जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वाधान में धालभूमगढ़ प्रखंड अंतर्गत मउदासोली पंचायत के अमादुबी कला केंद्र में लोक चित्रकारों हेतु आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का आज अंतिम दिन था। पैटकर कला के लोक चित्रकारों को बेहतर मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया जिससे स्थानीय कलाकार अपनी कला को विस्तार देते हुए राष्ट्रीय स्तर का अनुभव प्राप्त कर सकें। गौरतलब है कि जिला प्रशासन द्वारा पैटकर पेंटिंग के प्रचार-प्रसार हेतु विभिन्न स्तर कई प्रयास किए जाते रहे हैं। उपायुक्त श्री रविशंकर शुक्ला ने भी पिछ्ले दिनों अमाडूबी स्थित कला केंद्र का दौरा कर वहां की गतिविधियों से अवगत हुए थे। उपायुक्त द्वारा कला केंद्र के उत्थान एवं पैटकर पेंटिंग को और व्यापक स्तर पर पहचान दिलाने हेतु स्थानीय कलाकारों के साथ चर्चा किया गया था तथा उनके विचार मांगे गये थे। पांच दिवसीय कार्यशाला स्थानीय लोक चित्रकारों के लिए बेहतर अनुभव रहा। कार्यशाला में शामिल हुए कलाकारों ने पैटकर कलाकृति के एक से बढकर एक कलाकृति बनाये एवं अपनी कला का लोहा मनवाया।
पैटकर कला को अब राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगा- लोक चित्रकार
कलाकारों ने उपायुक्त श्री रविशंकर शुक्ला का आभार जताते हुए कहा की पैटकर कला को सहेजने एवं इसको व्यापक पहचान देने हेतु जितने प्रयास उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम द्वारा किये जा रहे हैं उसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम होगी। उपायुक्त हमारे बीच आकर इस कला के संवर्धन हेतु नए विचार लाते रहते हैं। पैटकर कला को आज पहचान मिलने लगी है, लोग अमाडूबी आते हैं। पैटकर कला से रुबरु होने के लिए तथा इसके बारे में जानने के लिए लोग अमाडूबी अब आने लगे हैं जिससे हम कलाकारों को काफी हौसला मिलता है। झारखंड के पैट्कर कला को पहचान मिलने लगी है, उम्मीद है अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस कला का अपना मुकाम होगा। कार्यशाला में पैटकर कलाकार अनिल चित्रकार, विजय चित्रकार, सुभाष गायेन, किशोर गायेन, गणेश चित्रकार, मोनी चित्रकार साथ ही सोहराई कलाकार राजेश मुंडा(बुंडु), सूची महतो(चक्रधरपुर), एस हांसदा(चकुलिया), एम सोरेन(बहरागोड़ा), प्रख्यात संथाली कलाकार सी आर हेम्ब्रोम इस कार्यशाला में शामिल हुए। पांच दिवसीय कार्यशाला के सफल आयोजन में कला मन्दिर संस्था के अमिताभ घोष, देवला मुर्मू, आशीष होरो, बिरेन मुर्मू, देबाश्री बनर्जी आदि का सराहनीय योगदान रहा।
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