बिहार की 55000 दवा दुकानों में अनिवार्य रूप से एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति को लेकर रार बरकरार बिहार की सभी दवा दुकानें बुधवार को बंद है। आज से शुक्रवार तक बंद रहेंगीं। हालांकि, इस बंद का आपातकालीन (इमरजेंसी) सेवा पर असर नहीं रहेगा। बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि तीन दिवसीय हड़ताल के दौरान निजी एवं सरकारी अस्पताल परिसर की दवा दुकानें खुली रहेंगी। सरकार ने हर दवा दुकान के लिए एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति अनिवार्य कर दी है, जबकि दवा दुकानदार फार्मासिस्ट की नियुक्ति में छूट चाहते हैं।इस मुख्य मांग के साथ को लेकर बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (BCDA) और स्वास्थ्य विभाग के बीच वार्ता का प्रयास विफल हो गया। दवा दुकानदारों का कहना है कि राज्य में वर्तमान में सात हजार फार्मासिस्ट हैं, जबकि 55 हजार से अधिक दवा दुकानें हैं.बुधवार को हड़ताल का पहला दिन है। इसका असर सुबह से ही दिखने लगा है। दरअसल, दवा दुकानदार फार्मासिस्ट की नियुक्ति में छूट चाहते हैं। जबकि, सरकार ने हर दवा दुकान के लिए एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति अनिवार्य कर दी है। इसे लेकर एसोसिएशन ने 22 से 24 जनवरी तक दवा दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया है। राज्य में सात हजार फार्मासिस्ट हैं। जबकि, 55 हजार से अधिक दवा दुकानें हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह एवं महासचिव अमरेंद्र कुमार ने कहा कि दवा दुकानदारों का फार्मासिस्ट के नाम पर शोषण किया जा रहा है। औषधि निरीक्षक दवा दुकानदारों का आर्थिक रूप से दोहन कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग पहले दवा दुकानदारों को लाइसेंस जारी करता है, उसके बाद दोहन करता है। कहा कि अगर फार्मासिस्ट का अभाव है, तो दवा दुकानों का लाइसेंस कैसे जारी किया जा रहा है और इसके लिए सरकार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को अन्य राज्यों की तरह दवा दुकानदारों को विशेष कोर्स कराकर दुकान चलाने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को अन्य राज्यों की तरह दवा दुकानदारों को विशेष कोर्स कराकर दुकान चलाने की अनुमति प्रदान कर सकती है। कई राज्यों में इस तरह की समस्या है, लेकिन अधिसंख्य राज्यों ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। पर, बिहार सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
बुधवार, 22 जनवरी 2020
बिहार : दवा दुकानाें में हड़ताल होने से' हाल' बताकर दवा लेने वाले हैं बेहाल
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