वाशिंगटन, 23 दिसंबर, अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष इलियट एंगेल पिछले हफ्ते यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करने वाले सांसदों की सूची में भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल और अन्य दो के नाम शामिल किए जाने से अवगत नहीं थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। जयशंकर ने ‘टू प्लस टू’ वार्ता के लिए वाशिगंटन के अपने दौरे पर जयपाल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, जयपाल ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को भारत सरकार द्वारा निरस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटाने की भारत से अपील करते हुए अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश किया था। सूत्रों ने बताया कि जयशंकर की न्यूयॉर्क से डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद एंगेल नीत समिति से 18 दिसंबर को होने वाली मुलाकात रद्द कर दी गई थी। समझा जाता है कि उन्हें इस सूची में अन्य लोगों के नाम जुड़ने की जानकारी तब मिली, जब यहां स्थित भारतीय दूतावास ने शुरुआत में जिन नामों पर सहमति बनी थी, उनमें हुए परिवर्तनों पर आपत्ति जताई। उन्होंने बताया कि लेकिन 18 दिसंबर की सुबह, जब एंगेल को इसके बारे में पता चला, तब तक बहुत देर हो गई थी और उनके लिए कोई भी ऐसा कदम उठाना अनुचित होता जो उनके ही साथी सांसदों के खिलाफ जाता। सूत्रों ने बताया कि भारतीय दूतावास, अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के सदस्य नहीं होने के बावजूद अतिरिक्त नामों को जोड़ने के तरीकों पर उसे भरोसे में नहीं लिए जाने से नाराज हो गया था और उसने बैठक रद्द कर दी। पिछले हफ्ते यहां हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने संकेत दिया कि जयपाल के अलावा, सूची में दो अन्य सांसदों के नाम भी जोड़े गए जिन्होंने हाल के कुछ दिनों में कश्मीर, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के मुद्दों पर भारत को लेकर आक्रामक रुख अपनाया।
अपने अमेरिकी दौरे से पहले, जयशंकर ने अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति और विदेश संबंधों की सीनेट समिति के नेतृत्व के साथ एक बैठक का अनुरोध किया था। सीनेट समिति के साथ जयशंकर की बैठक तय कार्यक्रम के अनुसार हुई सूत्रों ने बताया कि बैठक उसी समय होनी थी जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अपने ओवल कार्यालय में मुलाकात करने की सहमति दी थी। सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में यह महज शिष्टाचार मुलाकात और तस्वीरें खिंचवाने का कार्यक्रम भर था। लेकिन ट्रंप ने अपने तय कार्यक्रम से ज्यादा समय लिया और दौरे पर आए भारतीय नेताओं के साथ 40 मिनट से ज्यादा समय बिताया। इस स्थिति में विदेशी मामलों पर अमेरिकी संसद की समिति के नेतृत्व के साथ बैठक किसी भी सूरत में नहीं हो पाती। सदन की समिति को भेजे गए अपने पत्र में, भारतीय दूतावास ने कहा कि विदेश मंत्री ने केवल विदेश मामलों की समिति के नेतृत्व के साथ बैठक की इच्छा जताई थी और इसी पर सहमति बनी थी। खबरों के मुताबिक दूतावास ने कम से कम एक और संभवत: तीन गैर सदस्यों को सूची में शामिल किए जाने का आधार पूछा था और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर बैठक रद्द कर दी थी। एक साक्षात्कार में भारतीय- अमेरिकी भरत बरई ने आरोप लगाया कि जयपाल संभवत: जयशंकर के साथ तीखी बहस करना चाहती थीं और बाद में मीडिया के पास जाकर दुष्प्रचार करतीं। बरई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घनिष्ठ मित्र समझा जाता है। चेन्नई में जन्मीं 54 वर्ष की जयपाल उन चंद अमेरिकी सांसदों में से एक हैं जो जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। वह अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में चुनी गईं पहली भारतीय-अमेरिकी हैं।
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