पीएम को 208 शिक्षाविदों ने पत्र लिख वाम समूह को ठहराया जिम्मेदार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 12 जनवरी 2020

पीएम को 208 शिक्षाविदों ने पत्र लिख वाम समूह को ठहराया जिम्मेदार

208-educationist-write-letter-to-pm
नयी दिल्ली, 12 जनवरी, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित 200 से अधिक शिक्षाविदों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए ‘वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह’ को जिम्मेदार ठहराया है।  प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि छात्र राजनीति के नाम पर एक विध्वंसकारी धुर वाम एजेंडा को आगे बढ़ाया जा रहा है। जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर यादवपुर (विश्वविद्यालय) तक परिसरों में हुई हालिया घटनाएं हमें वामपथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति चौकन्ना करती हैं।’’  आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति आर पी तिवारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एचसीएस राठौर और सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति शिरीष कुलकर्णी सहित अन्य शामिल हैं। इसे ‘शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथी अराजकता के खिलाफ बयान’ शीर्षक दिया गया है।  दो सौ आठ शिक्षाविदों के इस बयान को अकादमिक जगत में समर्थन जुटाने का शासन का प्रयास माना जा रहा है। दरअसल, संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में हुए हालिया हमले सहित कई मुद्दों को लेकर कुछ विश्वविद्यालयों में हुए प्रदर्शनों को लेकर विद्वानों के एक हिस्से द्वारा सरकार आलोचना का सामना कर रही है।  वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले समूहों को आड़े हाथ लेते हुए बयान में कहा गया है कि वामपंथी राजनीति द्वारा थोपे गए सेंसरशिप के चलते जन संवाद आयोजित करना या स्वतंत्र रूप से बोलना मुश्किल हो गया है।  मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है कि वाम के गढ़ों में हड़ताल, धरना और बंद आम बात हो गई है तथा वाम विचारधारा के अनुरूप नहीं होने पर लोगों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना, सार्वजनिक छींटाकशी और प्रताड़ना बढ़ रही है।  बयान में कहा गया है कि इस तरह की राजनीति से सबसे बुरी तरह से गरीब छात्र और हाशिये पर मौजूद समुदायों के छात्र प्रभावित हो रहे हैं।  इसमें कहा गया है, ‘‘ये छात्र सीखने और अपने लिए बेहतर भविष्य बनाने का अवसर खो देंगे। वे अपने विचारों को प्रकट करने और वैकल्पिक राजनीति की स्वतंत्रता खो देंगे। वे खुद को बहुसंख्यक वाम राजनीति के अनुरूप करने के प्रति सीमित पाएंगे। हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों से एकजुट होने और अकादमिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा विचारों की बहुलता के लिए खड़े होने की अपील करते हैं।’’ 

कोई टिप्पणी नहीं: