विचार : ‘सीएए’ की लड़ाई ‘कब्र’ से अब ‘हिन्दू मुसलमान’ पर आई? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 22 जनवरी 2020

विचार : ‘सीएए’ की लड़ाई ‘कब्र’ से अब ‘हिन्दू मुसलमान’ पर आई?

नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। लेकिन इस कानून को लेकर सियासत चमकाने में जुटी राजनीतिक पार्टियां भ्रम के सहारे लड़ाई अपने पक्ष में करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसके लिए मोदी को नीचा दिखाने के लिए विपक्ष हिन्दू मुसलमान तक का राग अलापना शुरु कर दिया है। चाहे वो राहुल, प्रियंका हो या मायावती, अखिलेश, ममता व ओवैसी सबके सब अब खुलकर कहने लगे है कि सीएए मुस्लिम विरोधी है इसलिए उनके साथ जुड़े। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या इस देश में नागरिकता खिलाफ कौन बनेगा जिन्ना की राजनीतिक दलों में होड़ मची है? क्या नागरिकता की लड़ाई कागज दिखाने से कब्र तक होते हुए अब हिन्दू मुसलमान तक आ गयीहै? क्या नागरिकता के नाम पर हिंदुओं को धमकाया जायेगा? क्या हिंदुओं को बदनाम करने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बन रहा है? क्या नागरिकता के विरोध में हिंदुओं को गाली दी जायेगी? 
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हालांकि हिन्दूओं को नीचा दिखाने के लिए नागरिकता कानून से पहले भी गैरभाजपा दलों प्रयास किया जाता रहा है। खासकर चुनावों में कुछ राजनीतिक पार्टियां खुलेआम मुस्लिमपरस्ती राजनीति कर मुस्लिम वोटों को हथियाती रही है। कांग्रेस नेता भले ही समय समय पर कभी चंदन टिका के साथ मंदिरों में दर्शन-पूजन तो कभी जनेउ धारण कर यह बताने की कोशिश करते है कि वो हिन्दू विरोधी नहीं बल्कि असली हिन्दू वहीं है। लेकिन राहुल यह भी कहने से कभी गुरेज नहीं किया कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कहा देश को लश्करे तैयबा से ज्यादा खतरा भगवा आतंक से है।  यह अलग बात है कि मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक दशा सुधारने के लिए गठित की गयी सच्चर कमेटी और उसकी रिपोर्ट को अपने शासनकाल में लागू नहीं करा सकी। तीन तलाक के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी विधेयक के जरिए पलट दिया। मतलब साफ है कांग्रेस हो या सपा, बसपा इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ सत्ता पाना है। इसके लिए अगर देश के हिन्दू मुस्लिमों को लड़ाना हो तो भी उन्हें कोई संकोच नहीं है। जबकि भाजपा इस विरोध को यह कहकर ना वापस करने की बात कह रही है कि विरोध केवल मुस्लिम वो भी विपक्ष के बहकावे में कर रही है। कहा जा सकता है नागरिकता का घमासान अब हिंदू मुसलमान पर आ गयी है। 

नागरिकता कानून का विरोध अब हिंदुत्व का विरोध बन गया है। दिल्ली का शाहीन बाग हो या कोटा का ईदगाह, प्रयागराज का मनसूर अली पार्क हो या फिर लखनउ का  मेन गैट। जहां भी सीएए का विरोध हो रहा है वहां हिंदुत्व के प्रतीकों का अपमान हो रहा है। हिंदू विरोधी नारे लग रहे हैं। जिन्ना की जयकार हो रही है। जिन प्रतीकों की हिंदू धर्म में पूजा होती है। जिन प्रतीकों को आप मंदिर की दीवारों पर बना देखते हैं। उनका इस्तेमाल सत्ता विरोध के लिए हो रहा है। आखिर सियासत के लिए हिंदुओं का अपमान कब तक? अगर प्रदर्शन करने वालों का विरोध सरकार से है, तो हिंदुओं का अपमान क्यों किया जा रहा है? नागरिकता कानून हिंदुओं ने नहीं संसद ने बनाया है, फिर प्रदर्शन में हिंदू विरोधी नारे क्यों? क्या हिंदू प्रतीकों का अपमान कर, मुसलमानों को हिंदू विरोधी बताने की साजिश हो रही है? जो लड़ाई नागरिकता कानून के खिलाफ शुरू हुई थी, वो हिंदू-मुस्लिम पर कैसे आ गई? क्या ये देश को जलाने की एक-सोची समझी प्लानिंग है?  अगर विरोध सीएए का है तो शाहीन बाग में स्वास्तिक का अपमान क्यों?  स्वास्तिक और सीएए दोनों में कौन सा संबंध है? हिंदू धर्म में स्वास्तिक की चार रेखाएं भगवान ब्रह्मा का प्रतीक हैं इसीलिए किसी काम की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है और आप लोग नफरत फैलाने की शुरुआत स्वास्तिक से कर रहे हैं। अलीगढ़ में नारा लगता है- हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, मोदी की छाती पर, योगी तेरी कब्र खुदेगी लखनउ की धरती पर।  ऐसे नारों में सीएए का विरोध कहां है। आज तक शाहीन बाग में वंदेमातरम के नारे क्यों नहीं लगे। सीएए के खिलाफ खड़े लोगों ने आज तक हिंदुस्तान जिंदाबाद क्यों नहीं कहा। जिन्ना वाली आजादी तो कहते हैं वंदे मातरम भी कहिए। अगर सीएए का विरोध तो पोस्टर पर अपशब्द के साथ हिंदुत्व क्यों लिखा है। सीएए का विरोध है तो पोस्टर में ऊं का अपमान क्यों है? टुकड़े गैंग कहता हैं भारत माता की जय एक साम्प्रदायिक नारा है। माता सिर्फ माता होती है हिंदू मुसलमान नहीं। क्या यह भारत मां को हिंदू-मुसलमान में बांटने की साजिशनहीं है? ये नफरत कौन फैला रहा है? युवाओं को ये पोस्टर कौन दे रहा है जिस पर लिखा है लाल किला तो मुगलों ने बनवाया था। इसलिए 26 जनवरी को मोदी जी वहां से भाषण न दें। लाल किला हिंदुस्तान का है। हिंदू मुसलमान का नहीं। प्रयागराज में नारे लगे इंकलाब जिंदाबाद, सबने इसे संवारा है, जितना तुम्हारा, उतना ही यह मुल्क हमारा है। किसने कहा कि ये मुल्क आपका नहीं है। बता दें दिल्ली के शाहीन बाग का एक और पोस्टर सामने आया है। इस तस्वीर में तीन महिलाओं को बुर्क़ा पहने और माथे पर बिंदी लगाए दिखाया गया है। इसके अलावा, पोस्टर के नीचे, फ़ैज़ की कविता ‘हम देखेंगे’ शीर्षक से कुछ पंक्तियाँ भी लिखी हुई हैं। अंत में, हिन्दू स्वस्तिक को खंडित कर उसका विघटित रूप दर्शाया गया। यह पोस्टर स्पष्ट रूप से हिन्दुओं पर इस्लामी वर्चस्व की स्थापना और हिन्दुओं के घृणा जताने की मंशा से ओत-प्रोत है।  

खासकर, अकबरुद्दीन ओवैसी और अशोक चव्हाण के बयानों के बाद भाजपा हमलावर हो गई है। ओवैसी के मुगल शासन के काल की उपलब्धियां गिनाने वाले बयान पर बीजेपी ओवैसी को घेर रही है, तो वहीं कांग्रेस की तुलना मुस्लिम लीग से की गई। या यूं कहे नागरिकता संशोधन एक्ट पर मची हायतौबा के बीच एक नए विवाद ने जन्म दे दिया है। बता दें, ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं और उन्हीं के उपरोक्त बयान से इस मसले पर रार शुरू हुई है। एक रैली को संबोधित करते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, ‘हमको परेशान होने की जरूरत नहीं है, इनकी बातों में आने की जरूरत नहीं है.. जो हमसे पूछ रहे हैं कि मुसलमान के पास क्या है.. मैं उनको कहना चाहता हूं कि 700 बरस तक मैंने इस मुल्क पर राज किया है।’ ‘मेरे आब्बा और दादा ने इस मुल्क को चार मीनार, जामा मस्जिद, कुतुब मीनार दिया। हिंदुस्तान का वजीर-ए-आजम जिस लालकिले पर खड़े होकर झंडा फहराता है, वो भी उन्होंने दिया।’  अकबरुद्दीन ओवैसी के इस बयान को मुगलकाल से जोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि भारत में मुगल शासन 1526 से शुरू हुआ था और 1857 में जाकर खत्म हुआ। इसी काल को औवेसी अपना ढाल बनाते हुए कहते है मुसलमानों ने 800 वर्ष तक इस मुल्क में हुक्मरानी और जांबाजी की है। तेरे बाप ने क्या बनाया है? दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने भी ऐसा ही बयान दिया। अशोक चव्हाण ने कहा कि मुस्लिम भाइयों की अपील के बाद ही कांग्रेस पार्टी शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर राजी हुई। अगर कांग्रेस सरकार नहीं बनाती तो बीजेपी सत्ता में आ जाती। इन्हीं बयानों के जवाब में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस की तुलना मुस्लिम लीग से की। संबित पात्रा ने कहा कि क्या सरकार बनाने के लिए कांग्रेस सिर्फ मुस्लिमों से पूछती है, हिंदुओं की उन्हें कोई परवाह नहीं। कांग्रेस अब मुस्लिम राष्ट्रीय कांग्रेस बन गई है। कांग्रेस को इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं मुस्लिम राष्ट्रीय कांग्रेस कहना चाहिए। कांग्रेस तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। प्रोटेस्ट की आड़ में हिंदुओं को गाली देने का काम किया जा रहा है। पात्रा ने कहा कि हमारे दादा-परदादा ने इस देश को सहिष्णु, विराट, क्षमतावान, गरीमावान बनाया और आप लोग ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं। 

17 मई 2017 यूथ कांग्रेस के एक नेता केरल में गाय की हत्या करते हैं और सार्वजनिक रूप से गौ मांस की भक्षण करते हैं। 2016-17 में राहुल गांधी जेएनयू जाते हैं और वहां देश विरोधी नारे लगते हैं। 16 मई 2017 को कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में भगवान राम की तुलना तीन तलाक और हलाला से करते हैं। 11 जुलाई 2018 को राहुल गांधी ने साफ कहा कि हां कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है। 9 जुलाई 2018 को कांग्रेस के जेड ए खान कहते हैं कि देश के हर जिले में शरिया कोर्ट की वकालत होनी चाहिए। संबित पात्रा यहीं नहां रुके और उन्होंने कई अन्य घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि 2008 में समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हिंदू आंतकवाद पर उंगली उठाई। 2006 में मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है. तो वहीं 2004 में सोनिया गांधी ने कांची कामकोटि के शंकराचार्य को गिरफ्तार कराया।  उधर,  अमित शाह के द्वारा दी गई बहस की चुनौती को सपा और बसपा ने स्वीकार कर लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है वो कहीं पर भी बहस के लिए तैयार है। तो अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी मंच और जगह तय कर ले, हम विकास के मुद्दे पर भी बहस के लिए तैयार हैं। बता दें कि लखनऊ में अमित शाह ने नागरिकता संशोधन एक्ट के समर्थन में जनसभा की। इस रैली में अमित शाह ने कहा कि वो राहुल गांधी, अखिलेश, ममता बनर्जी, मायावती को चुनौती देते हैं कि इस मसले पर उनके साथ बहस कर लें। साथ ही अमित शाह ने कहा था कि कोई कितना भी विरोध कर ले लेकिन सीएए कानून वापस नहीं होगा।  वैसे भी सीएए किसी भी भारतीय नागरिक पर कतई लागू नहीं होता, मुसलमानों पर तो और भी नहीं। इस प्रस्ताव की मुख्य प्रस्तावक कांग्रेस ने अगर होमवर्क किया होता, तो वह दोहरेपन के आरोपों के आगे खुद को बेनकाब नहीं करती। सीएए का विचार कौन लाया था? क्या डॉ. मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर 2003 में तब गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी से सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए नहीं कहा था? 2002 में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आडवाणी से इन देशों के हिंदुओं और सिखों को नागरिकता देने की गुजारिश की थी। असम के मुख्यमंत्री के नाते तरुण गोगोई ने भी इसके बारे में लिखा था। वे इसकी मांग करते हैं तब ठीक, जब हम करते हैं तो दिक्कत है। 

बुनियादी तौर पर यह मानवीय मुद्दा है। क्या हम इनकार कर सकते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ बर्बर बर्ताव हो रहा है? यह कानून सिर्फ उन्हीं प्रताड़ित अल्पसंख्यकों पर लागू होता है जो इज्जत की जिंदगी जीने के लिए 31 दिसंबर, 2014 तक या उससे पहले भारत आए हैं। यह वर्गीकृत समूह है। अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार की व्याख्या इज्जत की जिंदगी जीने के अधिकार के तौर पर ही करनी चाहिए। हम उन्हें नागरिकता देकर इज्जत की जिंदगी दे रहे हैं। संविधान का अनुच्छेद 25 कहता है कि सभी व्यक्ति अंतःकरण की स्वतंत्रता के समान अधिकारी हैं और जन व्यवस्था, नैतिकता तथा स्वास्थ्य के अधीन उन्हें धर्म को स्वतंत्रतापूर्वक मानने, उसका आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है। सभी व्यक्ति, नागरिक नहीं. अगर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को उनके बुनियादी अस्तित्व से वंचित किया जा रहा है, तो हम अनुच्छेद 25 में बताए गए दायित्व को ही पूरा कर रहे हैं।  अगर उज्ज्वला योजना 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं तक पहुंची, तो क्या उनमें से कई मुस्लिम नहीं थीं? अगर स्वच्छ भारत अभियान के तहत 8 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने, तो मुस्लिम घरों को छोड़ा नहीं गया। आवास योजना के तहत बनाए गए 1.3 करोड़ मकानों से मुस्लिमों को भी लाभ हुआ है। गांवों में बिजली पहुंचाई, तो क्या उसमें मुस्लिम गांवों को अनदेखा किया? देश के मुख्य भूभाग में आज करीब 3,75,000 कॉमन सर्विस सेंटर इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं मुहैया हो रहे हैं, इनमें से कई केंद्रों का संचालन मुसलमान कर रहे हैं। 



-सुरेश गांधी-

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