया कि सम्पदा परियोजना प्रारंभ होने के पूर्व के भौतिक रूप से पंजीकृत दस्तावेजों का डिजिटाईजेशन भी कराया जा रहा है। यदि सम्पत्ति पर कोई भार है, तो उसकी जानकारी अब बेहतर तरीके से प्राप्त हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सम्पदा परियोजना का आधार से एकीकरण करने के फलस्वरूप दस्तावेजों का पंजीयन कराये जाने में गवाहों की आवश्यकता नहीं होगी और पंजीयन की कार्यवाही में पारदर्शिता आयेगी।
वर्ष 2019-20 का आबकारी लक्ष्य लगभग 13 हजार करोड़
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री राठौर ने बताया है कि जन-कल्याणकारी नीतियों के लिये अधिक से अधिक धन राशि उपलब्ध कराने के लिये राज्य शासन ने चालू वित्त वर्ष में लगभग 13 हजार करोड़ रुपये आबकारी राजस्व अर्जित करने का संशोधित लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र और कम आबादी के पर्यटन क्षेत्रों में अवैध शराब की गतिविधियों को रोकने के लिये रिसोर्ट बार (एफ एल-3) के लायसेंस की फीस कम कर दी गई है। इसके फलस्वरूप बाँधवगढ़, कान्हा और अन्य वन क्षेत्रों में रिसोर्ट बार खोलने के 13 नये प्रस्ताव राज्य शासन को प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने मदिरा पर लगने वाले टैक्स को 5 से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। इससे शासन को साल भर में 250 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इसी के साथ, रेस्तरां बार (एफ एल-2) लायसेंस और होटल बार (एफ एल-3) लायसेंस के लिये जीएसटी को अनिवार्य कर दिया गया है। विशिष्ट श्रेणी के होटलों के लिये यह प्रावधान किया गया है कि उनके द्वारा ऑनलाइन आवेदन और निर्धारित फीस जमा करने के एक सप्ताह के भीतर लायसेंस का रिन्यूवल हो जाये अन्यथा डीम्ड बार लायसेंस जारी किया जाना माना जायेगा। मंत्री श्री राठौर ने बताया कि इस वित्त वर्ष में विदेशी मदिरा विक्रय के लिये जारी विभिन्न लायसेंसों, विनिर्माणी इकाइयों के लायसेंसों और अन्य लायसेंसों की फीस में भी वृद्धि की गई है। मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि वर्ष 2019-20 में अभी तक आबकारी ठेकेदारों के विरुद्ध अनियमितता के 62,932 और अवैध रूप से मदिरा निर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय करने वालों के विरुद्ध 61,511 प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही सुनिश्चित की गई है। श्री राठौर ने बताया कि बीते एक वर्ष में प्रदेश में अवैध मदिरा परिवहन में उपयोग में लाये गये 432 वाहन जप्त किये गये हैं। साथ ही, हरियाणा और पंजाब राज्य से आने वाली अवैध मदिरा भी बड़ी मात्रा में जप्त की गई है।
उच्च शिक्षा का स्वर्णिम वर्ष
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता से युवाओं का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होता है। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में ही उल्लेखनीय कदम उठाकर करोड़ों युवाओं के मन में उनके सुनहरे कल का विश्वास जगाया है। देश के चुनिंदा और बेहतर शिक्षा के लिए अग्रणी प्रदेशों के समकक्ष बनने की ओर मध्यप्रदेश ने शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने के साथ मजबूती से कदम बढ़ाये हैं। आधुनिक संसाधनों से शिक्षा संस्थानों को परिपूर्ण करना, अधोसंरचना का निर्माण, बेटियों के लिए सुलभ और बेहतर शिक्षा, प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने, कौशल विकास और रोजगारमुखी शिक्षा, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारियों की नियुक्ति, ई-लायब्रेरी और खेल मैदान की उपलब्धता जैसी नीतियों के लागू और पूरा होने से प्रदेश का शैक्षणिक परिवेश रचनात्मक और विश्वसनीय बना है। मध्यप्रदेश ने उच्च शिक्षा की अनदेखी का बुरा दौर देखा है, महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी कई सालों से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे थे, इसका असर प्रदेश में शिक्षा के स्तर पर भी पड़ा। लेकिन वर्तमान सरकार युवाओं का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए कृत-संकल्पित है। कमलनाथ सरकार ने प्रतिबद्धता से इस ओर कदम उठाए हैं। इसीलिए प्रदेश के शिक्षा संस्थान अब प्राध्यापक विहीन नहीं रहेंगे। उच्च स्तर की परीक्षाओं में चयनित हमारे काबिल शिक्षक प्रदेश के कोने-कोने में उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिए विद्यार्थियों के बीच उपलब्ध होंगे। आधुनिकतम लायब्रेरी में उच्च स्तर और गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें हों और उसका लाभ आम विद्यार्थी को मिले, इसलिए ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। शिक्षा के साथ युवा वर्ग खेल की विधाओं में भी राज्य और देश का नाम रोशन करें, इसलिए कोई भी महाविद्यालय अब क्रीड़ा अधिकारी विहीन नहीं होगा, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। शिक्षा संस्थानों का उद्देश्य विद्यार्थी के शैक्षणिक विकास के साथ उसका सर्वांगीण विकास भी है। प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाते हुए इसे आम विद्यार्थी के लिए सुलभ बनाया गया है। महाविद्यालयों की अपनी जमीन हो और आधुनिक संसाधनों के साथ उनका अपना खेल मैदान, गार्डन इत्यादि भी हो। कमलनाथ सरकार ने समस्त शासकीय महाविद्यालयों की भूमि का स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिए भूमि सुरक्षा अभियान शुरू किया है, जिसे इस साल तक पूर्ण करने की योजना है। इसमें 30 वर्षों की विकास योजना को आधार बनाकर विकास किया जा रहा है। शिक्षा संस्थानों की अधोसंरचना विकास के कार्य लगातार किए जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए वर्चुअल कक्षा का प्रसारण लगातार किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के कोने-कोने तक शिक्षा के वातावरण को बेहतर और सर्वसुलभ बनाने में मदद मिल रही है। उच्च शिक्षा विभाग में पिछले कई वर्षों से कर्मचारियों-अधिकारियों की लंबित शिकायतों का अम्बार लग चुका है। अफसोस है कि पिछले कुछ वर्षों से इन समस्याओं की अनदेखी की गई। कर्मचारियों-अधिकारियों की लंबित मांगों के अविलंब निवारण के लिए आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी कृत-संकल्पित होकर काम कर रही है। अब राजीव गाँधी ज्ञान ज्योति अभियान के द्वारा प्राध्यापकों के ज्ञान और अनुसंधान का लाभ सभी को मिले और उनकी काबिलियत शासन के उच्च स्तर तक पहुँचे, इस दिशा में कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में उद्यमिता कौशल विकास एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिये नॉलेज कार्पोरेशन से विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा के साथ रोजगार मिलने की संभावनाएं सुनिश्चित होगी। विद्यार्थी में उद्यमिता कौशल ,व्यक्तित्व विकास, अंग्रेजी भाषा कौशल, डिजिटल लिस्ट्रेसी और क्म्युनिकेशन स्किल को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में स्किल विश्वविद्यालय की स्थपना से औद्योगिक नवाचार की नई संभावनाएं जागेंगी। शैक्षणिक पाठयक्रमों में औद्योगिक नवाचार के तहत स्थानीय संसाधनों एवं स्थानीय बड़े,छोटे एवं मझोले उद्योग की जरूरत के अनुसार विभिन्न पाठयक्रम तैयार करने और पी.पी.पी.मॉडल पर उद्योगों के द्वारा प्रशिक्षित ट्रेनरों से प्रशिक्षिण दिए जाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा और कौशल विकास की ओर युवा अग्रसर भी होंगे। कमल नाथ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए नवाचार के कई कार्य कर रही है। इसके अन्तर्गत प्रवेश प्रक्रिया को नियमित और समयावधि में पूर्ण करने के लिए सुधार के साथ एम.पी.ऑननाइन को बेहतर बनाया गया है, जिससे समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हुई है। बालिकाओं के लिए प्रवेश शुल्क पूरी तरह माफ करने से लाखों बेटियाँ लाभांवित हुई हैं। बेटियों की सुरक्षा, सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता में शुमार है। कन्या महाविद्यालय में पुलिस चौकी की स्थापना कर उन्हें बेहतर और सुरक्षित शैक्षणिक माहौल दिया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था,उच्च शिक्षा कौशल एवं विकास गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए, जिससे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के लिए भी शिक्षित किया जा सके। हम शिक्षा का ढांचा कुछ इस प्रकार संचालित करने जा रहे है, जिससे विद्यार्थी का सर्वागीण विकास हो और वह उन्नति की ओर अग्रसर हो सके, अर्थात उसकी आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक और भौतिक उन्नति एक साथ हो। मध्यप्रदेश के करोड़ों लोगों की आशाओं और अपेक्षाओं का यह वर्ष उमंग और विश्वास का प्रतीक बन गया है। अच्छी और बेहतर शिक्षा से प्रदेश के युवाओं का भविष्य बेहतर बने, इस लक्ष्य को लेकर कमलनाथ सरकार निरंतर कार्य कर रही और इसके उजले परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बहरहाल बेहतर शिक्षा से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण की शानदार शुरूआत हो चुकी है
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